RANCHI: पूरी दुनिया में क्रिसमस का त्यौहार खुशियों की सौगात लेकर आता है। हमारी तैयारी भी खुद को संतुष्ट करने के लिए होती है। लेकिन, बेहतर यही है कि हम दूसरों के लिए भी तैयारी करें। दीन-दुखियों की सेवा ही संसार का सबसे बड़ा धर्म है। यही हमें प्रभु यीशु भी बताते हैं। उनके आगमन के काल में हमारा यह दायित्व बनता है कि प्रभु के स्वागत में हम उन्हीं आदेशों का अनुसरण करें, जैसा प्रभु ने हमें बताया है। अभी हम छोटी-छोटी खुशियों की तलाश में भौतिक तैयारी करते हैं, लेकिन अहम तैयारी आध्यात्मिक होनी चाहिए। प्रभु यीशु का जन्म दूसरों के जीवन में प्रकाश लाने के लिए हुआ था। हमें उनके जीवन से सीख लेने की जरूरत है। प्रभु यीशु के आगमन की प्रतीक्षा सिर्फ आज से नहीं की जा रही है, बल्कि कलीसिया के उद्भव के पहले यहूदियों ने भी मसीह की प्रतीक्षा की थी। प्रभु यीशु के आगमन की प्रतीक्षा में हम अपने घरों को सजाते हैं। चरनी में प्रभु यीशु को प्रतिष्ठित करने के लिए स्थान बनाते हैं, किन्तु शायद हम अपने अंदर इस ईश्वर को धारण करने के लिए स्थान बनाने से चूक जाते हैं। हमें चैकस रहना चाहिए कि पता नहीं कब प्रभु अपने आगमन से हमें अनुग्रहित कर दें। हमें अपने हृदय को निष्कलंक, निष्कपट एवं निर्मल बनाना चाहिए। तभी सही अथरें में हम प्रभु को अपने हृदयों में धारण कर उस आनन्द का अनुभव कर पाएंगे।

डिकेन जॉर्ज टोपनो, डॉन बॉस्को, कोकर

Posted By: Inextlive