सारी सुविधा देने के बावजूद गिनती के दिव्यांग करा रहे सर्जरी

-उपकरण आदि लेने के लिए मची रहती है होड़

VARANASI

दिव्यांगजनों को हर रोज मिलने वाली चुनौती तो मंजूर है लेकिन उनकी शारीरिक समस्या को दूर करने में सहायक करेक्टिव सर्जरी नहीं। यह हम नहीं सरकारी विभाग के आंकड़े कह रहे हैं। साल दर साल सर्जरी कराने वालों की संख्या कम होती जा रही है। सरकार के लाख सुविधा देने के बावजूद गिनती के दिव्यांग सर्जरी करा रहे हैं। वहीं उपकरण पाने के लिए मारा-मारी हो रही है। जिनके उपयोग से वो रोज-मर्रा की जिंदगी को थोड़ा सहज बना पाते हैं।

लगता है डर

दिव्यांगजनों का सर्जरी से दूर होने की सबसे बड़ी वजह उनका डर होता है। उनमें भ्रांति है कि सर्जरी कराने से मौत हो सकती है या गंभीर शारीरिक विकार हो सकता है। हालांकि की इसका सत्यतता से कोई लेना-देना नहीं है। सच यह हैकि विभिन्न प्रकार की नि:शक्तताओं को कम करने में करेक्टिव सर्जरी ही कारगर है। सर्जरी के जरिए दिव्यांगजन को सामान्य जीवन जीने लायक बनाया जा सकता है। लेकिन भ्रांतियों की वजह से दिव्यांग सर्जरी नहीं कराना चाहते हैं। जबकि सामाजिक संगठनों की मदद से सरकार उनकी भ्रांतियों को दूर करने की कोशिश भी कर रही है। दिव्यांगजनों को बताया जा रहा है कि सर्जरी उनके लिए नुकसानदेय नहीं बल्कि फायदेमंद होता है।

सरकार दे रही सुविधा

दिव्यांगजनों की सर्जरी का कोई टेंशन उन्हें नहीं लेना होता है। लाभार्थी के इलाज का खर्च खुद शासन उठाता है। उन्हें किसी तरह का खर्च नहीं देना होता है, बावजूद इसके दिव्यांग सर्जरी से बचने की कोशिश में रहते हैं। घटती संख्या देखकर सुविधा में बढोत्तरी की गयी। शल्य चिकित्सा का लाभ पहले बीपीएल धारकों को मिलता था, लेकिन अब 92 हजार तक वार्षिक आय वाले भी पात्र हैं। बावजूद इसके संख्या बढ़ने की बजाय घटती जा रही है। जिन दिव्यांगजनों ने पिछले कुछ वित्तीय वर्ष में शल्य चिकित्सा अनुदान का लाभ लिया उनकी गिनती उंगली पर हो सकती है। वहीं दिव्यांगजनों को कृत्रिम अंग व सहायक उपकरण खरीदने के लिए शासन की ओर से आठ हजार रुपए आर्थिक मदद की जाती है। इसका लाभ लेने की होड़ लगी रहती है।

घटती संख्या

दिव्यांग विभाग के आंकड़े तो यही बता रहे हैं।

वित्तीय वर्ष

2016-17 में 58

2017-18 में 12

2018-19 (अभी तक)- 8

कृत्रम अंग पाने पाने की होड़

2016-17 में 380

2017-18 में 488 हो गयी।

2018-19 (अभी तक)-374

2018-19 में 600 का लक्ष्य

11 हजार लोगों को कृत्रिम अंग बांटे थे पीएम नरेंद्र मोदी ने

शादी अनुदान में भी पीछे

शादी अनुदान योजना में आयकर देने वाले दिव्यांग को छोड़कर सभी लाभ ले सकते हैं। दिव्यांग पति-पत्नी को 35 हजार रुपये प्रोत्साहन राशि मिलती है। इस राशि के लिए उपनिबंधन कार्यालय से विवाह पंजीयन कराना जरूरी है। वित्तीय वर्ष 2016-17 में 8 दिव्यांग दम्पतियों ने इसका लाभ लिया। 2017-18 में यह संख्या 18 रही, जबकि वर्तमान वित्तीय वर्ष में अब तक 11 ने लाभ लिया है।

विभाग खुद करेगा आवेदन

योजना का लाभ पाने के लिए ऑनलाइन आवेदन जरूरी है, लेकिन सामाजिक संगठनों के आग्रह पर एक सप्ताह पहले शासन ने अक्षम दिव्यांगों के लिए सहूलियत दी। आदेश के अनुसार विभाग खुद लाचार और अनपढ़ दिव्यांगजनों का आनलाइन आवेदन करेगा। इसके लिए दिव्यांगजनों को हार्ड कापी विभाग में जमा करनी होगी।

2011 की जनगणना के अनुसार दिव्यांगजनों की जनसंख्या

वाराणसी

कुल आबादी : 96924

पुरुष : 54297

महिला : 42627

प्रदेश सरकार की ओर से दिव्यांगजनों को तमाम सहूलियत दी जा रही है। बावजूद इसके वे जागरूक नहीं हैं, दिव्यांगजनों के लिए काम करने वाली सामाजिक संस्थाएं भी योजनाओं का लाभ लेने के लिए के प्रेरित करती हैं।

-राजेश मिश्रा, जिला दिव्यांग अधिकारी

Posted By: Inextlive