-जीएमसी का आवारा पशु वाहन दस्ता आवारा पशुओं को एक कॉलोनी से पकड़कर छोड़ देते हैं दूसरी कॉलोनी में

- आई नेक्स्ट ने रंगे हाथों पकड़ा दस्ता कर्मचारियों को, पकड़े जाने पर देने लगे सफाई

GORAKHPUR: अगर आपके मोहल्ले में कोई 'आवारा पशु' बहुत उत्पात मचा रहा है और आप जीएमसी के 'आवारा पशु वाहन दस्ता' को बुलाने की सोच रहे हैं तो उसे अपने दिमाग से निकाल दीजिए, क्योंकि आवारा पशु वाहन दस्ता पहले तो एक बार के बुलाने में आएगा नहीं और आ भी गया तो आपके मोहल्ले से आवारा पशु को पकड़कर दूसरे मोहल्ले में छोड़ देगा। जी हां, यह सच्चाई है। आई नेक्स्ट टीम को ऐसा ही कुछ मंडे को देखने को मिला।

रेलवे के सड़क नंबर तीन पर छोड़ा

दरअसल, आई नेक्स्ट टीम ललित नारायण रेलवे हॉस्पिटल से न्यूज कवरेज कर लौट रही थी, तभी रेलवे की मेडिकल कॉलोनी को जाने वाली सड़क नंबर तीन पर जीएमसी का 'आवारा पशु वाहन दस्ता' खड़ा मिला। वाहन में एक सांड़ को रस्सी से बांधा गया था। रिपोर्टर वाहन दस्ता के नजदीक पहुंचा तो वहां पहले से खड़ी एक महिला आई नेक्स्ट टीम से बहस शुरू कर दी।

रामजानकारी नगर से आई थी कंप्लेंट

महिला का कहना था कि आवारा पशु वाहन दस्ता ने उसके गाय को जबरदस्ती पकड़ लिया है। महिला के आरोपों की सच्चाई जानने के लिए रिपोर्टर ने दस्ता में बैठे कर्मचारियों से बात की तो उन्होंने बताया कि रामजानकी नगर मोहल्ले से कंप्लेंट आई थी कि एक सांड़ काफी आतंक मचा रहा है। उसी शिकायत पर हमने सांड़ को पकड़ा था। उसे हम जंगल ले जा रहे थे, लेकिन महिला के हंगामा मचाने से उसे मजबूरन रेलवे की मेडिकल कॉलोनी में छोड़ना पड़ा।

इंटरफेयर के चलते बीच रास्ते में छोड़ देते हैं

जबकि नियमानुसार, जीएमसी के आवारा पशु वाहन दस्ता का यह काम होता है कि वह किसी भी आवारा पशु को पकड़कर या तो काजी हाउस ले जाते हैं या फिर किसी जंगल में उसे छोड़ दे, लेकिन कुछ सामाजिक संस्थाओं के इंटरफेयर के चलते सिटी के आवारा पशुओं को पकड़ने में बाधा उत्पन्न हो रही है।

अगर किसी मोहल्ले से आवारा पशु को पकड़ने की कंप्लेंट आती है तो उसे पकड़ा जाता है। उसे काजी हाउस या फिर जंगलों में छोड़ दिया जाता है।

आर.के त्यागी, नगर आयुक्त, जीएमसी, गोरखपुर

Posted By: Inextlive