- हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने छह महीने में जांच पूरी करने के दिए निर्देश

- एक महीने में सीबीआई को हाईकोर्ट में पेश करनी होगी प्रोग्रेस रिपोर्ट

- भाजपा सरकार में हुई थी भर्तियां, तमाम खामियां मिलने पर चेती थी सरकार

चूंकि महाधिवक्ता कह रहे हैं कि सरकार सीबीआई जांच कराने के लिए तैयार नहीं है तो मजबूर होकर हम स्वयं सीबीआई को इस पूरी चयन प्रक्रिया की जांच करने का आदेश देते हैं।

-हाईकोर्ट

LUCKNOW :

विवादों में घिरी 68,500 सहायक शिक्षक भर्ती-2018 की जांच सीबीआई से कराने के आदेश गुरुवार को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने देकर राज्य सरकार की मुश्किलों में इजाफा कर दिया। अदालत ने यह आदेश सोनिका देवी व अन्य द्वारा दायर याचिका पर दिया है। हाईकोर्ट जज इरशाद अली ने सीबीआई के डायरेक्टर को निर्देश दिया है कि वह छह महीने में इस मामले की जांच पूरी कर हाईकोर्ट को रिपोर्ट सौंपे। इसके अलावा 26 नवंबर को इसकी प्रोग्रेस रिपोर्ट भी मांगी है। साथ ही उन अधिकारियों को चिन्हित करके उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने को भी कहा है जिनकी वजह से परीक्षा की शुचिता तार-तार हुई। अदालत ने अपने आदेश में राज्य सरकार को जमकर फटकार भी लगाई है। कहा कि महाधिवक्ता कह रहे हैं कि सरकार सीबीआई जांच कराने के लिए तैयार नहीं है तो मजबूर होकर हम स्वयं सीबीआई को इस पूरी चयन प्रक्रिया की जांच करने का आदेश देते हैं।

कई अफसर हुए थे सस्पेंड

ध्यान रहे कि 68,500 पदों के लिए शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा में हुई गड़बड़ी पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बड़ी कार्रवाई भी की थी। जांच रिपोर्ट के आधार विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ। प्रभात कुमार ने परीक्षा नियामक प्राधिकारी के रजिस्ट्रार जीवेन्द्र सिंह ऐरी और उप रजिस्ट्रार प्रेम चंद्र कुशवाहा को निलंबित कर दिया था। साथ ही एनसीईआरटी के सात अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई के निर्देश जारी किए थे। जांच टीम ने छानबीन में पाया था कि जिन 343 कॉपियों के मूल्यांकन में गड़बड़ी हुई थी। उनमें से 51 अभ्यर्थी लिखित परीक्षा में सफल थे, लेकिन उन्हें फेल कर दिया गया था। अब वे उत्तीर्ण की श्रेणी में हैं। वहीं 53 ऐसे सफल अभ्यर्थी इस परीक्षा में फेल पाए गए थे जिन्हें शिक्षक के पद पर नियुक्ति मिल चुकी थी। यह जांच रिपोर्ट चीनी उद्योग व गन्ना विकास विभाग के प्रमुख सचिव संजय भुसरेड्डी की अध्यक्षता में बनी तीन सदस्यीय कमेटी ने दी थी। जांच में पाया गया था कि कॉपियों को चेक करने में भारी लापरवाही बरती गई। इससे पहले लिखित परीक्षा के रिजल्ट में गड़बड़ी मिलने पर विगत नौ सितंबर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने परीक्षा नियामक प्राधिकारी सुत्ता सिंह को निलंबित कर दिया था। साथ ही बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव संजय सिन्हा व रजिस्ट्रार जीवेंद्र सिंह ऐरी को हटा दिया गया था। वहीं चार दिन पहले रिजल्ट जारी करने वाली एजेंसी मैनेजमेंट कंट्रोल सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड को ब्लैक लिस्ट भी कर दिया गया था।

कोर्ट ने जताई हैरानी

कोर्ट ने इस बात पर हैरानी भी जताई है कि राज्य सरकार द्वारा गठित जांच समिति और सरकारी तंत्र आज तक उन लोगों को चिन्हित नहीं कर सका जिन्होंने सोनिका देवी व अन्य अभ्यर्थियों के कॉपियों के पन्ने बदल दिए थे। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा कि पिछले बीस साल से लगभग सभी परीक्षाओं की शुचिता तार-तार हो रही है। कई बार यह भी पाया जाता है कि इसमें अफसरों की मिलीभगत है पर उनके खिलाफ कोई कार्रवाई करने के बजाय अभ्यर्थियों को ही भ्रमित किया जाता है। वहीं जांच कमेटियां भी कोई ठोस कदम उठाने की सिफारिश नहीं करती है नतीजतन अभ्यर्थियों को अदालत की शरण में आना पड़ता है। अदालत ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकार अफसरों की खाल बचाने की कवायद करती रहती है। इस मामले में भर्ती प्रक्रिया से जुड़े अफसरों को जांच कमेटी में शामिल कर लिया गया नतीजतन कमेटी ने कुछ नहीं किया। अदालत ने कहा कि यह पूरी तरह अभ्यर्थियों के भरोसे को छलने जैसा है।

भर्ती राजनीतिक उद्देश्य से

कोर्ट ने कहा कि वर्तमान चयन प्रक्रिया पर भारी भ्रष्टाचार व गैर कानूनी चयन के आरोप हैं। सरकार से स्वतंत्र व साफ-सुथरे चयन की उम्मीद की जाती है लेकिन, कुटिल इरादे से राजनीतिक उद्देश्य पूरा करने के लिए प्राथमिक विद्यालयों में बड़े पैमाने पर गैर कानूनी चयन किए गए जिससे नागरिकों के मौलिक अधिकारी बुरी तरह प्रभावित हुए। कोर्ट प्रथम दृष्टया मानती है कि परीक्षा कराने वाले अधिकारियों ने अपने उम्मीदवारों को फायदा पहुंचाने के लिए अधिकारों का दुरुपयोग किया। जिन अभ्यर्थियों को लिखित परीक्षा में कम नंबर मिले, उन्हें अधिक नंबर दे दिए गए। कुछ अभ्यर्थियों की उत्तर पुस्तिकाएं फाड़ दी गईं और पन्ने बदल दिए गए ताकि उन्हें फेल घोषित किया जा सके। सरकार द्वारा बार कोडिंग की जिम्मेदारी जिस एजेंसी को दी गई थी, उसने स्वयं स्वीकार किया है कि 12 अभ्यर्थियों की कॉपियां बदली गई, बावजूद इसके उसके खिलाफ कोई आपराधिक कार्रवाई नहीं की गई।

42 हजार को मिल चुकी है नौकरी

हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद उन 42 हजार लोगों की नौकरी पर भी तलवार लटक गयी है जिन्हें राज्य सरकार नियुक्ति पत्र सौंप चुकी है और वे नौकरी कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर अदालत में सरकार ने स्वीकार किया कि जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में 12 अभ्यर्थियों की कॉपियों को बदले जाने की पुष्टि की थी। पुनर्मूल्यांकन के बाद इन अभ्यर्थियों को सही नंबर भी दिए गये थे। इसके अलावा 23 अभ्यर्थी ऐसे मिले जिन्हें उत्तीर्ण घोषित किया गया पर पहली क्वालिफाइंग सूची में उनका नाम नहीं था।

12460 सहायक शिक्षकों का चयन भी रद

इस बीच, इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने बोर्ड आफ बेसिक एजूकेशन द्वारा किए गए 12460 सहायक बेसिक शिक्षकों के चयन को भी रद कर दिया है। इन भर्तियों के लिए प्रकिया पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के शासनकाल में 21 दिसंबर, 2016 को प्रारंभ की गई थी। कोर्ट ने कहा कि ये भर्तियां यूपी बेसिक एजूकेशन टीचर्स सर्विस रूल्स 1981 के नियमों के तहत नए सिरे से काउसिंलिग कराकर पूरी की जाए। चयन प्रकिया के लिए वही नियम लागू किए जाएंगे जो इनकी प्रकिया प्रारंभ करते समय बनाए गए थे। कोर्ट ने कहा कि सारी प्रकिया तीन माह के भीतर पूरी की जाए।

09 जनवरी : सहायक अध्यापक भर्ती 2018 का शासनादेश जारी

25 जनवरी : भर्ती के लिए ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया शुरू

09 फरवरी : आवेदन लेने की अंतिम तारीख

12 मार्च : लिखित परीक्षा की तारीख जो टाली गई

21 मई : शासन ने उत्तीर्ण प्रतिशत के अंकों में किया बदलाव

27 मई : लिखित परीक्षा प्रदेश भर के मंडल मुख्यालयों पर कराई गई

06 जून : परीक्षा नियामक सचिव ने पहली उत्तर कुंजी जारी की

18 जून : आपत्तियां लेकर संशोधित उत्तर कुंजी जारी की

08 अगस्त : शासन ने उत्तीर्ण प्रतिशत बदला, पहले शासनादेश के अंक मान्य

13 अगस्त : लिखित परीक्षा का परीक्षा परिणाम जारी, 41556 सफल

22 अगस्त : रिजल्ट की जांच व स्कैन कॉपी देने का आदेश

31 अगस्त : पहली चयन सूची 34660 अभ्यर्थियों की जारी

01 सितंबर : सोनिका देवी की उत्तर पुस्तिका बदलने का हाईकोर्ट में राजफाश

02 सितंबर : दूसरी चयन सूची 6127 अभ्यर्थियों की जारी

04 सितंबर : रिजल्ट में कम अंक पाने वालों को स्कैन कॉपी में मिले अधिक अंक

05 सितंबर : प्रदेश के विभिन्न जिलों में चयनितों को मिले नियुक्ति पत्र

08 सितंबर : परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव निलंबित अन्य पर कार्रवाई, तीन सदस्यीय जांच टीम गठित

09 सितंबर : परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय में अभिलेख जलाए गए

28 सितंबर : हाईकोर्ट ने जांच में लीपापोती करने पर नाराजगी जताई और फैसला सुरक्षित किया

05 अक्टूबर : जांच समिति की रिपोर्ट पर रजिस्ट्रार व डिप्टी रजिस्ट्रार भी निलंबित, अन्य पर कार्रवाई का सीएम का आदेश

11 अक्टूबर : पुनर्मूल्यांकन का आवेदन लेने के लिए वेबसाइट शुरू

20 अक्टूबर : 30751 अभ्यर्थियों ने दोबारा मूल्यांकन के लिए किया आवेदन

24 अक्टूबर : रिजल्ट में फेल व कॉपी पर उत्तीर्ण 45 अभ्यर्थियों की सूची परिषद मुख्यालय भेजी

01 नवंबर : हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने सीबीआइ जांच का दिया आदेश

Posted By: Inextlive