क्रिमिनल्स की बॉडी में पाए जाते हैं दो अलग प्रकार के जींस

हार्मोनल डिसबैलेंस के चलते बढ़ जाती है अपराधिक प्रवृत्ति

युवाओं में शुरुआती बदलाव को पहचानकर दिखा सकते हैं नई राह

ALLAHABAD: शायद आपको पता नहीं है कि क्रिमिनल्स की बॉडी का अपना अलग केमिकल लोचा होता है। उनके जींस और हार्मोनल डिसबैलेंस उन्हें आपराधिक घटनाओं को अंजाम देने के लिए प्रेरित करते हैं। शहर में लगातार बढ़ रही हत्या की घटनाओं के पीछे यह भी एक अहम कारण हो सकता है। मेडिकल साइंस ऐसी घटनाओं को अपने नजरिए से देखती है और इनके सुधार की राह भी दिखाती है।

गड़बड़ाया फार्मूला तो भटकेंगे युवा

मनोचिकित्सक कहते हैं कि बॉडी में होने वाले अंदरुनी बदलाव इंसान में गुस्से और अवसाद को बढ़ाने का काम करते हैं। ऐसे में व्यक्ति खुद पर काबू नहीं रख पाता और कभी आवेश या कभी जरूरतों के लिए क्राइम कर बैठता है। खासकर बॉडी में टेस्टेस्टेरान हार्मोन की अधिकता और दिमाग में डोपामिन की अनियमितता क्रिमिनल एक्टिविटी को बढ़ाने में सहायक होती हैं। इसके अलावा गुस्से में एड्रनिलिन हार्मोन तेजी से रिलीज होता है और बॉडी को एक्शन लेने पर मजबूर करता है।

क्रिमिनल्स में होते हैं स्पेशल जींस

शायद आपको नहीं पता होगा, लेकिन डीएनए में पाए जाने वाले दो स्पेशल जींस क्रिमिनल एक्टिविटीज के लिए जिम्मेदार होते हैं। तमाम क्रिमिनल्स के डीएनए की स्टडी की गई तो उनमें कैधेरिन 13 और एमएओए जींस स्पेशली पाए गए। खासकर पारिवारिक क्रिमिनल हिस्ट्री वाले अपराधियों में 70 फीसदी में इनकी मौजूदगी थी। मेडिकल साइंस में इन दोनों जींस को क्राइम जींस भी कहा गया है। डीएनए की जांच में यदि ये पाए जाते हैं तो मामला गंभीर माना जाता है।

एक माह में 11 वारदात

पिछले एक माह में शहर में 11 बड़ी अपराधिक घटनाएं हुई हैं। इनमें हत्यारों ने किसी न किसी कारण से सामने वाले को मौत के घाट उतार दिया। इनमें से वकील राजेश श्रीवास्तव और भाजपा सभासद पवन केसरी की हत्या का मामला एकदम लेटेस्ट है। अपराध का कारण चाहे जो हो लेकिन केमिकल लोचा सेम होता है। यदि किसी में क्रिमिनल एक्टिविटी लक्षण समझ आते हैं तो उन्हें मेडिकल ट्रीटमेंट उपलब्ध कराई जानी चाहिए।

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अपराधिक प्रवृत्ति के बढ़ने के कारण

- व्यवहारिक विकार

- शिक्षा की कमी

- मीडिया का प्रभाव

- तेज मिजाजी स्वभाव

- कम बुद्धि

- नशा व असामाजिक व्यक्तित्व

- दोषपूर्ण पालन व पोषण

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जुर्म को बढ़ाने वाली परिस्थितियां

- परिस्थतियों से मजबूर होकर

- आवेश में जुर्म करने वाला सामान्य व्यक्ति

- बड़ा जुर्म करने के बाद भी खुद को दोषी नहीं मानते हुए दूसरे को दोषी ठहराना

- अपने कुकृत्य पर घमंड करने वाला शातिर अपराधी

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ऐसे बनेगी क्राइम से दूरी

- बचपन से ही बच्चों की एक्टिविटी पर नजर रखें

- क्रिमिनल एक्टिविटी में लिप्त है तो किसी मनोवैज्ञानिक या मनोचिकित्सक से सलाह लें

- बच्चों को अधिक से अधिक सामाजिक गतिविधियों में शामिल करें

- एकांकी जीवन से युवाओं को बचाएं

- फैमिली की क्रिमिनल हिस्ट्री है तो बच्चों को उस परिवेश से दूर रखें

बाहरी दुनिया अक्सर बॉडी के अंदर के मैकेनिज्म को प्रभावित करती हैं। परिस्थितियोंवश व्यक्ति की बॉडी में कई तरह के हार्मोन अधिक बनते हैं तो कुछ अनियमित भी हो जाते हैं। इसका प्रभाव हमारी सोच पर भी पड़ता है। यही कारण है कि समाज में क्रिमिनल एक्टिविटी तेजी से बढ़ रही हैं।

डॉ। राकेश कुमार पासवान, मनोचिकित्सक

पारिवारिक पृष्ठभूमि और आसपास का वातावरण हमारे आचरण और व्यवहार पर गहरा असर डालता है। अधिक उत्तेजना और बात-बात पर गुस्सा होना अच्छे लक्षण नहीं होते हैं। यह दुखद है कि आज के युवा इन आदतों के शिकार हो रहे रहे हैं।

इशन्या राज, मनोवैज्ञानिक

Posted By: Inextlive