चोटी सम्राट प्रतियोगिता में शामिल होने के लिए ब्राह्माणों के लिए उपनयन संस्कार किया गया अनिवार्य

ALLAHABAD: दारागंज में पिछले नौ वर्षो से चोटी सम्राट नाम से एक ऐसी प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है जो सुनने में अजीब सा लगता है, लेकिन सनातन धर्म की अक्षुण्ण परंपरा को और अधिक मजबूत करने की दिशा में आयोजन कराने वाली संस्था प्रयागराज सेवा समिति ने चोटी सम्राट की चाहत रखने वालों के लिए शर्त भी रखी है। इस बार प्रतियोगिता में ऐसे ब्राह्माणों को इंट्री नहीं दी जाएगी जिनका उपनयन संस्कार नहीं हुआ होगा। प्रतियोगिता के संयोजक तीर्थराज पांडेय ने बताया कि ऐसा इसलिए किया गया है कि क्योंकि उपनयन संस्कार हमारी परंपरा का बड़ा कर्म माना जाता है। जिसने इसका पालन नहीं किया उसे शामिल नहीं किया जाएगा।

30 अप्रैल को होगी प्रतियोगिता

प्रयागराज सेवा समिति की ओर से लगातार दसवें वर्ष चोटी सम्राट प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा। यह प्रतियोगिता 30 अप्रैल को धकाधक चौराहे पर आयोजित की जाएगी। इसके लिए समिति के कार्यालय में इस समय रजिस्ट्रेशन किया जा रहा है। प्रतियोगिता में शामिल होने के लिए अब तक 20 चोटी धारकों ने अपना रजिस्ट्रेशन करा लिया है।

परंपरा को बचाने की कवायद

प्रतियोगिता के संयोजक तीर्थराज पांडेय ने बताया कि सनातन धर्म में चोटी रखने की परंपरा विलुप्त होती जा रही है। पौराणिक मान्यता है कि सिर में एक ऐसा बाल होता है जिसका जुड़ाव मस्तिष्क से होता है। जो इंसान की छठी इन्द्री को मजबूत करने का काम करती है। इसीलिए इसकी जरुरत को देखते हुए समिति हर वर्ष प्रतियोगिता आयोजित कराती है।

Posted By: Inextlive