- चाइल्ड लाइन को वर्ष 2018 में जनवरी से दिसम्बर तक मिले थे 196 गुमशुदा बच्चे

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फैक्ट एंड फिगर

96-बच्चे चाइल्ड लाइन को मिले

182-बच्चों को चाइल्ड लाइन ने उनके परिजनों से मिलाया

59-को चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराई

8-बच्चे जो काफी समय से शेल्टर होम में थे उन्हें पहुंचाया

4-नवजात मिले लावारिस

22-बाल श्रमिकों को कराया मुक्त

3-बाल विवाह रुकवाए

4-रेस्क्यू कर बच्चों को मुक्त कराया

-नोट ये आंकड़े जनवरी से दिसम्बर तक हैं

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BAREILLY :

मां-बाप से बिछुड़े तमाम बच्चों को चाइल्ड लाइन ने उनके मां-बाप से मिलवाकर उनकी खोई हुई खुशियां लौटा दीं। चाइल्ड लाइन ने कई ऐसे बच्चों को उनके घर तक पहुंचाया जो अपना नाम और एड्रेस तक नहीं बता सकते थे। काउंसलिंग के दौरान मिले क्लू से उनके परिवार को खोज निकाला, इसके लिए भी उन्हें काफी मशक्कत करनी पड़ी, लेकिन हिम्मत नहीं हारी। आंकड़ों पर गौर करें तो चाइल्ड लाइन ने वर्ष 2018 में ही 182 परिवार के बच्चों को उनके घर पहुंचाकर उनकी खोई हुई खुशियां लौटाई।

केस:1

28 जनवरी 2018 को बरेली रेलवे जंक्शन पर मिलीं कुशीनगर निवासी दो किशोरियों 15 वर्ष और 16 वर्ष ने चाइल्ड लाइन को बताया कि वह नाइंथ पास कर चुकी हैं, वह आगे पढ़ना चाहती हैं, लेकिन मां-बाप इसके लिए राजी नहीं हैं। इसीलिए घर छोड़कर जॉब करके पढ़ाई करना चाहती हैं। चाइल्ड लाइन ने दोनों को 30 जनवरी को उनके मां-बाप को साैंप दिया।

केस:2

26 जुलाई 2018 को चाइल्ड लाइन ने किला थाना पुलिस और एएचटीयू के साथ मिलकर खन्नू मोहल्ला से 3 वर्षीय एक बच्चे का रेस्क्यू किया। इसकी जानकारी चाइल्ड लाइन को मिली थी जिसके बाद चाइल्ड लाइन ने पहले कई दिन होमवर्क किया। पता चला कि बच्चा इल्लीगल तौर पर गोद लिया गया है। चाइल्ड लाइन ने बच्चे को सीडब्ल्यूसी के सामने पेश किया जहां से बच्चे को चाइल्ड होम में रखवा दिया गया। बच्चा जिला अस्पताल से किसी ने चोरी करके गोद दिया था। इल्लीगल तौर पर रखने वालों के खिलाफ एक्शन भी हुआ। मामला कोटर्1 में है.

केस:3

कोतवाली पुलिस ने 27 जुलाई 2018 को 11 वर्षीय मासूम को चाइल्ड लाइन को सौंपा था। दूसरे दिन काउंसलिंग में उसने अपना नाम और एड्रेस महोली सीतापुर बताया। चाइल्ड लाइन ने 3 अगस्त को उसे घर पर पहुंचा दिया।

केस:4

4 दिसम्बर 2018 को रेलवे जंक्शन पर चाइल्ड लाइन को दो किशोरियां 14 वर्ष 15 वर्ष रोते हुए मिलीं। इसमें दिल्ली की रहने वाली एक किशोरी ने बताया कि उसके मां-बाप ने स्मार्ट फोन नहीं दिलाया तो उसने घर छोड़ दिया। जबकि हरदोई निवासी दूसरी किशोरी ने बताया कि उसके मां-बाप उसकी पढ़ाई नहीं कराना चाहते हैं इसीलिए घर से चली आई। चाइल्ड लाइन ने दोनों किशोरियों को 6 दिसम्बर को उनके घर पहुंचा दिया।

केस: 5

19 नवम्बर 2018 को कोतवाली पुलिस ने 12 वर्षीय बच्चे को चाइल्ड लाइन को सौंपा था। एक माह बाद उसने बताया कि वह जैतीपुर शाहजहांपुर का रहने वाला है। मां-बाप ने उसे डांटा था, इसीलिए वह घर से चला आया। चाइल्ड लाइन ने 27 दिसम्बर को उसे घर पहुंचा दिया।

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महिला एवं बाल कल्याण विभाग से संचालित कार्यक्रम चाइल्ड लाइन सतर्कता से अपने काम को निर्वहन कर रहा है। जितने गुमशुदा बच्चे चाइल्ड लाइन को मिले थे उसमें से अधिकांश को उनके परिजनों तक पहुंचाया गया। चाइल्ड लाइन हेल्पलाइन 1098 और महिला हेल्पलाइन नम्बर 181 पर किसी भी समय कॉल कर हेल्प ली जा सकती है।

नीता अहिरवार, डिप्टी सीपीओ

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सीडब्ल्यूसी बच्चों की हेल्प के लिए हमेशा तत्पर है। किसी को भी बच्चों के साथ इल्लीगल कार्य दिखे तो वह चाइल्ड हेल्प लाइन पर सूचना दे सकते हैं। इसके साथ बच्चे भी किसी प्रकार की हेल्प चाहते हैं तो वह भी कॉल कर सकते हैं। बच्चों के अधिकारों का हनन होने से रोकना ही हमारी जिम्मेदारी है।

डॉ। डीएन शर्मा, सीडब्ल्यूसी मजिस्ट्रेट

चाइल्ड लाइन पर किसी भी तरह से हेल्प की सूचना आती है तो चाइल्ड लाइन तुरंत एक्शन लेती है। चाहे वह रेलवे या फिर बरेली चाइल्ड लाइन हो। चाइल्ड लाइन को विभाग के साथ सीडब्ल्यूसी और पुलिस का भी भरपूर सपोर्ट मिलता है, जिससे हम लोग अपने काम को अच्छी तरह अंजाम तक पहुंचा पाते हैं।

अनीस अहमद खान जहांगीर, डायरेक्टर बरेली/ रेलवे चाइल्ड लाइन

जो बच्चे खोए हुए मिलते हैं, उनकी काउंसलिंग में कई बार तो बच्चे बोलना ही नहीं चाहते हैं। तो कई बार वह एड्रेस और नाम गलत बता देते हैं। ऐसे में उनकी कई बार काउंसलिंग करनी पड़ती है तब कहीं जाकर सही जानकारी मिल पाती है।

कंचन, काउंसलर, रेलवे चाइल्ड लाइन

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-कोई बच्चा किसी परेशानी में फंस गया हो और वह हेल्प चाहता है तो वह चाइल्ड लाइन के हेल्प लाइन नंबर 1098 पर किसी भी समय कॉल करके हेल्प ले सकता है। चाइल्ड लाइन बच्चों की हेल्प के लिए 24 घंटे तत्पर है।

गजेन्द्र गंगवार, चाइल्ड लाइन इंचार्ज

Posted By: Inextlive