Bareilly: मेडिकल स्टोर पर बिना डॉक्टर की प्रिस्क्राइŽड पर्ची के दवा खरीदना अब आसान न रहेगा. मेडिकल स्टोर पर दवाओं के मनमाने ढंग से खरीद-बिक्री पर लगाम कसने को गवर्नमेंट ऑफ इंडिया ने नए प्रोविजन जारी किए हैं. प्रोविजन में शेड्यूल एच 1 कटेगरी की 46 लाइफ सेविंग ड्रग सॉल्ट की लिस्ट जारी की गई है. जिनसे तैयार टेबलेट सीरप व इंजेक्शन की बिक्री का केमिस्ट को पूरा Žयौरा तैयार करना होगा. गवर्नमेंट 1 अप्रैल 2014 से मेडिसिन सप्लायर व मेडिकल स्टोर पर शेड्यूल एच-1 नियम लागू कर रही है. नए प्रोविजन के बाद केमिस्ट पर दवा खरीदने वालों की मेडिकल स्टोर कुंडली तैयार करने के बाद ही उन्हें दवा बेच सकेंगे.


क्या है शेड्यूल एच 1फार्मासिस्ट व केमिस्ट को लाइफ सेविंग मेडिसिन बेचने के लिए शेड्यूल एच के तहत लाइसेंस लेना होता है। इसमें रिटेल मेडिकल स्टोर के लिए लाइसेंस 20-21 और होलसेलर्स के लिए 20बी-21बी का लाइसेंस कंपल्सरी है। जबकि लाइसेंस 20ए-21ए वाले केमिस्ट्स लाइफ सेविंग ड्रग बेचने के लिए ऑथराइज्ड नहीं होते। शेड्यूल एच के तहत आने वाले रिटेल व होलसेल केमिस्ट्स के लिए जो नया रूल जारी किया गया है, वहीं शेड्यूल एच 1 है। इसमें लाइफ सेविंग मेडिसिन को बेचने से पहले उसका रिकॉर्ड तैयार करना कंपल्सरी है।पुराना स्टॉक वापस लें सप्लायर


शेड्यूल एच 1 के तहत 1 अप्रैल से जिन 46 सॉल्ट से बनी दवाओं व इंजेक्शन पर नए नियम लागू होंगे। मार्केट में उन सॉल्ट से बनी दवाओं के मौजूदा स्टॉक को वापस लिया जाएगा। गवर्नमेंट ने ड्रग प्रोड्यूसर व सप्लायर्स को मार्केट से दवाओं की पुरानी पैकिंग वाला स्टॉक वापस लेने के निर्देश दिए हैं। एक्सपट्र्स के मुताबिक, ड्रग प्रोड्यूसर या सप्लायर्स दवाओं का स्टॉक वापस लेने पर नुकसान नहीं उठाते। इसके बजाए वह इन सॉल्ट से बनी दवाओं की नई खेप मार्केट में लाना बंद कर देंगे.जिससे पुराने माल की मार्च तक ब्रिकी हो जाए।मेडिसिंस पर जारी होगी चेतावनी

शेड्यूल एच 1 की इन दवाओं पर ड्रग कंपनीज को चेतावनी भी जारी करनी होगी। शेड्यूल एच 1 में लिस्टेड 46 सॉल्ट से बनी दवाओं के डिŽबे या शीशी के ऊपर बायीं ओर आरएक्स का निशान रेड कलर से ही लिखा जाएगा। जबकि डिŽबे या शीशी पर शेड्यूल एच 1 की चेतावनी भी लिखी होगी। जिसमें खरीददारों को बिना डॉक्टरी प्रिस्क्रिप्शन के इन दवाओं का इस्तेमाल खतरनाक होने की जानकारी दी जाएगी। साथ ही रजिस्टर्ड डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन के रिटेल तरीके से इन दवाओं को बेचने पर केमिस्ट्स को चेताया जाएगा।लिस्ट में नशीली ड्रग भी शामिलशेड्यूल एच 1 के तहत जिन 46 सॉल्ट को फिलहाल लिस्टेड किया गया है,उनमें वह फॉर्मूलेशन भी शामिल हैं, जिनसे बनी ड्रग का यूज नशे के तौर पर भी किया जाता है। एल्प्राजोलम, बुप्रिनॉर्फिन,क्लोरडाईजीपॉक्साइड,कोडीन, डायाजिपाम, नाइट्राजीपाम और जोलपाईडैम सॉल्ट से बनी दवाओं का यूज नशे की तरह भी किया जाता है। बिना प्रिस्क्रिप्शन के मेडिकल स्टोर पर इन दवाओं का बिकना नॉर्मल है। गवर्नमेंट के नए प्रोविजन से नशे के तौर पर इन दवाओं की बिक्री में गिरावट आएगी। रजिस्टर मेंटेन किए जाने की कवायद से केमिस्ट्स भी इन दवाओं को बिना डॉक्टरी पर्ची के बेचने में हिचकेंगे।सॉल्ट नेम की डिमांड फिर तेज

इस फैसले से परेशान केमिस्ट एसोसिएशन ने एक बार फिर दवाओं के सॉल्ट नेम ही रखे जाने की मांग उठाई है.एसोसिएशन का कहना है कि गवर्नमेंट को सॉल्ट के नाम पर ही दवा बनाने का फैसला लागू करना चाहिए.एक ही सॉल्ट से कई कंपनीज सैकड़ों दवाएं बनाती हैं.जिनके दाम में भी काफी अंतर होता है.सॉल्ट नेम से दवा बनने पर इनका रिकॉर्ड रखने में भी आसानी होगी। एसोसिएशन के गले नहीं उतरीमेडिकल स्टोर से दवाओं के मिसयूज और Žलैक मार्केंटिंग को रोकने के लिए बनी गवर्नमेंट की यह योजना लागू होने से पहले ही विरोध झेल रही है। केमिस्ट एसोसिएशन ने गवर्नमेंट के इस फैसले को पूरी तरह इम्प्रैक्टिकल करार दिया। एसोसिएशन का कहना है कि इन 46 सॉल्ट से बनने वाली दवाओं व इंजेक्शन की संख्या 10 हजार से ज्यादा है। इतनी दवाओं के लिए अलग से रजिस्टर मेंटेन करना नामुमकिन है। एसोसिएशन ने स्टेट लेवल पर गवर्नमेंट के फैसले के खिलाफ उठाने और सरकार को इसका प्रत्यावेदन भेजने की तैयारी कर ली है।"यह एक अव्यवहारिक फैसला है.रिकॉर्ड ही मेंटेन करते रहेंगे तो दवा बेचना बंद हो जाएगा.गवर्नमेंट को सॉल्ट नेम पर दवाएं बेचने का आदेश लागू कराना चाहिए.एसोसिएशन के फैसले के खिलाफ सरकार को प्रत्यावेदन भेजकर विरोध जताएगी." - दुर्गेश खटवानी,प्रेसीडेंट,महानगर बरेली केमिस्ट एसोसिएशन
"गवर्नमेंट की इस फैसले से रिटेल केमिस्ट्स के बिजनेस पर बुरा असर पड़ेगा.हम रिकॉर्ड ही मेंटेन करते रह जाएंगे.सरकार अगर यह फैसला लागू भी कर रही है तो इसे थोड़ा आसान तरीके से करें.साथ ही अधिकारी भी सहयोग की भावना से काम करें." -विजय मूलचंदानी, पीआरओ, डिस्ट्रिक्ट बरेली केमिस्ट एसोसिएशन"सरकार के नए फैसले से सेल्फ मेडिकेशन करने वाले पेशेंट्स पर रोक लग सकेगी.मेडिकल स्टोर से नशे के तौर पर बिकने वाली दवाओं का मिसयूज भी खत्म हो सकेगा.दवाओं की ब्लैक मार्केटिंग करने वाले स्टॉकिस्ट पर भी नकेल कसेगी."- एके चोपड़ा, फूड व ड्रग इंस्पेक्टर

Posted By: Inextlive