- देश के अलग-अलग हिस्सों से आये कलाकारों की प्रस्तुति में दिख रही विभिन्न संस्कृतियों की झलक

- माघ मेले में सांस्कृतिक मंच पर बह रही सुरों की रसधारा

देश के अलग-अलग हिस्सों से आये कलाकारों की प्रस्तुति में दिख रही विभिन्न संस्कृतियों की झलक

- माघ मेले में सांस्कृतिक मंच पर बह रही सुरों की रसधारा

ALLAHABAD: allahabad@inext.co.in

ALLAHABAD: संगम नगरी में इन दिनों चल रहे माघ मेले में आध्यात्म और आस्था का मिलन आत्मिक सुख दे रहा है। विभन्न प्रदेशों की लोक कलाओं का संगम भी तंबुओं की नगरी में हिलोरे ले रहा है। उत्तर मध्य सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से आयोजित सांस्कृतिक प्रस्तुति 'चलो मन गंगा यमुना तीर' के दूसरे दिन सुरों व लोकनृत्य से सजी महफिल ने लोगों का खूब मनोरंजन किया। वेडनसडे को केन्द्र के माघ मेला पंडाल में स्थानीय कलाकारों से लेकर मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश और राजस्थान के लोकनृत्य कलाकारों ने अपनी पस्तुति से लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया।

दो सत्रों में सज रही लोक कलाओं की महफिल

चलो मन गंगा यमुना तीर कार्यक्रम के दौरान दो सत्रों में लोक कलाओं पर आधारित प्रस्तुतियां दर्शकों के लिए पेश की जा रही हैं। बुधवार को पहले सत्र की शुरुआत स्थानीय कलाकार हरे राम द्विवेदी के भजनों से हुई। उन्होंने अपनी भजनों दो दिन का जग में मेला, सब चला चली का खेला और जग में सुन्दर हैं दो नाम चाहे कृष्ण कहो या राम की शानदार प्रस्तुति देकर लोगों को भक्ति की सरिता में डूबने पर मजबूर कर दिया। इसके साथ ही सिटी की सिंगर रागिनी चंद्रा ने भी अपनी भजन गंगा द्वारे बधाई बाजेसे लोगों की जमकर तालियां बटोरीं। शहर के ही पंचम यादव व सौम्या ने लोक गीतों की प्रस्तुति दी। रायबरेली से आए रामरथ पाण्डेय के आल्हा गायन ने भी लोगों का मनोरंजन किया।

लोक नृत्य में दिखी सांस्कृतिक विरासत की झलक

दूसरे सत्र में लोक नृत्य की प्रस्तुतियों ने देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की शानदार छवि पेश की। इसकी शुरुआत मध्य प्रदेश भोपाल से आयी श्रुति अधिकारी के संतूर वादन से हुई। उसके बाद मणिपुर के जगोई गरूप दल के कलाकारों ने स्टिक डांस समेत कई मनोहारी नृत्य पेश करके लोगों को वहां की संस्कृति की झलक से रूबरू कराया। उड़ीसा के कलाकार चैतन्य चरन दास एवं दल ने शास्त्रीय नृत्य पर आधारित गोटीपुआ डांस की शानदार प्रस्तुति दी। राजस्थान से आये शंकरदास एवं दल ने कामड़ समुदाय की आस्था को आयाम देने वाले नृत्य तेरहताली की प्रस्तुति दी। गुजरात के जनजातीय नृत्य राठवानी व आंध्र प्रदेश के पारम्परिक लोकाचार को समर्पित कोया नृत्य का भी दर्शकों ने खूब आनंद उठाया। लखनऊ से आए लोकगायक परमहंस चौरसिया के भोजपुरी गानों के साथ वेडनसडे के कार्यक्रमों का समापन हुआ। अंत में पूर्व केन्द्र निदेशक गौरव कृष्ण बंसल ने सभी का आभार प्रकट किया।

Posted By: Inextlive