- चार दिन में एक्सचेंज के दौरान कैश हुआ शॉर्ट

- कर्मचारियों को लगी 2 से 5000 तक की चपत

आगरा। नोटबंदी के बाद बैंक कर्मियों को रोल सबसे अहम रहा। उन्होंने पिछले तीन दिनों तक 12 से 14 घंटे तक काम किया। सरकार के हर निर्णय को सफल बनाने की जी-तोड़ मेहनत की। इससे उन्हें एक तरह से अपने काम को लेकर संतोष तो है, लेकिन अपनी जेब कटने का दु:ख भी है, जिसे वे किसी से साझा नहीं कर सकते। यही दर्द बातो-बातों में आई नेक्स्ट से झलक गया।

देर रात तक किया काम

पीएम मोदी ने आठ नवंबर की रात को 500-1000 रुपए नोटबंदी का एलान किया, तो पूरे देश कैश एक्सचेंज का जिम्मेदारी बैंकों पर आ गई। बैंक के अधिकारी और कर्मचारियों ने सुबह से देर रात तक रुपए एक्सचेंज से लेकर लेन-देन का काम किया। ये एक-दो दिन नहीं बल्कि चार दिनों तक लगातार चलता रहा। इस बीच बैंक इंप्लॉई ने देश विकास के लिए काम किया। ये काम आगे भी करते रहेंगे। लेकिन इस बीच उन्हें आर्थिक रूप से बड़ा नुकसान झेलना पड़ा।

थकान के साथ मुस्कान भी

खासतौर पर कैश पर बैठे कर्मी की जेब तो कटी ही। इस बीच हर दिन 2 से 5 हजार रुपए तक की भरपाई कैशियरों ने की। इसे उन्होंने चुपचाप भर दी। इसे अपने वरिष्ठ अधिकारियों को बताने पर जांच के डर से पूरा मामला छुपा लिया। कर्मी इस आर्थिक नुकसान से जरूर परेशान हैं, लेकिन सरकार के आदेश का पालन करने में अपनी अहम भूमिका पर गर्व भी महसूस कर रहे हैं।

सुबह 10 से रात 11 बजे तक काम

वैसे तो बैंक के अधिकारी सुबह 8 बजे से बैंकों की तैयारी में लगे रहे, लेकिन काम सुबह 10 बजे से ले कर रात 11 बजे तक चला। ये दौर 10 से 13 नवंबर तक चला। इन्हें 14 नवंबर की छुट्टी ने बहुत राहत दी।

क्लर्क से कैशियर का काम

इस बीच बैंकों में कर्मियों की कमी खास खली। हालात ये बने कि अधिकांश बैंकों में कैशियर की जिम्मेदारी क्लर्क दो सौंप दी गई। ऐसे में रुपए लेनदेन में चूक बढ़ने की आशंका ज्यादा बढ़ गई। यही वजह रही कि कर्मियों ने कैश काउंटर पर नहीं बैठने की हर संभव कोशिश की। अधिकारी के इस आदेश को नहीं मानने पर कई क्लर्क के तबादले कर दिए गए।

दूसरे जिले में हुआ तबादला

रविवार को एक बैंक के मैनेजर ने एक क्लर्क को कैशियर की जिम्मेदारी सौंप दी। क्लर्क ने कई घंटों तक काम किया। इस बीच लगभग 50 लाख रुपए का ट्रांजेक्शन किया। उन्होंने आगे कुछ देर के लिए कैशियर के काम से राहत मांगी, तो उनका तबादला दूसरे जिले कर दिया गया। वे इतने व्यथित हुए कि वीआरएस की मांग कर दी है।

अपनी जेब से भर रहे शॉर्ट रकम

नोटबंदी की सूचना के बाद बैंकों में जबरदस्त भीड़ लग रही है। एक दिन में छोटी बैंकों में 600 और बड़ी बैंकों में 2000 तक लोगों को फेस किया जा रहा है। इस दौरान 70 लाख से लेकर 2 करोड़ रुपए तक का ट्रांजेक्शन एक-एक बैंक से हो रहा है। इस दौरान नोट बदलने में गड़बड़ी हो रही है और नोट शार्ट हो रहे हैं। इसकी भरपाई कैश में बैठे कर्मी को करनी पड़ रही है। इस मार से परेशान कर्मी अब कैश में बैठने से कतरा रहा है।

Posted By: Inextlive