सुप्रीम कोर्ट ने गोरक्षा के नाम पर होने वाली हिंसक घटनाओं पर लगाम लगाने संबंधी याचिकाओं पर आज सुनवार्इ पूरी कर ली है।इस दौरान कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है।

कानून व्यवस्था राज्य का विषय
नई दिल्ली (पीटीआई)। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस  ए एम खानविलकर और जस्टिस धनन्जय वाई चन्द्रचूड़़ की खंडपीठ में आज गोरक्षा के नाम पर होने वाली हिंसक घटनाओं पर लगाम लगाने संबंधी याचिकाओं पर सुनवाई हुई। इस दौरान खंडपीठ ने कहा किसी भी व्यक्ति को कानून हाथ में लेने का अधिकार नही है। गोरक्षा के नाम पर हिंसा की घटनाएं  हकीकत में भीड़ द्वारा की जा रही हिंसा अपराध है। इसके साथ ही पीठ ने कहा कानून व्यवस्था राज्य का विषय है।  
रोकथाम के लिए कठोर कदम उठाएं
हर राज्य को अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में आज फैसला सुरक्षित रख लिया है। इस पर बाद में फैसला सुनाएगा। वहीं अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल पी एस नरसिम्हा ने इस मामले में कहा कि केन्द्र इस समस्या को लेकर सक्रिय है। वह इससे निपटने की पूरी कोशिश कर रही है लेकिन मुख्य चिंता तो कानून व्यवस्था सही रखने की है। बता दें कि सु्प्रीम कोर्ट ने बीते साल छह सितंबर को इस दिशा में सभी राज्यों से कहा था कि हिंसा की रोकथाम के लिए कठोर कदम उठाएं।

आदेशों का पालन नहीं किया
गया
इसके लिए सभी जिलों में एक सप्ताह में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को नोडल अधिकारी के रूप में नियुक्त किया जाए। इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने आज राजस्थान, हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकारों के खिलाफ अवमानना कार्रवाई के लिये दायर याचिका पर इन राज्यों से जवाब भी मांगा। इस मामले में याचिका महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी की ओर से दायर की गई थी। इसमें आरोप लगाया गया था कि इन तीन राज्यों ने बीते छह सितंबर को सु्प्रीम कोर्ट के दिए गए आदेशों का पालन नहीं किया है।

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Posted By: Shweta Mishra