- बाराबंकी से भागकर पहले ट्रेन से लखनऊ पहुंचा, फिर पीतांबरपुर आया

- पितांबरपुर से पैदल रसुईया पहुंचा, रेलवे और चाइल्ड लाइन को सुना दी अपहरण की झूठी कहानी

BAREILLY : पीतांबरपुर रेलवे स्टेशन से 26 किमी पैदल चलकर वेडनेसडे को फरीदपुर ब्लॉक के रसुइया रेलवे स्टेशन पहुंचे बाराबंकी के 14 वर्षीय एक किशोर ने अपहरण की ऐसी कहानी सुनाई कि सुनने वाले भी दंग रह गए। दरअसल यह किशोर पढ़ाई के लिए पिता की डांट से नाराज होकर बाराबंकी स्थित घर से भाग गया था। घर की याद सताने पर किशोर ने रेलवे कर्मचारियों से संपर्क किया तब पूरे मामले का खुलासा हुआ।

काउंसलिंग में उलझाया

रसुईया रेलवे स्टेशन से रेलवे स्टाफ ने चाइल्ड लाइन को सूचना दी कि एक बच्चे अपहरण कर ले जाया जा रहा था, लेकिन वह किसी तरह छूट कर जंक्शन पर पहुंच गया है। सूचना मिलने पर रेलवे चाइल्ड लाइन से योगेश ठाकुर और आकाश तुरंत रसुईया के लिए रवाना हो गए। बच्चे को लेकर दोनों शाम साढ़े चार बजे बरेली जंक्शन पर पहुंचे और बच्चे की काउंसलिंग काउंसलर नीरज से कराई।

नाम भी गलत बताया

काउंसिलिंग के दौरान किशोर ने टीम को उलझाने के लिए पहले तो अपना नाम तक गलत बता दिया। फिर अपहरण की झूठी कहानी रच दी। किशोर ने बताया कि वह बाराबंकी डिस्ट्रिक्ट का रहने वाला और उसका नाम सचिन वर्मा है। वह आठ जनवरी को घर से बाजार के लिए निकला था। रास्ते से वैन सवार बदमाशों ने उसका अपहरण कर लिया। वैन में एक बच्चा और था। बदमाश उन दोनों की किडनी निकालने की बात कह रहे थे, लेकिन वह किसी तरह उनके चंगुल से भाग निकला। इसमें उसकी शर्ट भी फट गई।

गढ़ दी झूठी कहानी

किशोर की यह कहानी काउंसलर और टीम मेंबर्स के गले नहीं उतरी। किशोर को बहुत समझाने पर उसने एक घंटे बाद बताया कि उसका नाम सचिन नहीं विकास वर्मा है। वह बाराबंकी जिले के जैतपुर थानांतर्गत पूरे रेवती मुरलीगंज गांव का रहने वाला है। उसके पिता का नाम मनोज कुमार वर्मा है। उसके एक छोटी बहन है और मां का नाम पूनम है। विकास ने बताया कि वह 9वीं का स्टूडेंट है। पापा पढ़ाई के लिए अक्सर डांटते थे, इसीलिए उसे गुस्सा आ गया और उन्हें सबक सिखाने के लिए उसने घर छोड़ने की योजना बना ली.

फिर बताई हकीकत

8 जनवरी ट्यूजडे को मनोज ने फिर किसी बात पर विकास को डांट दिया। इसके कुछ देर बाद पिता ने 500 रुपए देकर उसे गेंहू में छिड़काव की दवा लाने के लिए जैतपुर भेजा। मौके का फायदा उठाकर वह गुस्से में जैतपुर में रोडवेज बस में बैठकर बाराबंकी जा पहुंचा। वहां से शाम को ट्रेन में बैठकर लखनऊ पहुंच गया। और फिर दूसरी ट्रेन में बैठकर वेडनसडे सुबह पीताम्बरपुर स्टेशन पर पहुंच गया। यहां भी मन नहीं लगा तो वह 26 किमी पैदल चलकर रसुईया रेलवे स्टेशन पर पहुंचा। यहां उसे घर वालों की याद आने लगी। उसने रेलवे स्टाफ से ही परिजनों को फोन लगाने की बात कही। इसके बाद रेलवे स्टाफ ने चाइल्ड लाइन को बुलाकर उसे सौंप दिया। सच्चाई बताने के बाद विकास ने अपना आधार कार्ड और बैंक पासबुक भी चाइल्ड लाइन टीम को दिखाई। चाइल्ड लाइन टीम ने काउंसलिंग कर किशोर के परिजनों को उसके मिलने की सूचना दे दी।

Posted By: Inextlive