पूज भी रहे, मार भी रहे

नवरात्र में कन्याओं की खोज शुरू हो गयी है। इन्हें पूजा जा रहा है ताकि देवी खुश हो। कुल को आगे बढ़ाने का आशीर्वाद दे। ये आशीर्वाद वो भी मांग रहे हैं जिन्होंने बेटे की चाह में देवी के अंश यानि बेटियों को पैदा होने के पहले ही मार डाला है। देखिये बेटियों की बलि चढ़ाते-चढ़ाते कहां पहुंच चुके हैं। और आइये इस नवरात्र अब लेते लेते हैं एक संकल्प कन्याओं को बचाने का

पैदा होने से पहले ही मार देते हैं, कहां से लाएं कन्या पूजन के लिये

- नवरात्र में दिखता है हमारे समाज भ्रष्ट चरित्र, एक तरफ कोख में मार दी जा रही हैं बेटियां दूसरी ओर पूजते हैं कन्याओं को

- पिछले दस सालों में बनारस में चाइल्ड सेक्स रेशियो में दर्ज की गयी है गंभीर गिरावट, फिर भी नहीं बदला है कुछ भी

- अल्ट्रासाउंड सेंटर्स में होता है खेल, कानून के बावजूद नहीं लग रही है कन्या भ्रूण हत्या पर लगाम

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ङ्कन्क्त्रन्हृन्स्ढ्ढ: इस नवरात्र भी कन्याओं में देवी का अक्स देखा जाएगा। कन्याओं की पूजा होगी। उनके पैर पखारे जाएंगे। लेकिन बाकी दिनों में फिर कोख में कन्याएं मारी जाएंगी। लम्बे वक्त से हमारे समाज का ये दोहरा चरित्र बना हुआ है। इसी की नतीजा है कि कन्याएं घट रही हैं। लड़के बढ़ रहे हैं। कुल को आगे बढ़ाने की हवस में अब देवी को खुश करने के लिये अब देवियों की ही बलि चढ़ाई जा रही है। बढ़ी बात नहीं है कि कि आने वाले वक्त में पूजने के लिये नवरात्र में कन्याएं ही नहीं मिलेंगी।

बदस्तूर जारी है खेल

तीन साल पहले जनगणना 2011 के आंकड़े सामने आएं हैं। इसमें बनारस में चाइल्ड सेक्स रेशियो का आंकड़ा चौंकाने वाला है। ये आंकड़ा साफ दर्शाता है कि शिव की नगरी में 'शक्ति' यानि लड़कियां कम हो होती जा रही हैं। 2001 से लेकर 2011 तक काफी अंतर आ चुका है। इसके बावजूद कोख में बेटियों का कत्ल बदस्तूर जारी है। जिन लोगों पर इस खूनी खेल को रोकने की जिम्मेदारी है, वो भी आंखें मूंदे बैठे हैं। जबकि अपने समाज में आज भी ऐसे लोग हैं जिनके लिये बेटियां बोझ हैं और वो कोख में ही उनका कत्ल कर खानदान को आगे बढ़ाने के सपने संजोये हैं और अपनी इस कामना पूर्ति के लिये नवरात्र में कन्याओं को पूज भी रहे हैं।

नियम कानून ताख पर

बनारस में लगभग 400 अल्ट्रासाउंड सेंटर्स रजिस्टर्ड हैं। कन्या भ्रूण हत्या की पहचान का असल खेल इन्हीं में से कुछ सेंटर्स में होता है। पीसीपीएनडीटी एक्ट के रूल्स के मुताबिक सभी अल्ट्रासाउंड सेंटर्स को अपने किए गए चेकअप और अन्य रिपोर्ट डेली सीएमओ ऑफिस को भेजनी होती है। हालांकि ज्यादातर रेगुलर रिपोर्ट नहीं भेजते। फिर भी कार्रवाई नहीं होती। नियमानुसार इन सेंटर्स की प्रॉपर मॉनिटरिंग सीएमओ और जिला प्रशासन को मिलकर करनी होती है। लेकिन ये भी नहीं होता। लापरवाह अल्ट्रासाउंड सेंटर को नोटिस तक इश्यू नहीं होती।

पांच साल में एक भी केस नहीं

कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए केन्द्र सरकार ने 20 साल पहले प्री-कंसेप्शन एंड प्री-नेटल डायग्नोस्टिक टेक्निक (पीसीपीएनडीटी) एक्ट लागू किया था। इस एक्ट के लागू होने के बाद हर जिले के डीएम के अंडर में कमेटी बनाई गई। कमेटी की जिम्मेदारी है कि कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए अल्ट्रासाउंड सेंटर्स पर हो रहे लिंग परीक्षण को रोके जिसे एक्ट में अपराध घोषित किया गया है। कमेटी को अल्ट्रासाउंड सेंटर्स पर रेड, जांच और कार्रवाई के लिये रिकमंड करने का राइट है। लेकिन आज तक कमेटी ने एक भी लिंग परीक्षण करने वाले अल्ट्रासाउंड सेंटर का पर्दाफाश नहीं किया है। जबकि ये सभी जानते हैं कि अल्ट्रासाउंड सेंटर्स में ये खेल कैसे चल रहा है। पिछले पांच सालों में अनगिनत कोख में कन्याओं को कत्ल हुआ। इनकी पहचान करने वाले अल्ट्रासाउंड सेंटर्स ही थे। इसके बावजूद न कोई पकड़ा गया ना ही पिछले पांच सालों में किसी के खिलाफ मुकदमा हुआ। मुकदमा हो भी तो कैसे, जब किसी के पास कोई सबूत ही नहीं है।

1000 लड़कों पर सिर्फ 885 कन्याएं

जनगणना के आंकड़ें उस सच्चाई से पर्दा उठाते हैं कि कैसे कन्याओं का कोख में कत्ल हो रहा है। इस असलियत को सिर्फ 2001 और 2011 के जनगणना आंकड़ों से समझा जा सकता है। 2001 की जनगणना के मुताबिक बनारस में उस वक्त चाइल्ड सेक्स रेशियो 1000 लड़कों के मुकाबले 919 लड़कियों को था। जबकि लेटेस्ट 2011 की जनगणना में बनारस में चाइल्ड सेक्स रेशियो 1000 लड़कों के मुकाबले 885 लड़कियों तक आ सिमटा है। यानि आधी आबादी अब आधी भी नहीं रही।

पीडीएनडीटी एक्ट के तहत अल्ट्रासाउंड सेंटर्स पर कार्रवाई करने और जांच के लिए अलग से टीमें बनी हुई हैं। ये टीमें समय समय पर कार्रवाई भी करती हैं लेकिन अब तक कोई गड़बड़ी सामने नहीं आयी है। इस वजह से इस एक्ट में अब तक कोई भी मुकदमा यहां पर दर्ज नहीं हुआ है।

डॉ। एमपी चौरसिया, सीएमओ

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लीजिये बेटियों को बचाने का संकल्प

इस नवरात्र आई नेक्स्ट चाहता है आप सभी से बेटियों को बचाने का संकल्प। देवी आराधना के इस महापर्व पर बेटियों को बचाने संकल्प लेकर आप भी कर सकते हैं शक्ति स्वरूपा को सच्चे दिल से नमन करें। यदि आप भी जुड़ना चाहते हैं हमारे संकल्प अभियान से तो हमें किसी एक माध्यम के जरिये सिर्फ इतना लिख भेजिये

'हां, मैं लेता/लेती हूं बेटियों को बचाने का संकल्प। यही है मां की सच्ची पूजा.'

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Posted By: Inextlive