37 दिनों से अपनों से दूर शहर के एक निजी अस्पताल में एडमिट प्री मेच्योर बच्ची मुस्कान का फ्री इलाज करने

-गुरुनानक हॉस्पिटल मैनेजमेंट ने बच्ची का फ्री इलाज करने से खड़े किए हाथ

- एसएनसीयू में उपकरण न होने का हवाला देकर सीएमओ ने भी बच्ची को एडमिट करने से किया इन्कार

बरेली : मेडिकल हब बन चुके बरेली में सैकड़ों प्राइवेट हॉस्पिटल और कुछ मेडिकल कॉलेज भी हैं और सैकड़ों नामचीन डॉक्टर भी हैं। लेकिन धरती का भगवान कहे जाने वाले इन डॉक्टरों की मानवता शायद मर चुकी है। यही वजह है कि पिछले 37 दिनों से अपनों से दूर शहर के एक निजी अस्पताल में एडमिट प्री मेच्योर बच्ची मुस्कान का फ्री इलाज करने को शहर का कोई हॉस्पिटल या डॉक्टर आगे नहीं आ रहा है। जिस प्राइवेट हॉस्पिटल में बच्ची एडमिट है अब उसने भी इलाज करने से हाथ खड़े कर दिए हैं और सरकारी अस्पताल में संसाधनों की कमी का हवाला देकर अफसरों ने भी पल्ला झाड़ लिया है। शहर का कोई समाजसेवी संगठन भी अब तक इस मासूम की मदद के लिए आगे नहीं आया है। फिलहाल बच्ची प्राइवेट हॉस्पिटल में ही एडमिट है।

कब तक करें फ्री इलाज

पिछले 37 दिनों से बच्ची का फ्री इलाज कर रहे गुरुनानक हॉस्पिटल ने अब बच्ची का फ्री इलाज करने से इन्कार करते हुए चाइल्ड लाइन से बच्ची को जिला अस्पताल में एडमिट कराने के लिए कहा। हॉस्पिटल के डॉक्टर मोहित का कहना है कि बच्ची के परिजनों से कई बार डीएनए टेस्ट कराने के लिए कहा, लेकिन वह इसके लिए तैयार नहीं हैं। आखिर हॉस्पिटल बच्ची का कब तक फ्री इलाज करता रहेगा। इसके बाद चाइल्ड लाइन ने सीएमओ को लेटर लिखकर बच्ची को डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में एडमिट कराने के लिए कहा, लेकिन इलाज के लिए जरूरी संसाधनों की कमी के चलते सीएमओ ने भी हाथ खड़े कर दिए।

एसएनसीयू में नहंी हैं मशीनें

सीएमओ डॉ। विनीत शुक्ला ने सीडब्ल्यूसी को रिपोर्ट भेजकर बताया कि बच्ची प्री मेच्योर है ऐसे में उसे नॉर्मल पोजीशन में लाने के लिए परमानेंट रेडिएंट वॉर्मर मशीन में रखा जाएगा, लेकिन एसएनसीयू में पहले से ही एक-एक वॉर्मर पर दो-दो बच्चे भर्ती हैं। ऐसे में मुस्कान को भर्ती करना संभव नही हैं।

रिकवर कर पाना मुश्किल

सीएमओ ने जब महिला अस्पताल की सीएमएस डॉ। अलका शर्मा से इस संबंध में रिपोर्ट मांगी तो उन्होने सीधे कह दिया कि बच्ची को रेडिएंट वॉर्मर के साथ ही केएमसी यानि कंगारु मदर केयर की आवश्यकता होगी लेकिन बच्चे की मां मौजूद नहीं है ऐसे में बच्ची के इलाज में काफी परेशानी का सामना करना पड़ेगा।

परिजनों का डीएनए जांच से इन्कार

शहर के गुरुनानक हॉस्पिटल में 28 मई को मुस्कान का जन्म हुआ था। लेकिन परिजनों ने हॉस्पिटल मैनेजमेंट पर बच्चा बदलने का आरोप लगाया। उनका कहना था कि उनका बेटा था, लेकिन उन्हें बेटी दी जा रही है, जिसके बाद मामला कोर्ट पहुंच गया। पिछले एक महीने से ज्यादा समय से बच्ची गुरुनानक हॉस्पिटल में भर्ती है। कई बार मैनेजमेंट ने परिजनों को डीएनए जांच कराकर मामला साफ करने की मांग की लेकिन उन्होंने एक बार भी पत्र का न तो जबाव दिया और न ही बच्ची को लेने आए।

वर्जन

गुरुनानक हॉस्पिटल से बच्ची की तबीयत संबंधी रिपोर्ट मांगी थी तो उन्होंने सुधार की बात कही जिसके बाद ही बच्ची को जिला अस्पताल में शिफ्ट कराने के लिए सीएमओ को पत्र भेजा था जिस पर उन्होंने उचित इलाज का हवाला देकर आपत्ति जाहिर की है।

डॉ। डीएन शर्मा, मजिस्ट्रेट, सीडब्ल्यूसी।

वर्जन

बच्ची प्री मेच्योर है, उसे परमानेंट रेडिएंट वॉर्मर और केएमसी की जरूरत है। यहां पहले से ही स्थिति खराब है। इसलिए बच्ची को ठीक प्रकार से इलाज दे पाना संभव नही है।

डॉ। विनीत शुक्ला, सीएमओ।

Posted By: Inextlive