10वीं और 12वीं में डायरेक्ट एडमिशन के लिए सीबीएसई ने बदले दिशा-निर्देश

डायरेक्ट एडमिशन के लिए देने होंगे प्रमाण पत्र, आवेदन की सीमा भी 31 अगस्त की जगह 15 जुलाई की

Meerut. 10वीं व 12वीं में दूसरे स्कूल में डायरेक्ट एडमिशन लेना अब स्टूडेंट्स के लिए आसान नहीं होगा. सीबीएसई ने एडमिशन के नियमों को सख्त बनाते हुए बदलाव भी कर दिया है. यही नहीं सीबीएसई ने आवेदन की समय-सीमा में भी बदलाव कर दिया है. अब 31 अगस्त की जगह 15 जुलाई तक ही आवेदन हो सकेंगे.

बताना होगा कारण

9वीं व 11वीं के बाद स्कूल चेंज करने के लिए पेरेंट्स को पहले कारण बताना होगा. सीबीएसई अधिकारियों का कहना है कि स्कूल बदलने की वजह से बच्चे की पढ़ाई के साथ ही माहौल में भी चेंज होता है. जिसका सीधा असर रिजल्ट पर पड़ता है. रिजल्ट की क्वालिटी खराब होती है. स्कूल चेंज करने के लिए बोर्ड ने स्कूल चेंज करने के लिए कुछ वैलिड कारणों की सूची भी जारी की है. इसके अलावा बोर्ड ने कारण बताने के साथ ही उसके प्रमाण के लिए डॉक्यूमेंट्स देने की शर्त भी रखी है. जिससे ये पता चल सके कि स्कूल बदलने के पीछे क्या वजह है.

बदलाव के प्रमुख कारण..

पैरेंट्स का ट्रांसफर

स्थान बदल देना

हॉस्टल में भर्ती होने पर

हॉस्टल से दूसरी जगह जाने पर

किसी भी वजह से फेल होने पर

बेहतर शिक्षा के लिए

स्कूल और आवास के बीच दूरी होने पर

मेडिकल रीजन

ये डॉक्यूमेंट्स होंगे जरूरी

ट्रांसफर होने पर पेरेंट्स का रिक्वेस्ट लेटर, एनरोलमेंट नंबर, रिपोर्ट कार्ड, प्रोविजिनल ट्रांसफर सर्टिफिकेट, पैरेंट्स का ट्रांसफर लेटर जरूरी होगा.

जगह बदलने पर रेंट एग्रीमेंट के अलावा आवास प्रमाण पत्र भी जरुरी होगा.

हॉस्टल में शिफ्ट होने या हॉस्टल से दूसरी जगह जाने पर हॉस्टल के डॉक्यूमेंट्स, फीस, फीस का बैंक ट्रांजेक्शन व हॉस्टल का लेटर जरूरी होगा.

फेल होने पर पुराना रोल नंबर, मा‌र्क्सशीट आदि देनी होगी.

क्वालिटी एजुकेशन की वजह से स्कूल चेंज करने स्टूडेंट को अपना पुराना रिपोर्ट कार्ड देना होगा.

घर से स्कूल दूर होने पर पेरेंट्स को एफिडेविट देना होगा, जिसमें की स्कूल से घर की दूरी आदि के बारे में बताया गया हो.

मेडिकल की स्थिति में मेडिकल सर्टिफिकेट देना जरूरी होगा.

बोर्ड क्लासेज में स्कूल चेंज होने की वजह से स्टूडेंट्स की पढ़ाई पूरी तरह से प्रभावित हो जाती है. कई बार स्टूडेंट स्कूल के माहौल में ढल नहीं पाता है जिसकी वजह से रिजल्ट खराब हो जाता है.

प्रीति मल्होत्रा, प्रिंसिपल, द आर्यस स्कूल

स्टूडेंटस की क्वालिटी एजुकेशन को देखते हुए बोर्ड का यह कदम काफी अच्छा है. बोर्ड क्लासेज में स्टूडेंट्स स्कूल चेंज कर लेते हैं. जिसकी वजह से उनकी पढ़ाई का स्तर भी गिर जाता है. इस कदम से रिजल्ट में भी सुधार होगा.

वाग्मिता त्यागी, वाइस प्रिंसिपल, गार्गी ग‌र्ल्स स्कूल

Posted By: Lekhchand Singh