बिहार सरकार ने रणबीर सेना के संस्थापक ब्रहमेश्वर सिंह उर्फ मुखिया की हत्या से संबंधित मामले की जांच केंद्रीय अन्वेशण ब्यूरो यानि सीबीआई से करवाने की सिफारिश की है.

रहमेश्वर मुखिया की हत्या एक जून की सुबह आरा शहर में हुई थी। उनपर अज्ञात हमलावरों गोलियां चलाईं थी। उसके बाद आरा समेत पटना शहर में भी मुखिया समर्थकों ने भारी तोड़ फोड़ और आगजनी की थी।

पहले राज्य सरकार का कहना था कि जब मुखिया के परिजन इस घटना की जांच सीबीआई से करवाने की मांग करेंगे तब इस संबंध में कोई अनुशंसा की जाएगी।

इस बीच विपक्षी दल और खुद बिहार की सत्ताधारी भाजपा ने भी इस मामले की सीबीआई से जांच की मांग की थी। अब सीबीआई को ये फैसला लेना है कि वो इस मामले की जांच अपने हाथ कब लेगी।

दो दिन पहले बिहार के राज्यपाल देवानंद कुंवर ने भी इस हत्याकांड के बारे में राज्य सरकार को पूरी रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया था। इस कारण राज्य सरकार काफ़ी दवाब में दिख रही थी।

उधर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अपनी सेवा यात्रा के सिलसिले में दो दिन बाद भोजपुर जाना है, जहां इस हत्याकांड को लेकर अभी भी तनाव है।

समझा जाता है कि इसी तनाव को कम करने के लिए मुख्यमंत्री ने आनन फानन में एक उच्च स्तरीय बैठक करके हत्याकांड की जांच सीबीआई से करवाने का फ़ैसला लिया।

हत्या

एक जून को ब्रहमेश्वर सिंह उर्फ बरमेसर मुखिया की अज्ञात हमलावरों ने आरा शहर में गोली मार कर हत्या कर दी थी। बताया जाता है कि हमलावर मोटरसाइकिल पर सवार थे।

उनकी हत्या के बाद और पटना में शव यात्रा के दौरान उनके समर्थकों ने काफ़ी तोड़ फोड़ और आगजनी की थी।

ब्रहमेश्वर सिंह भूमिहार किसानों की रणवीर सेना के संस्थापक माने जाते हैं और उन पर हत्या के कई मामले दर्ज थे।

भोजपुर ज़िले के खोपिरा गांव के रहने वाले मुखिया ऊंची जाति के ऐसे व्यक्ति थे जिन्हें बड़े पैमाने पर निजी सेना का गठन करने वाले के रुप में जाना जाता है।

मुखिया पर 277 लोगों की हत्या से संबंधित नरसंहारों की विभिन्न घटनाओं में शामिल होने के अभियोग लग चुके हैं। बिहार में नक्सली संगठनों और बडे़ किसानों के बीच खूनी लड़ाई के दौर में एक वक्त वो आया जब बड़े किसानों ने मुखिया के नेतृत्व में अपनी एक सेना बनाई थी।

सितंबर 1994 में बरमेसर मुखिया के नेतृत्व में जो सगंठन बना उसे रणवीर सेना का नाम दिया गया। उस समय इस संगठन को भूमिहार किसानों की निजी सेना कहा जाता था। इस सेना की खूनी भिड़ंत अक्सर नक्सली संगठनों से हुआ करती थी।

Posted By: Inextlive