- महंगाई की शिकन रही पर छठ मनाना है तो थोड़ा-थोड़ा सब चाहिए ही

PATNA : छठ का बाजार सजा है। गगरा नींबू से लेकर ईख, सेव, अमरूद, नासपाती, केला, सकरकंद, पानी सिंघारा, नारियल, सरीफा, अन्नानास, खीरा, त्रिफला, नारियल, मूली तक क्या-क्या नहीं है। इसी बाजार में सूप भी है और मिट्टी का चूल्हा भी। बद्धी, सिंदूर और आरता तक यहां है। ये मौसमी बाजार है। छठ के समय ही लगता है ये बाजार।

नारियल को चेक करने का तरीका वही पुराना

पानी वाला नारियल चाहिए तो पानी की आवाज आनी चाहिए। नारियल को हिलाया। मालती ने नारियल को हिलाया और उसे कान से सटाकर देखा। दो तीन नारियलों को चेक करने के बाद ये साफ हुआ कि हां ये नारियल ठीक है। इसमें पानी है। वर्षो से यही तरीका है नारियल खरीदने का। वह इस बाजार में भी बरकरार है।

ईख को काट कर ले जाएंगे

ईख सबसे लंबा फल है इस बाजार का। अंदर भरा है रस चूसने वाला। एक बच्ची ने पकड़ा ईख को और ईख वाले ने काटना शूरू किया। एक-हाथ की दूरी पर एक कट इस तरह से ईख झोले में समाया। मिठास वही रही और सूप पर चढ़ाना आसान हुआ।

सूप बाजार की रौनक देखन लायक

सूप बाजार में चालीस रुपए और इससे ऊपर के सूप। सूप की ये इस छठ की अंतिम खरीददारी थी इसलिए कीमत थोड़ी नरम रही। मीना देवी जैसी कई महिलाओं के सिर पर महंगाई की शिकन दिखी। सरकार बदली केन्द्र में पर महंगाई का असर जारी है। महंगाई का मुद्दा हर आदमी फील करता दिखा। लेकिन छठ मनाना है तो मनाना है चाहे जैसे मनाना पड़े।

आरता, सिंदूर और बद्धी

ये तीन ऐसी चीजें हैं जिनका छठ में खास महत्व है। आरता सूप पर चढ़ाने के बाद लोग अपने घरों की दीवार पर चिपकाते हैं। सिंदूर महिलाएं नाक पर से लगाती हैं और सूप पर चढ़ाने के बाद बद्धी पहनने की परंपरा है। यही वजह है कि बाजार में इसकी खूब मांग दिखी।

Posted By: Inextlive