- कपल्स के लिए आइडियल है मेयर अभिलाषा और पूर्व मंत्री नंदी की लव स्टोरी

- मिलकर किया हर विपत्ति का सामना, बिता रहे हैं सुखमय जीवन

ALLAHABAD: ये इश्क नहीं आसां, बस इतना समझ लीजिए, इक आग का दरिया है और डूब के जाना है एक शायर की ये पंक्तियां इलाहाबाद की मेयर अभिलाषा गुप्ता नंदी और पूर्व कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी की लव स्टोरी पर बिल्कुल सही बैठती है। सामाजिक बंदिशों को तोड़कर कड़े संघर्ष के बाद इस कपल ने अपने प्यार को मुकाम तक पहुंचाया। इसके बाद भी इनका संघर्ष खत्म नहीं हुआ। लेकिन जब भी इन पर मुसीबत आयी, दोनों ने मिलकर उसका सामना किया। फिर चाहे वो चुनाव लड़ते समय विरोधियों की चुनौती हो या फिर मिनिस्टर बनने के बाद बम अटैक हो। हर पल ये एक दूसरे के साथ खड़े दिखे। ये प्यार आज भी इनके रिश्ते को लोगों के लिए एक प्रेरणा देने वाला है।

मैहर देवी धाम में हुआ प्यार

वैसे तो नंदी व अभिलाषा की दोस्ती प्रायमरी एजुकेशन के दौरान ही हो गई थी। क्योंकि दोनों लोहिया पाण्डेय के हाता में वेसेंट नर्सरी स्कूल में एक साथ पढ़ते थे। इनका घर भी एक ही गली में है। लेकिन कुछ दिनों बाद स्कूल बदला तो कांटैक्ट छूट गया। बचपन बीता और युवा अवस्था में पहुंचे। कई सालों बाद इनकी मुलाकात मैहर देवी मंदिर सतना में हुई तो प्रेम के अंकुर फूट पड़े। नंदी ने कुछ दिन बाद ही अपने प्यार का इजहार भी अभिलाषा स कर दिया। उनकी हामी मिले तो प्यार का सिलसिला चल पड़ा।

हर तरफ झेलना पड़ा विरोध

नंद गोपाल गुप्ता बताते हैं कि जब उनकी लव स्टोरी की जानकारी अभिलाषा मिश्रा की फैमिली को हुई तो हंगामा मच गया। क्योकि नंद गोपाल की आर्थिक स्थिति उस समय काफी खराब थी। जबकि अभिलाषा बेहद समृद्ध परिवार से बिलांग करती थी। अभिलाषा की फैमिली को यह रिश्ता कतई मंजूर नहीं था। इसमें जाति के साथ सामाजिक व आर्थिक स्थिति अहम कारण थी। फिर भी अभिलाषा और नंद गोपाल ने शादी करने का फैसला लिया। नंद गोपाल ने अभिलाषा से संपर्क करने के लिए दूध वाले से लेकर घर में काम करने वाली नौकरानी तक से लेटर भिजवाया। जब ये बात अभिलाषा के पिता पीएन मिश्रा को पता चली तो उन्होंने बेटी को अपने रिलेटिव के घर जबलपुर भेज दिया।

जबलपुर काफी हाउस में रचाई शादी

नंद गोपाल को जब अभिलाषा के जबलपुर जाने की बात पता चली तो वे भी उनके पीछे वहां पहुंच गए। जबलपुर कॉफी हाउस में किसी तरह मजिस्ट्रेट को बुलाकर क्99ब् में कोर्ट मैरिज कर लिया। जब ये बात अभिलाषा के पिता को पता चली तो वे उन्हें वापस इलाहाबाद लेकर आ गए। और उनकी दूसरे जगह शादी कराने की तैयारी करने लगे। इसी बीच अभिलाषा अपने पैरेंट्स को बिना बताये घर से निकल आयी और नंद गोपाल के साथ कार से विध्यांचल मंदिर पहुंची। यहां पर दोनों ने मां विध्यवासिनी का दर्शन किया और उनसे अपने लिए आशीर्वाद मांगा। फिर वे कार से ही नागपुर रवाना हो गए। वहां नंद गोपाल के ताऊ रहते थे। उन्हें जब इस बात की जानकारी हुई तो उन्होंने भी दोनों को घर में रखने से इंकार कर दिया। इसके बाद नंद गोपाल अपने एक दोस्त के पास रहने चले गए। जहां दोनों काफी दिनों तक रहे। इस बीच अभिलाषा की फैमिली को भी कंवेंस कर लिया और इलाहाबाद लौटे तो रीति रिवाज से इनकी शादी हुई।

हर कदम पर दिया बराबर का साथ

शादी के बाद भी नंदगोपाल और अभिलाषा की जिंदगी में चुनौतियां कम नहीं हुई। संघर्ष के दिनों की याद करते हुए नंद गोपाल ने बताया कि शादी के बाद उन्होंने जर्नल स्टोर खोलकर अपने बिजनेस की नई शुरुआत की। इस दौरान अभिलाषा ने उनका बराबर साथ दिया। कई कठिनाइयों को पार करते हुए वह पत्‍‌नी के सपोर्ट व प्यार के भरोसे आगे बढ़े और एक मुकाम हासिल किया। इसके बाद उन्होंने राजनीति में कदम रखने की सोची तो यहां भी अभिलाषा ने उनका बराबर साथ दिया। चुनाव जीतने के बाद उन्हें मंत्री पद मिला। इसी बीच सबसे बड़ी मुसीबत उनकी जिंदगी में आयी। कैबिनेट मंत्री रहते हुए उन पर बम से हमला हुआ और वह गंभीर रूप से जख्मी हो गए। रात में ही उन्हें गुप्त तरीके से एयर एम्बुलेंस से लखनऊ ले जाया गया। जहां वे आठ दिन कोमा में रहे। इस दौरान उनकी पत्‍‌नी ने हौसले से इस विपत्ति का डटकर सामना किया। अथक परिश्रम कर उन्हें स्वास्थ्य लाभ लेने में मदद की। इसके बाद उनके जीवन में एक खुशी का पल उस समय आया जब अभिलाषा मेयर बनीं। आज दोनों पति पत्‍‌नी जीवन का हर सुख दुख आपस में बांटते हैं।

Posted By: Inextlive