PATNA : एक तरफ अपराधी हाइटेक हो गए हैं। वह अपराध करने के लिए हाइटेक तरीकों का सहारा ले रहे हैं वहीं दूसरी तरफ राजधानी पुलिस सुविधाओं के अभाव हाफ रही है। पुलिस के पास अधिकतर ऐसी जीप है जो 15 साल पुरानी हो चुकी है। जिसे धक्का मारकर स्टार्ट करना पड़ता है। इस जीप से अपराधियों पकड़ने के लिए कहना बेइमानी होगा। जानकारी के अनुसार ये वाहन 3 लाख किलोमीटर से भी ज्यादा चल चुके हैं। ज्यादातर थानों की गाडियां न केवल कंपनी द्वारा निर्धारित किलोमीटर से ज्यादा चल चुकी हैं बल्कि इनके पुर्जे भी पुराने हो चुके हैं।

रास्ते में ही रुक जाते हैं वाहन

कभी-कभी तो धक्का मारकर थाने के वाहनों को चालू करना पड़ता है। इसके साथ ही कई वाहन चलते-चलते बीच रास्ते में ही बंद हो जाते हैं। ऐसे में अपराधियों की फर्राटे से दौड़ने

वाली गाडि़यों का पीछा पुलिस नहीं कर पाती हैं। हालांकि पुलिस अफसर इसे वजह नहीं मानते, क्योंकि उन्होंने हालात को सुधारने की दिशा में कोई पहल ही नहीं की है लेकिन देखा जाए तो आज भी पुराने ढर्रे पर पुलिसिंग जारी है।

लाइन से नहीं मिलता पैसा

थानेदारों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर पटना पुलिस की गाडि़यों के मामले में भ्रष्टाचार की पोल खोल दी। उन्होंने बताया कि एक गाड़ी की मरम्मत के लिए प्रति वर्ष सरकार 15 हजार रुपए देती है, लेकिन यह रकम उन तक नहीं पहुंचती। गाड़ी खराब होने पर जब पुलिस लाइन के जिम्मेदार अफसर को सूचना दी जाती है तो वे खटारा वाहन भेज देते हैं।

ऐसे कबाड़ हो जाते है वाहन

मरम्मत के लिए भेजी गई गाड़ी कबाड़ में सड़ जाती है। बड़ी बात है कि एक गाड़ी देने और दूसरी लेने की प्रक्रिया में इतने दाव-पेंच है कि वे अपने ही खर्च से छोटे-मोटे काम करवा कर वाहन को उपयोग के लायक बना लेते हैं। लाइन में गाड़ी भेजने की जहमत नहीं उठाते। थानाध्यक्षों के मुताबिक अगर मरम्मत का पूरा पैसा वाहन को दुरुस्त करने में लगाया जाए तो वे हमेशा चालू हालत में मिलेंगे।

250 से अधिक वाहनों की दरकार

अपराध पर नियंत्रण और 25 लाख से अधिक की आबादी को सुरक्षा मुहैया कराने के लिए जिम्मेवार पटना पुलिस को वर्तमान में 250 से अधिक वाहनों की जरूरत है। कागज पर अभी छोटे, बड़े और हल्के मिलाकर 145 वाहनों को उपयोगी बताया गया है, जबकि हकीकत इससे कोसों दूर हैं। जिन

वाहनों को दुरुस्त बताया जा रहा है, वे दस किलोमीटर तक भी लगातार नहीं चल सकते हैं। जिले में ऐसे कई थाने हैं, जहां जब्त की गई बड़ी गाडि़यों से पेट्रोलिंग की जाती है और लग्जरी वाहनों को थानेदार खुद के इस्तेमाल में लाते हैं।

वरीय पुलिस अधीक्षक मनु महाराज ने बताया कि समय-समय पर वाहनों की मांग की जाती है। हाल ही में कुछ नए बोलेरो वाहन पुलिस को मिले भी है। हमारी टीम हमेशा अपराधियों को पकड़ने के लिए चौकन्ना रहती है। कभी भी वाहनों के कारण कोई भी अपराधी हमारे चंगुल से छूट कर नहीं भाग पाया। दिए गए संसाधनों में ही पटना पुलिस अपना बेहतर कार्य प्रदर्शन करने में लगी हुई है।

Posted By: Inextlive