-काशी विद्यापीठ छात्रसंघ चुनाव को लेकर बनने लगा माहौल, ठेका लेने वाले मठाधीश नेताओं की मची होड़

-पैनल से चुनाव लड़ाने की करने लगे हैं पेशकश, होर्डिग-बैनर व हैंडबिल से पटा है कैंपस

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राजनीति की पहली पाठशाला छात्रसंघ चुनाव को लेकर यूनिवर्सिटीज-कॉलेजेज में अभी से माहौल बनने लगा है। नवागत छात्र नेताओं के होर्डिग, बैनर और हैंडबिल से कैंपस सहित आसपास के एरिया भी पटने लगे हैं। अभी से विभिन्न पदों पर दावेदारी ठोंकते छात्र नेताओं को पैनल से चुनाव लड़ने की पेशकश भी होने लगी है। काशी विद्यापीठ में ऐसे मठाधीश नेताओं के पैनल भी सक्रिय हैं, जो चुनाव लड़ाने के लिए ठेका भी लेते हैं। पिछले चार-पांच सालों से कैंपस में एक्टिव एक पैनल ने तो बकायदा एलान भी कर दिया है कि दस लाख में अध्यक्ष और पांच लाख में महामंत्री-उपाध्यक्ष जिसे बनना हो सम्पर्क करे। पैसे के बल पर बीते पांच सालों में अध्यक्ष की कुर्सी कितनों ने पाई है यह भी विद्यापीठ में जगजाहिर है। ठेका लेकर चुनाव जिताने का दावा करने वाले पैनल की चर्चाएं कैंपस में जोरों पर है।

दावेदारों की हो रही मॉनिटरिंग

कैंपस में छात्र हितों की दुहाई देकर छात्र-छात्राओं के बीच में माहौल बना रहे नवागत छात्र नेताओं को मठाधीश फिलहाल अभी आंक रहे हैं। देखा जा रहा है कि कौन प्रत्याशी कितना खर्च कर पाएगा और उसकी माली हालत कितनी बेहतर है। कैंपस में लकदक माहौल बनाने वाले छात्रों के साथ पैनल के दो से तीन एक्टिव कार्यकर्ताओं को भी लगा दिया गया है। जिसकी मॉनिटरिंग पैनल तक पहुंच रही है।

अध्यक्ष पर एक खास पैनल का वर्चस्व

काशी विद्यापीठ में छात्रसंघ चुनाव को लेकर दो तीन पैनलों के बीच कायम वर्चस्व के अलावा अध्यक्ष की कुर्सी हथियाना किसी के बस की बात नहीं। फिलहाल एक खास पैनल का वर्चस्व पिछले तीन-चार चुनावों में लगातार देखने को मिल रहा है। सबके अलग-अलग दावों पर प्रचार-प्रसार का माहौल भी तय हो रहा है।

लिंगदोह समिति का नहीं ख्याल

छात्रसंघ चुनाव चाहे किसी भी यूनिवर्सिटी या पीजी कॉलेज में हो लेकिन लिंगदोह समिति के नियम मखौल उड़ता है। कारण कि इलेक्शन में पांच से सात हजार रुपये कैंडीडेट्स को खर्च करने की अनुमति होती है। सादे पेपर पर हाथ से लिखे पोस्टर या हैंडबिल मान्य होता है। लेकिन चुनाव में ऐसा कुछ भी नहीं देखने को मिलता। पिछले कई चुनावों में एक-एक प्रत्याशी दस से बारह लाख रुपये खर्च करता है। पूरा शहर होर्डिग, बैनर से पटा रहता है।

बिन एडमिशन बना रहे माहौल

अभी तक यह भी देखने को मिल रहा है कि कैंपस में प्रचार-प्रचार करने वाले छात्र नेताओं की फौज में अधिकतर का एडमिशन भी नहीं है। इसमें अधिकांश ने एंट्रेंस एग्जाम का फॉर्म फिलअप किया है। कुछ पुराने छात्र भी हैं जो चुनाव के लिए दावेदारी ठोक रहे हैं।

Posted By: Inextlive