सीबीआई ने माना अंक चार्ट में हुआ फर्जावाड़ा
- फर्जी मार्क्सशीट प्रकरण में आठवें दिन टीम ने की पूछताछ
- अंक चार्ट में पकड़ी गई गड़बड़ी, कॉलेजों के रिकॉर्ड से मिलान आगरा. आंबेडकर विवि के फर्जी मार्क्सशीट प्रकरण में सीबीआइ ने सुबूत जुटा लिए हैं. रोल नंबर जनरेट (बिना पढ़े और परीक्षा दिए मार्क्सशीट जारी करना) करने के लिए मूल अंक चार्ट में चार से पांच अतिरिक्त पन्ने लगाए गए हैं. इसमें 125 से 150 फर्जी छात्रों का ब्योरा अंक चार्ट में दर्ज किया गया है. टीम फर्जीवाड़े करने वालों को चिन्हित कर रही है. फर्जी बैरीफिकेशन कराने वाले युवकों की जांचसीबीआइ, विवि के बीए सत्र 2006, बीकॉम सत्र 2005, 2008 और बीएड सत्र 2007 की फर्जी मार्क्सशीट और सत्यापन से नौकरी कर रहे युवकों की जांच कर रही है. टीम ने आठ दिनों में बीए, बीकॉम और बीएड में 2005 से 2015 तक कार्यरत रहे कर्मचारियों से पूछताछ की. टीम ने कर्मचारियों से मूल अंक चार्ट ले लिए हैं. सूत्रों के मुताबिक, फर्जी मार्क्सशीट तैयार करने के लिए रोल नंबर जनरेट किए गए. इसके लिए मूल अंक चार्ट में अतिरिक्त पन्ने लगाए गए हैं, अंक चार्टो में चार से पांच अतिरिक्त पन्ने लगाकर 125 से 150 फर्जी मार्क्सशीट जारी की गई.
अंक चार्ट में माना गया फर्जीवाड़ाटीम की जांच में अंक चार्ट में किया गया फर्जीवाड़ा पकड़ में आ गया है. इसमें से अधिकांश छात्रों को प्राइवेट परीक्षा में दर्शाया गया है, अंक चार्ट में दर्ज कॉलेज के रिकॉर्ड भी मांगे गए हैं. यह कॉलेज आगरा और मैनपुरी के हैं, इनसे भी मिलान किया जा रहा है. उधर, टीम द्वारा जुटाए गए सुबूत से कर्मचारियों में खलबली मची हुई है. पिछले आठ दिन में सीबीआइ की टीम दो दर्जन अधिकारी और कर्मचारियों से पूछताछ कर चुकी है.
रेबड़ी की तरह बांटी प्रोविजनल मार्क्ससीट विश्वविद्यालय में पहली बार जांच टीम इतनी लम्बी पूछताछ की है, जिसमें तीन अग्रैल से लेकर दस तक पूछताछ की जा रही है. पिछले कुछ दिनों से मूल मार्क्सशीट को लेकर पूछताछ की जा रही थी, लेकिन मंगलवार को प्रोविजन मार्क्सशीट का रिकॉर्ड मांगा गया है, कि यह किसके द्वारा रिसीव की गई और किसने कब-कब जारी की हैं, जांच टीम के इस निर्णय से ऐसे कर्मचारियों में खलबली मची है, जिन्होंने अपात्र युवकों को रेबड़ी की तरह इन मार्क्सशीटों को बांटा गया है. उक्त मार्क्सशीट को ऐसे युवक निजी जॉब में इस्तेमाल करते हैं, जिसे दिखाकर कंपनी और प्रतिष्ठत संस्थान में आसानी से जॉब मिल जाती है.