-फ्राइडे को भी हुई illegal buildings की ceiling

-Buyers को लग रहा चूना, समय पर नहीं होती कार्रवाई

JAMSHEDPUR : हर आदमी का सपना होता है कि उसका अपना एक आशियाना हो। कई लोग इसके लिए अपने जीवन भर की कमाई लगा देते हैं, तो कई सारी जरूरतों में कटौती कर सालों लोन की किस्तें भरते है। इन सारी जद्दोजहद के बाद खरीदे गए चार में इंट्री से पहले सीलिंग का नोटिस चिपका दिया जाए तो खरीदार की हालत का अंदाजा लगाया जा सकता है। सिटी में ऐसी हालात के शिकार कई लोग हैं। डिस्ट्रिचट एडमिनिस्ट्रेशन द्वारा सिटी में पिछले दो दिनों से नचशा विचलन कर बनाए गए बिल्डिंचस के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है। अभी तक पांच अंडर कंस्ट्रचशन बिल्डिंग को सील किया जा चुका है। ये कार्रवाई भले ही सही हो, लेकिन सवाल उठता है कि बिल्डर की गलती और इस गलती को बढ़ावा देने वाले लोगों की वजह से अपनी सारी कमाई गंवा चुके लोगों को किसका सहारा मिलेगा?

Seal हुए apartments

जमशेदपुर नोटिफाइड एरिया कमिटी (जेएनएसी) के ऑफिसर्स ने फ्राइडे को सोनारी कुंजनगर में नचशा का डेविएशन कर बनाए जा रहे दो बिल्डिंचस को सील किया। थर्सडे को भी सिटी के कदमा एरिया में ऐसी ही तीन अंडर कंस्ट्रचशन बिल्डिंचस को सील किया गया था। ये अभियान आगे भी जारी रखने की बात कही जा रही है। जेएनएसी के ऑफिसर्स ने कहा कि सैटरडे को भी दो बिल्डिंचस की सीलिंग की जाएगी। उनका कहना है कि इन सभी बिल्डिंचस को नोटिस भेजा गया था, लेकिन उसका कोई जवाब नहीं आने पर ये कार्रवाई की गई।

धड़ल्ले से हो रहा norms का deviation

यह पहली बार नहीं है जब नाचर्स का डेविएशन कर बनाए गए बिल्डिंचस पर कार्रवाई की गई हो। 2011 में भी एडमिनिस्ट्रेशन द्वारा बेसमेंट का मिसयूज कर रहे बिल्डिंचस पर कार्रवाई की गई थी। बाद में गवर्नमेंट द्वारा ऑर्डिनेंस भी लाया गया था। इसके तहत पेनाल्टी देकर डेविएटेड पोर्शन को रेचयूलराइज करने का ऑचशन दिया गया था, लेकिन इन सारी कार्रवाई के बाद सिटी में बिल्डिंचस बनाने में धड़ल्ले से नॉचर्स का डेविएशन किया जा रहा है।

Buyers बनते हैं शिकार

बिल्डर्स की इस मनमानी का शिकार बायर्स बन रहे हैं। अचसर चलैट बेचते वचत बायर्स को पूरी जानकारी नहीं दी जाती है। अगर प्रोजेचट में किसी तरह की गड़बड़ी है, तो बायर्स को इसे लेकर अंधेरे में रखा जाता है। ऐसे में अचसर लोग झांसे में फंसकर अपनी पूंजी गंवाते हैं।

किसकी है गलती?

बिल्डर्स द्वारा की जा रही इस मनमानी के लिए जिचमेदार कौन है? चयूनिसिपल अथॉरिटीज द्वारा किसी इमारत का नचशा पास किया जाता है बाद में प्रोजेचट कंचलीट हो जाने पर ऑचयूपेंसी सर्टिफिकेट लेना पड़ता है। सर्टिफिकेट इश्यू करते वचत ये देखा जाता है कि बिल्डिंग नचशे के अनुरूप बनी है या नहीं, लेकिन सिटी में कम ही लोग ऑचयूपेंसी सर्टिफिकेट लेने की कोशिश करते हैं। वहीं, डिपार्टमेंट भी इसे लेकर चयादा परेशान नहीं होता। समय-समय पर नींद खुलती है तो सीलिंग या डेमोलिशन जैसी कार्रवाई होती है।

चया कहते हैं अधिकारी?

सिटी में आए दिन इल्लीगल बिल्डिंचस को लेकर कार्रवाई की जाती है। पर हैरानी की बात यह है कि जेएनएसी के पास सिटी में मौजूद इल्लीगल बिल्डिंचस की संचया के संबंध में कोई जानकारी नहीं है। जेएनएसी के स्पेशल ऑफिसर दीपक सहाय कहते हैं कि डिपार्टमेंट के पास ऐसी कोई संचया मौजूद नहीं है। समय-समय पर जानकारी मिलने पर नोटिस भेजा जाता है और नोटिस का जवाब नहीं मिलने पर कार्रवाई होती है। उचहोंने ऑचयूपेंसी सर्टिफिकेट नहीं लेने को भी एक समस्या बतायी।

Flat खरीदने से पहले इन बातों का रखें चयाल

-किसी भी प्रॉपर्टी को खरीदने से पहले अप्रूव्ड लेआउट चलान, बिल्डिंग चलान, ऑनरशिप डॉचयूमेंट की जांच जरूरी है।

- अगर अंडर कंस्ट्रचशन चलैट खरीदते वचत बिल्डिंग का अप्रूव्ड चलान, चलोर्स की संचया का पता लगाए साथ ही पता लगाना भी बेहद जरूरी है कि आप जिस चलोर पर चलैट खरीद रहे हैं वो अप्रूव्ड है या नहीं।

-यह चेक करना जरूरी है कि लैंड ओनरशिप का टाइटल फ्री और चिलयर हो।

-बिल्डिंग बायलॉज के प्रोविजचस को फॉलो किया गया है या नहीं।

-ये देखना भी जरूरी है कि इलेचिट्रसिटी, वाटर फैसिलिटीज के लिए एनओसी है या नहीं।

नचशा डेविएशन कर बनाई गई बिल्डिंचस के खिलाफ नोटिस भेजा जा रहा है। जबाव नहीं आने पर कार्रवाई की जाती है। कोशिश की जा रही है की सभी लोग ऑचयूपेंसी सर्टिफिकेट लेने के लिए आए।

-दीपक सहाय, स्पेशल ऑफिसर, जेएनएसी

Posted By: Inextlive