- डीएवी डिग्री कॉलेज बुलंदशहर के प्रिंसीपल ने की शिकायत

- सभी लिफाफे, बॉक्स देने पर संदेह को लेकर किए सवाल

- पुलिस आरोपियों की तलाश में दे जगह-जगह दे रही दबिश

- रिपोर्ट सही हुई तो गिरेगी कई लोगों पर गाज, जाएंगे जेल

Meerut: बीएसी के पेपर आउट होने के मामले में यूनिवर्सिटी की जांच कमेटी की रिपोर्ट पर डीएवी कॉलेज प्रिंसीपल ने सवाल दागते हुए आरोप पत्र दाखिल किया। साथ ही उनसे इस मामले में जवाब भी मांगा। वहीं पुलिस भी इस मामले में सामने आए नामों की तलाश में लगी है, जिनकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस लगातार दबिश दे रही है। एक तरफ जांच कमेटी अपनी रिपोर्ट बनाने में लगी है तो दूसरी ओर पुलिस आरोपियों की तलाश में भटक रही है।

ये हुए थे पेपर आउट

एक जून को होने वाला बीएससी फ‌र्स्ट ईयर का पेपर फ्क् मई की रात को आउट हो गया था। यूनिवर्सिटी की जानकारी में आने के बाद मेरठ और सहारनपुर मंडल का पेपर निरस्त कर दिया गया था। इसके लिए तीन सदस्यों जांच कमेटी बनाई गई, जिसमें डिप्टी रजिस्ट्रार डॉ। हरिशचंद्र, एसएसवी डिग्री कॉलेज हापुड़ के प्रिंसीपल डॉ। राजेंद्र कुमार और डीन एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी बी रमेश शामिल रहे। उधर पकड़े गए तीनों आरोपियों को पुलिस जेल भेज चुकी है। इसके साथ ही यूनिवर्सिटी ने सभी नोडल सेंटर्स से एग्जाम के लिफाफे भी मंगवा लिए।

इन पर लगे हैं आरोप

यूनिवर्सिटी की जांच कमेटी के अनुसार वीसी ने तीन कॉलेजों के नाम संदेह के घेरे में आने बताए थे। वीसी के अनुसार मेरठ के डीएन डिग्री कॉलेज, बुलंदशहर के डीएवी डिग्री कॉलेज और साहिबाबाद के एलआर कॉलेज के लिफाफों में कुछ गड़बड़ी का संदेह जताया, लेकिन पूरी तरह से अभी यह क्लीयर नहीं कि कौन से कॉलेज से पेपर आउट हुआ। इसी क्रम में जांच कमेटी भी पूरी तरह से साफ नहीं कर पा रही है कि आखिर दोषी कौन है। वीसी का कहना है कि जांच कमेटी और पुलिस की रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई होगी।

इन्होंने दी सफाई

जैसे ही डीएवी कॉलेज बुलंदशहर का नाम आया तो नोडल सेंटर और कॉलेज प्रिंसीपल डॉ। विकास शर्मा जांच कमेटी के पास पहुंच गए। जहां डीएन एग्रीकल्चर और कमेटी मेंबर बी रमेश को उन्होंने आरोपों के मद्देनजर सफाई पेश की। साथ ही उनको इस संबंध में एक पत्र रिसीव कराया, जिसमें उन्होंने एग्जाम से संबंधित सभी जानकारी उपलब्ध कराई, जिसमें खुद को इन आरोपों से दूर बताते हुए जांच कमेटी से सही कार्रवाई की मांग की।

यह दी जानकारी

डॉ। विकास शर्मा के अनुसार मैं डीएवी कॉलेज में क्9 मई से प्राचार्य हूं और साथ ही वरिष्ठ केंद्र अध्यक्ष भी हूं। यूनिवर्सिटी ने उनको ख्फ् मई को पेपर के 7म् पैकेट उपलब्ध कराए थे। जिनके नौ पैकेट और एक बॉक्स शामिल था। जिनमें ख्8 जून से क्0 जून तक होने वाले एग्जाम के पेपर थे। बॉक्स में ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन के पेपर थे। इनका कहना है कि जब यह मामला हुआ तो हमने सात जून को यूनिवर्सिटी को कोड नंबर ए-बी-क्ख्8 के नौ पैकेट और सील बंद बॉक्स उपलब्ध करा दिए।

रिसीव कराया लेटर

विकास शर्मा का कहना है कि उन्होंने यूनिवर्सिटी को म्7 पैकेट का हिसाब दे दिया, जिसमें यूज किए गए पेपर और उनके अनुसार स्टूडेंट्स की भी जानकारी उपलब्ध करा दी गई। ऐसे में वह संदेह के घेरे में कैसे आ गए। उन्होंने डीन एग्रीकल्चर बी रमेश को अपना आरोप पत्र सौंपते हुए खुद को इस मामले से दूर बताया।

Posted By: Inextlive