- डाला छठ पर्व के अंतिम दिन सूर्य भगवान को अ‌र्घ्य देने के लिए घाटों और तालाबों पर उमड़ी भीड़

- उगते सूरज को अ‌र्घ्य देने के साथ व्रती महिलाओं ने पूरा किया महाव्रत का संकल्प

VARANASI

गंगा के घाटों पर बुधवार को जुटे सभी आस्थावानों को सूर्य देव के दर्शन का बेसब्री से इंतजार था। कब उदित होंगे भगवान भास्कर और कब पूरा होगा भक्तों का संकल्प? सुरूज देव को अ‌र्घ्य की लालसा में कमर भर जल में खड़ी महिलाओं के मुंह से अपने आराध्य के दर्शन की व्यथा लोकगीतों के रूप में फूट पड़ी। कहां बिलमली हे दीनानाथ अरघिया के बेर उगा उगा हो सुरुज देव उगा भइल अरघिया के बेर, जैसे गीतों की मधुरता ने भगवान भास्कर को द्रवित कर दिया और रश्मिरथ पर सवार होकर चल पड़े अपने भक्तों से मिलने।

हर-हर महादेव से किया स्वागत

भगवान भास्कर सुबह 6.13 बजे उदित होने वाले थे। हर निगाह एक टक पूरब की ओर उनके आगमन का इंतजार कर रही थी कि अचानक ही उनकी पहली झलक देखने को मिली और हर ओर सूर्य देव की जय, हर हर महादेव का उद्घोष गुंजित हो उठा। इसी के साथ शुरू हो गया अरुणदेव को अ‌र्घ्य देने का सिलसिला। महिलाओं ने अ‌र्घ्य देने के बाद अपने चार दिवसीय व्रत के महासंकल्प को पूरा किया।

प्रसाद लेने की होड़

डाला छठ के पूजन के बाद प्रसाद मांग कर खाने की मान्यता है। इसी मान्यता की पूर्ति में लोग एक दूसरे से प्रसाद मांगने लगे। कोई अमीर नहीं कोई गरीब नहीं। सोने के लकदक जेवरों से लदी महिला एक साधारण सी साड़ी पहने महिला से प्रसाद मांग रही थी। यह नजारा आम था। इसी दौरान महिलाओं ने एक दूसरे की मांग भर कर पर्व की परंपरा का निर्वाह किया। फिर शुरू हुआ वापसी का सिलसिला। सिर पर पूजन सामग्री से भरी दउरी लेकर लोग वापस जाने लगे और थोड़ी ही देर में हजारों लोगों से पटे घाटों पर खाली हो गये।

Posted By: Inextlive