सीसीएस यूनिवर्सिटी में इतने घपले और घोटाले चल रहे हैं कि यहां परमानेंट विजिलेंस ऑफिस की जरूरत है. सीसीएसयू से जुड़े दर्जनों मामलों की विजिलेंस जांच चल रही है

सीसीएस यूनिवर्सिटी में इतने घपले और घोटाले चल रहे हैं कि यहां परमानेंट विजिलेंस ऑफिस की जरूरत है। सीसीएसयू से जुड़े दर्जनों मामलों की विजिलेंस जांच चल रही है, जिसमें तीन कुलपतियों से लेकर कई प्राध्यापक और कर्मचारी शामिल हैं। आए दिन विजिलेंस टीम सबूतों की तलाश में यूनिवर्सिटी आती रहती है। छानबीन करती है और लौट जाती है। अगर यूनिवर्सिटी में ही विजिलेंस ऑफिस स्थापित हो जाए तो फिर जांच की रफ्तार में तेजी आ जाए। अगर ये जांच पूरी हो जाएं तो, यूनिवर्सिटी के घोटालेबाजों के लिए एक अलग जेल की जरूरत पड़ सकती है।

जरूरत है

सीसीएस यूनिवर्सिटी में बहुत संगीन गड़बड़ है। यूनिवर्सिटी में भ्रष्टाचार की जड़ें कितनी गहरी हैं, इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि विजिलेंस टीम यहां आए दिन खोजबीन करती रहती है। विजिलेंस विभाग में वर्षों पुराने मामलों की जांच अभी तक पेंडिंग चली आ रही है। इसकी वजह सिर्फ और सिर्फ यूनिवर्सिटी अधिकारियों का सहयोग न करना है। सहयोग न करने की बानगी उत्तर पुस्तिका मूल्यांकन घोटाले तक में देखने को मिलती है। इस मामले में कमिश्नर ने शासन को साफ-साफ लिखकर दे दिया है कि यूनिवर्सिटी मूल्यांकन घोटाले की जांच में बिल्कुल सहयोग नहीं कर रही है।

कौन-कौन से मामले

पूर्व कुलपतियों से गिनती शुरू करते हैं। प्रो। केसी पांडेय के कार्यकाल में हुई नियुक्तियों की जांच विजिलेंस टीम कर रही है। आरोप है कि इस कार्यकाल के दौरान नियुक्तियों में भ्रष्टाचार किया गया। यह जांच अभी तक विजिलेंस विभाग की फाइलों में घिसट रही है। इसके बाद पूर्व कुलपति डॉ। आरपी सिंह के कार्यकाल में सेल्फ फाइनेंस कॉलेजों को मान्यता की बंदरबांट से लेकर प्रोफेसर की फर्जी नियुक्तियों की जांच चल रही है।

हर बात की जांच

खुद डॉ। आरपी सिंह की जांच विजिलेंस विभाग कर रहा है। उनकी संपत्ति, जमीन, कॉलेजों आदि की जांच विभाग में अटकी पड़ी है। इस सिलसिले में विजिलेंस टीम यूनिवर्सिटी की खाक छानने आती रहती है। ठोस सबूत न मिलने के कारण एक भी जांच पूरी नहीं हो पा रही है। इनके कार्यकाल में नियुक्त हुए दो प्रोफेसरों की जांच भी विजिलेंस टीम कर रही है।

रिश्वत कांड

पूर्व कुलपति प्रो। एसपी ओझा की रिश्वत वाली सीडी की जांच भी विजिलेंस विभाग कर रहा है। इस कांड ने प्रो। ओझा से कुलपति की कुर्सी छीन ली थी। इसकी जांच भी आज तक जारी है। विजिलेंस विभाग किसी परिणाम पर अभी तक नहीं पहुंच पाया है।

कर्मचारी भी

डेली वेजेज कर्मचारियों की नियुक्ति की जांच विजिलेंस की टीम कर रही है। इनके बयान भी कई बार दर्ज किए जा चुके हैं। आरोप है कि कर्मचारियों की नियुक्ति के समय न तो विज्ञापन जारी किया गया और न ही इंटरव्यू आदि हुए। यहां तक कि यूनिवर्सिटी के पास इन कर्मचारियों के कागजात तक नहीं हैं।

Posted By: Inextlive