-चाइनीज नकली खाने-पीने के सामान बिक रहे बनारस के मार्केट में

-कृत्रिम अण्डा, हरी मटर, चावल और गोलगप्पा बिगाड़ रहे सेहत

-त्योहार के मौसम में चाइनीज आइटम से पटा शहर

VARANASI

ड्रैगन की पहुंच बढ़ती ही जा रही है। पहले उसने तीज-त्योहार पर अपनी मौजूदगी जतायी। फिर रोजमर्रा की जरूरतों के लिए हमारी आदत में शामिल हो गया। अब तो उसकी पहुंच किचेन तक हो गयी है। खाने-पीने की चीजें चीन से बनकर आ रही हैं। चाइनीज चावल, गोलगप्पा, चीनी, मटर, मीट के अलावा अब तो चाइनीज अण्डा भी बनारस के कोने-कोने में उपलब्ध है। केमिकल से कृत्रिम रूप तैयार ये सामान सेहत के लिए खतरनाक हैं। लेकिन बनाए इस तरह से गए हैं कि भारत के प्राकृतिक तरीके से तैयार सामानों और चाइनीज आइटम में फर्क करना मुश्किल है। मुनाफा कमाने के लिए दुकानदार इन्हें बेचने पर ज्यादा जोर दे रहे हैं।

सब मुनाफे का खेल

भारत आने वाले सभी चाइनीज आइटम सेहत के लिए अच्छे नहीं हैं लेकिन इनमें सबसे खतरनाक है कृत्रिम रूप से तैयार खाने-पीने के सामान। देखने में तो ये बिल्कुल प्राकृतिक सामानों की तरह लगते हैं लेकिन तैयार केमिकल से होते हैं। हालांकि इनकी कीमत नेचुरल से काफी कम होती है। इसके चलते व्यापारी अच्छा मुनाफा कमाने के चक्कर में लोगों को असली बताकर नकली चाइनीज सामान थमा दे रहे हैं। सामान्य तौर पर अकली-नकली की पहचान नहीं हो पाने से लोग चाइनीज आइटम ही इस्तेमाल करने को मजबूर होते हैं। इनका लम्बे समय तक इस्तेमाल करने से सेहत पर खराब असर होता है। चाइना से आने वाला कृत्रिम अण्डा बनारस के कैंट, नवाबगंज, सुंदरपुर, राजघाट समेत अन्य स्थानों पर मौजूद बड़े व्यापारियों के पास से पूरे शहर में पहुंच रहा है।

बनारस की बड़ी गल्ला मंडियों खोजवां, विशेश्वरगंज, नगवां, अर्दली बाजार समेत अन्य मंडियों में नकली चाइनीज चावल मौजूद हैं। चाइनीज हरी मटर तो सामान्य दुकानों के साथ ही सिगरा, लंका, पाण्डेयपुर, कैंट समेत कई बड़े स्टोर्स में बिक रही है।

सेहत के लिए खतरनाक

-मुर्गी का अंडा प्रोटीन और अन्य पोषक तत्वों के चलते शरीर के लिए लाभदायक होता है। लेकिन कृत्रिम अंडा केवल रासायनिक पदार्थो से तैयार होता है

-इस अंडे का बाहरी आवरण कैल्शियम कार्बोनेट, जिप्सम पावडर और मोम से तैयार होता है

-भीतर सोडियम एलिग्नेट, एलम, जिलेटिन और कैल्शियम क्लोराइड के मिश्रण को भरा जाता है।

-चाइनीज चावल को बनाने में प्लास्टिक फाइबर का इस्तेमाल होता है।

-फैक्टरी में मशीन के जरिए इन्हें पालिश करके चमकाया जाता है जिससे चावल बेहद आकर्षक दिखते हैं।

-चाइनीज हरी मटर भी प्लास्टिक फाइबर से बनती है। देर तक पानी में भिगोकर रखने पर भी कुछ कड़ापन रह जाता है।

-हरी पत्ता गोभी कृत्रिम रूप से कैसे तैयार की जाती है इसका वीडियो कुछ दिनों पहले सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था।

-महिलाओं का सबसे पसंदीदा गोलगप्पा भी नकली बनने लगा है। इसे बनाने में भी प्लास्टिक फाइबर की अहम भूमिका है।

काफी कुछ है मौजूद

-त्योहार के मद्देनजर इस वक्त मार्केट में चाइनीज लाइटें सबसे अधिक बिक रही हैं।

-देसी दीपों की जगह चाइनीज दीप अधिक दुकानों पर दिख रहे हैं

-लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति भी चाइना से तैयार होकर आ रही हैं।

-त्योहार पर रंगों से बनायी जाने वाली रंगोली भी चाइना की रेडिमेड मिल रही है।

-घरों को सजाने के लिए तरह-तरह के सजावटी सामान भी मार्केट में हैं।

-चाइनीज कलर, कपड़े, मेकअप के सामन बड़े पैमाने पर बनारस में इस्तेमाल होते हैं।

-चाइनीज खिलौने, वाहनों के पा‌र्ट्स, समेत सबकुछ मौजूद हैं।

-चाइनीज मोबाइल समेत ढेरों इलेक्ट्रानिक आइटम्स से बाजार पटा है।

चाइनीज सामान सेहत के लिए बेहद खतरनाक होते हैं। इन्हें तैयार करने में घटिया मैटीरियल और खतरनाक केमिकल का इस्तेमाल होता है। आई नेक्स्ट आपसे अपील करता है कि चाइनीज सामानों के इस्तेमाल से बचें। इससे आपका देश भी आर्थिक रूप से मजबूत होगा।

कृत्रिम रूप से तैयार खाने-पीने के सामान सेहत के लिए बेहद खतरनाक होते हैं। इनमें प्लास्टिक समेत खतरनाक केमिकल का इस्तेमाल होता है। इससे हमारा डायजेस्टिव सिस्टम बिगड़ जाता है। साथ ही लीवर, किडनी पर प्रभाव पड़ता है। कैंसर होने की आशंका भी रहती है।

डॉ। शैलेष मालवीय

सीनियर कन्सलटेंट

असली-नकली का फर्क ही पता नहीं चलता है। हम क्या खा रहे हैं, नहीं जान पाते हैं। मुनाफे के चक्कर में व्यापारी भी हमें नकली चाइनीज सामान थमा देता है।

दिलीप, सिगरा

चाइनीज चावल, हरी मटर तो सुना था लो अब कृत्रिम अंडा भी आ गया। अब इससे कैसे बचा जाए। लोग सेहत के लिए खाएंगे लेकिन सेहत को खराब करेंगे।

अभय प्रताप, पाण्डेयपुर

पूरा शहर का बाजार चाइनीज आइटम से पटा है। सबकुछ तो चाइनीज आ रहा है। अब तो खाने-पीने का सामान भी कृत्रिम रूप से तैयार होने लगा है। ये बेहद खतरनाक है।

सोनू झा, सोनारपुरा

Posted By: Inextlive