-पीजीआई के शहीद पथ पर मंगलवार को की थी लूट

चोरी की बाइक से देते थे वारदात को अंजाम

-पूछताछ में आधा दर्जन वारदातों को अंजाम देना कबूला, पुलिस पड़ताल में जुटी

LUCKNOW: जब वह टीएसआई था तो खुद की चालान बुक छपवा ली और गाडि़यों का चालान करने लगामामले का खुलासा हुआ तो उसे बर्खास्त कर दिया गया। हालांकि, इससे भी उसने सबक न लिया और अपने भतीजे के साथ हाइवे पर करने लगा लूटआधा दर्जन लूट की वारदातों को अंजाम देने में सफल रही चाचा-भतीजे की यह जोड़ी पुलिस के शिकंजे में तब फंसी जब उन्होंने डीआईजी ऑफिस में तैनात कॉन्सटेबल को ही अपना शिकार बना डाला। पुलिस ने आरोपी चाचा-भतीजे को अरेस्ट कर लिया है।

दावत से लौट रहा था कॉन्सटेबल

इंदिरानगर सेक्टर 11 निवासी कॉन्सटेबल देवेंद्र सिंह डीआईजी रेंज ऑफिस में तैनात है। मंगलवार रात देवेंद्र अपनी कार से तेलीबाग में रहने वाले दोस्त के बेटे की बर्थ-डे पार्टी में शामिल होने के लिये गए थे। उनके संग उनकी वाइफ भी थी। रात करीब 11 बजे देवेंद्र पार्टी खत्म होने पर वापस लौटने लगे। इसी दौरान जब वे शहीद पथ स्थित इंटरनेशनल स्कूल के करीब पहुंचे, तभी सफेद अपाचे बाइक सवार दो लोगों ने उन्हें रोक लिया। देवेंद्र के मुताबिक, कार रुकते ही एक शख्स ने उस पर पिस्टल तान दी और उनकी जेब में रखे 6 हजार रुपये छीन लिये। इसके बाद वे दोनों बाइक पर सवार होकर वहां से भाग निकले।

देख लिया बाइक का नंबर

बदमाशों के भागते वक्त देवेंद्र ने कार की हेडलाइट ऑन कर दी और रोशनी होते ही उनकी बाइक का नंबर (यूपी32जीजे/0333) नोट कर लिया। इसके बाद वह बिना पुलिस को इंफॉर्मेशन दिये वापस घर लौट गया। बुधवार को देवेंद्र अपने दफ्तर पहुंचा और सहकर्मियों को पूरी आपबीती सुनाई। जिसे सुन उसके साथियों ने उसे पीजीआई थाने में एफआईआर दर्ज कराने की सलाह दी। पुलिसकर्मी होने के बावजूद लुट जाने से शर्मसार देवेंद्र काफी हिम्मत जुटाकर पीजीआई थाने पहुंचा और पुलिस को तहरीर देकर एफआईआर दर्ज कराई।

मुखबिर की इंफॉर्मेशन पर हुए अरेस्ट

मामला संगीन होने की वजह से विवेचक एसआई विनोद सिंह ने फौरन बाइक के नंबर की डिटेल निकलवाई। पर, वह नंबर कार का निकला। आखिरकार एरिया में सफेद अपाचे बाइक की तलाश में मुखबिरों को सक्रिय किया गया। इसी बीच गुरुवार शाम एसआई सिंह को इंफॉर्मेशन मिली कि बताए गए नंबर प्लेट की बाइक पर सवार दो बाइकर्स शहीद पथ स्थित सेक्टर 8 मोड़ के करीब मौजूद हैं। जानकारी मिलते ही पुलिस टीम ने आनन-फानन दबिश देकर उस बाइक पर सवार दोनों लोगों को दबोच लिया। पकड़े जाने पर उनकी शिनाख्त आशियाना के सेक्टर जी निवासी पूर्व टीएसआई राजेंद्र शुक्ला और उसके भतीजे सुनील शुक्ला के रूप में हुई। पुलिस ने शिनाख्त के लिये कॉन्सटेबल देवेंद्र को बुलाया। उसने उन दोनों को पहचान लिया। जिस पर पुलिस ने राजेंद्र और सुनील को अरेस्ट कर लिया।

कई बार जा चुका है जेल

एसआई विनोद सिंह ने बताया कि आरोपी राजेंद्र शुक्ला पीएसी का पूर्व प्लाटून कमांडर है। वर्ष 2007 से 2011 तक राजेंद्र लखनऊ में टीएसआई के पद पर कार्यरत रहा। आपराधिक मानसिकता वाले राजेंद्र ने टीएसआई रहते खुद की चालान शमन शुल्क बुक छपवा ली और व्हीकल्स का शमन शुल्क जमा कर अपनी जेब गर्म करने लगा। इस फर्जीवाड़े का खुलासा होने पर आरोपी राजेंद्र को अरेस्ट कर लिया गया और उसे नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया। एसआई सिंह के मुताबिक, राजेंद्र इससे पहले बाराबंकी और कानपुर में भी लूट व चोरी के आरोप में अरेस्ट कर जेल जा चुका है।

Posted By: Inextlive