चौधरी जितेन्द्र नाथ सिंह तीसरी बार चुने गये केपी ट्रस्ट के अध्यक्ष

निकटतम प्रतिद्वंदी डॉ। सुशील सिन्हा को भारी अंतर से हराकर जीता चुनाव

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PRAYAGRAJ: एशिया के कई देशों में पहुंच रखने वाले केपी ट्रस्ट के अध्यक्ष पद की कुर्सी तीसरी बार चौधरी जितेन्द्र नाथ संभालेंगे। बेहद कम वोटिंग वाले चुनाव में उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वन्दी डॉ। सुशील कुमार सिनहा को मात दी है। बुधवार को काउंटिंग के बाद जीत की चौधरी जितेन्द्र नाथ के विजेता होने की घोषणा होते ही समर्थक उछल पड़े। जय-जयकार के बीच चौधरी जितेन्द्र नाथ ने ट्रस्ट के संस्थापक मुंशी काली प्रसाद की मूर्ति पर माल्यार्पण किया।

आधे वोटों पर अकेले किया कब्जा

केपी ट्रस्ट के अध्यक्ष पद के चुनाव में कुल आठ प्रत्याशी मैदान में थे। चौधरी जितेंद्र नाथ सिंह ने आधे से अधिक वोट पर कब्जा जमाया। बता दें कि चुनाव में कुल 8581 वोटों की गिनती की गई और इसमें से 4432 वोट उन्हें मिले। दूसरे नंबर पर डॉ। सुशील कुमार सिन्हा रहे। जिन्हें 1598 वोटों से संतोष करना पड़ा। जितेंद्र नाथ ने यह चुनाव 2834 वोटों के बड़े अंतर से अपने नाम किया। दीपक कुमार, रजनीकांत श्रीवास्तव, प्रीती श्रीवास्तव और कल्पना श्रीवास्तव सैकड़ा का आंकड़ा भी नहीं छू सके।

किसको मिले कितने वोट

दीपक कुमार 53

चौधरी जितेंद्र नाथ सिंह 4432

कल्पना श्रीवास्तव 55

कुमार नारायण 1469

प्रीती श्रीवास्तव 6

रजनीकांत श्रीवास्तव 48

डॉ। सुशील कुमार सिन्हा 1598

डॉ। विवेक श्रीवास्तव 822

अवैध वोट- 98

कुल पड़े वोट- 8581

कम वोटिंग में भी जीता चुनाव

चौधरी जितेंद्र नाथ सिंह ने चुनाव शानदार तरीके से जीता है। जबकि वोटिंग कुल 26.7 फीसदी ही हुई थी। ऐसे में माना जा रहा था कि हार जीत का प्रतिशत काफी कम होगा लेकिन ऐसा नही हुआ। चुनाव पूरी तरह से एकतरफा साबित हुआ। कुल चार चरण में काउंटिंग हुई। प्रत्येक चरण में चौधरी जितेंद्र नाथ बाकी प्रत्याशियों पर भारी पड़े। दूसरे राउंड में प्रत्याशी प्रीती श्रीवास्तव का खाता तक नही खुला। उन्हें चुनाव में कुल छह वोट ही मिले। आलम यह रहा कि दूसरे और तीसरे राउंड की गिनती के बीच कई प्रत्याशी काउंटिंग स्थल को छोड़ चुके थे। यह भी बता दें कि चौधरी जितेंद्र नाथ इसके पहले एक जनवरी 1999 से 31 दिसंबर 2008 के बीच अध्यक्ष रहे थे। इस दौरान उन्होंने दो कार्यकाल पूरे किए थे। तीसरी बार वह एक जनवरी 2019 से अपना कार्यकाल शुरू करेंगे।

आज आएंगे सदस्यों का परिणाम

अध्यक्ष के बाद गुरुवार को कायस्थ पाठशाला के कार्यकारिणी सदस्यों का चुनाव परिणाम घोषित किया जाएगा। चुनाव में कुल 59 लोग किस्मत आजमा रहे हैं जिसमें से कुल 20 सदस्यों को चुना जाएगा। हालांकि केपी ट्रस्ट को संचालित करने वाली बॉडी में होगा कौन? यह अध्यक्ष ही तय करेंगे। चुने गये सदस्यों में से किसी को कार्यकारिणी में स्थान मिलेगा या नहीं? यह भी अध्यक्ष की मर्जी पर निर्भर है। चुनाव संपन्न कराने में रिटर्निग ऑफिसर प्रमोद कुमार के नेतृत्व में राजेश श्रीवास्तव, कुलदीप श्रीवास्तव, सुधीर श्रीवास्तव, एसडी कौटिल्य, योगेंद्र सिंह आदि का अहम योगदान रहा। परिणाम आने के बाद सभी ने उनका धन्यवाद दिया।

दलीय मर्यादाएं हुई दरकिनार

केपी ट्रस्ट चुनाव की एक और खास बात यह रही कि यहां वोट दलों से ऊपर उठकर डाले गये। सिद्धार्थनाथ सिंह भाजपा सरकार में स्वास्थ्य मंत्री हैं, उन्होंने न सिर्फ जितेन्द्र नाथ का सपोर्ट किया बल्कि उनके लिए कैंपेनिंग भी की। इसी प्रकार कांग्रेस से ताल्लुक रखने वाली सुनील शास्त्री केपी ट्रस्ट के चुनाव में हिस्सा लेने के लिए प्रयागराज आये। कैंपेनिंग के दौरान वह भी चौधरी जितेन्द्र नाथ के साथ ही खड़े थे। बता दें कि चौधरी जितेन्द्र नाथ कांग्रेस सदस्य के रूप में शहर के मेयर रह चुके हैं और विधानसभा चुनाव भी कांग्रेस के ही टिकट पर लड़ा था। दूसरे स्थान पर रहे डॉ सुशील कुमार सिनहा भाजपा से जुड़े हुए हैं और रजनीकांत श्रीवास्तव भी भाजपा से ही जुड़े हुए हैं।

चौथी बार एक ही परिवार में कुर्सी

कायस्थ पाठशाला ट्रस्ट के चुनाव में पांच में से यह चौथा मौका होगा जब कुर्सी एक ही परिवार में है। पहले चौधरी जितेन्द्र नाथ दो बार अध्यक्ष निर्वाचित हुए। इसके बाद वह कांग्रेस के टिकट पर मेयर निर्वाचित हो गये थे। इस दौरान हुए चुनाव में सीनियर एडवाकेट टीपी सिंह ने प्रतिष्ठित अध्यक्ष पद पर कब्जा जमा लिया था। इसके बाद हुए चुनाव में चौधरी जितेन्द्र नाथ के भाई अधिवक्ता चौधरी राघवेन्द्र मिश्र ने किस्मत आजमायी और सफलता उनके खाते में दर्ज हो गयी। वर्तमान समय में वही केपी ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं। इस बार उन्होंने फिर से भाई के लिए सीट छोड़ दी तो जितेन्द्र के सिर फिर से जीत का सेहरा बंध गया। बता दें कि टीपी सिंह ने इस बार अध्यक्ष पद पर किस्मत आजमाने की भरपूर कोशिश की थी। उन्होंने इसके लिए हाई कोर्ट का सहारा भी लिया था। लेकिन, तकनीकी कारणों से उनका पर्चा ही खारिज कर दिया गया था।

1872 में हुई थी ट्रस्ट की स्थापना

बता दें कि कायस्थ पाठशाला ट्रस्ट की स्थापना 1872 में मुंशी काली प्रसाद ने की थी। उन्होंने समाज को शिक्षित करने के लिए अपने जीवन भर की कमाई को दानकर कायस्थ पाठशाला की स्थापना की थी। यह आज एशिया का सबसे बड़ा ट्रस्ट है। देश और दुनिया भर के कायस्थों का संगठन है। इसका चुनाव पांच साल में एक बार होता है। चुनाव में अध्यक्ष सहित 20 निर्वाचित कार्यकारिणी सदस्य होते हैं। 30 सदस्यों को कार्यकारिणी के लिए मनोनीत किया जाता है। ट्रस्ट में लगभग 30 हजार सदस्य हैं और इन्हीं सदस्यों को मतदान का अधिकार होता है।

मूल रूप से कायस्थ ही होते हैं सदस्य

बता दें कि केपी ट्रस्ट का सदस्य वही बन सकता है, जो मूल रूप से कायस्थ हो। अंतर्जातीय विवाह करने के बाद कायस्थ पाठशाला की सदस्यता समाप्त कर दी जाती है। पाठशाला के चुनाव में हिस्सा लेने के लिए देश भर के साथ दुनिया के अलग-अलग देशों में रहने वाले सदस्य मतदान के लिए पंहुचते हैं। यह पाठशाला मूल रूप शिक्षा के लिए देश भर में काम करती है। ट्रस्ट कायस्थों को विधवा पेंशन, गरीब परिवार के लोगों की आर्थिक सहायता, गरीब बेटियों की शादी जैसे सामाजिक कार्य करती है।

Posted By: Inextlive