एक गे राइट एक्टिविस्ट के तौर पर सेलिना को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है कि लोग उनके बारे में क्या सोचते हैं


एक गे राइट एक्टिविस्ट के तौर पर सेलिना को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है कि लोग उनके बारे में क्या सोचते हैं. वह एक दायरे और सेट फ्रेम से बाहर निकलने पर यकीन रखती हैं. वह कहती हैं, ‘जब मैंने जानशीं में पहली बार बिकिनी शॉट दिया तो भी लोगों ने मुझे बहुत क्रिटिसाइज किया था. आज जब मैं इंडिया में होमोसेक्सुएलिटी के लिए अपनी आवाज उठाती हूं, तो भी कभी-कभी रिएक्शंस वैसे ही होते हैं. जब मैंने पहली बार ऐसे लोगों को अपना सपोर्ट दिया तो कुछ लोगों ने राय बना ली कि मैं भी उन लोगों में शामिल हूं. फर्क क्या पड़ता है? मैं हर उस चीज के फेवर में खड़ी होऊंगी जो मुझे सही लगती हैं.’The dilemma
सेलिना का पहला ब्वॉयफ्रेंड गे था और जब उन्हें इसका पता चला था तो वह इस बात के साथ खुद को एडजस्ट नहीं कर पाईं. सेलिना ने बताया, ‘पहली बार जब मुझे इस बात का पता चला था कि मेरा ब्वायफ्रेंड गे है तो बहुत ही अजीब लगा था. कहीं न कहीं शायद मेरे अंदर छिपी औरत इस बात के साथ खुद को एडजस्ट ही नहीं कर पा रही थी. बाद में हमारा रिलेशन खत्म हो गया लेकिन हम काफी अच्छे दोस्तों की तरह थे और हर बात शेयर करते थे. उसकी डेथ हो गई. आज मैं जो कुछ भी कर रही हूं वह मेरी लाइफ के इन दो सबसे स्पेशल लोगों के लिए ही है और मैं अपनी मुहिम को आगे बढ़ाती रहूंगी. सिर्फ मैं ही क्यूं मेरे ख्याल से हर किसी को आगे आना चाहिए.’

Celebrate the womanhoodसेलिना को अपने लडक़ी होने पर गर्व है. वह कहती हैं, "कभी इस बात पर अफसोस मत जताइए कि भगवान ने आपको लडक़ी क्यों बनाया. आप को तो खुश होना चाहिए कि आप एक लडक़ी हैं. भारत में भले ही आज लड़कियों के लिए मिडिल क्लास मेंटैलिटी बदली न हो लेकिन यह सच है कि लड़कियां सबसे स्ट्रांग होती हैं, स्पेशली इंडियन गर्ल, जरूरी बस ये है कि आप जिस पर यकीन करते हैं, अपने एक्शंस से उसे सपोर्ट दे सकें".(As told to Recha Bajpayee)

Posted By: Divyanshu Bhard