-छह महीने में 45,000 मीट्रिक टन कूड़ा हो चुका है डंप

-शहर के 80 वार्डो में पर डे निकलता है 450 से 500 मीट्रिक टन कचरा

-छह महीने से एडब्ल्यूपी उठा रहा है केवल 250 मीट्रिक टन कूड़ा

balaji.kesharwani@inext.co.in

ALLAHABAD: नगर निगम संसाधन का रोना रो रहा है और एडब्ल्यूपी अपने बकाया पैसे का। इसका नतीजा यह है कि शहर में ही कूड़े का ढेर पहाड़ का रूप लेता जा रहा है। हालात यह हैं कि सिटी में पर डे करीब भ्00 मीट्रिक टन कूड़ा निकलता है और हटाया सिर्फ ख्भ्0 मीट्रिक टन ही जा रहा है। यह स्थिति पिछले छह महीनो से है और दिनों दिन जटिल रूप लेती जा रही है। बरसात में तो यह समस्या बनेगा ही। बरसात के बाद यह महामारी का रूप भी ले सकता है।

नौ करोड़ पहुंच गया बिल

पेमेंट को लेकर नगर निगम और एडब्ल्यूपी के बीच विवाद चल रहा है। इसका खामियाजा शहर के 80 वार्डो की पब्लिक भुगत रही है। अब तो शहर से कूड़ा उठाना मुश्किल हो गया है जबकि घर-घर से कूड़ा उठाने का काम बंद है। एडब्ल्यूपी ने यह कदम इसलिए उठाया क्योंकि उसका करीब नौ करोड़ से अधिक रुपया नगम निगम पर बकाया है। एडब्लयूपी के मैनेजर ललित विजय की मानें तो पर डे जितना भी कूड़ा डिस्पोज होता है, उसका करीब क्0 परसेंट हिस्सा खाद के रूप में हासिल होता है। कुछ हिस्से को रिसाइकल किया जाता है, तो कुछ हिस्सा माइस्चर बन कर खत्म हो जाता है।

बसवार पहुंच रहा केवल ख्भ्0 मीट्रिक टन कचरा

ललित की मानें तो छह महीने से एडब्ल्यूपी केवल ख्भ्0 मीट्रिक टन कूड़ा ही उठा रहा है, जिसे बसवार प्लांट तक ले जाया जा रहा है। यानी करीब दो सौ से ख्भ्0 मीट्रिक टन कूड़ा नगर निगम एरिया में ही डंप किया जा रहा है। एडब्ल्यूपी के हाथ खड़े करने से बाकी कूड़ा उठाने और उसे डिस्पोज करने की जिम्मेदारी नगर निगम पर आ गई है। नगर निगम इसे शहर के अंदर या गढ्डों में फेंक रहा है। यह इसलिए है क्योंकि, बसवार स्थित प्लांट में कूड़े को डिस्पोज कराने का अधिकार केवल एडब्ल्यूपी के पास है। एडब्ल्यूपी के मैनेजर का कहना है कि नगर निगम प्लांट में कूड़ा भेजेगा तो उसे पेमेंट करना होगा और निगम पेमेंट करना नहीं चाहता।

शहर को चाहिए चार हजार सफाईकर्मी

म्0 नहीं तो अगर औसतन एक वार्ड में भ्0 सफाई कर्मचारी की भी तैनाती की जाए तो पूरे शहर के लिए चार हजार सफाई कर्मचारियों की जरूरत है। जबकि नगर निगम के रिकार्ड की मानें तो शहर में कुल क्900 सफाई कर्मचारी ही तैनात हैं। इसका नतीजा यह है कि किसी वार्ड की एक गली में आज सफाई होती है तो दूसरी बार उसका नंबर तीन से चार दिन बाद आता है।

डीपी बॉक्स भी हो गए कम

-कूड़ा कलेक्शन के लिए लगे थे 8भ्0 डीपी बॉक्स

-साढ़े तीन सौ डीपी बॉक्स हो चुके हैं खराब

-करीब फ्00 बॉक्स से ही एडब्ल्यूपी की टीम उठा रही है कचरा

-ख्00 डीपी बॉक्स उठाने की जिम्मेदारी नगर निगम की है

यह कदम उठाने पर चल रहा विचार

-मेयर ने कहा नगर आयुक्त से हो चुकी है बात जल्द ही बुलाएंगे मीटिंग

-एडब्लयूपी को दी गई गाडि़यां वापस ली जाएंगी

-बसवार की जमीन नगर निगम की ही है, वहां कूड़ा ले जाएंगे

-जरूरत पड़ी तो करैलाबाग और फाफामऊ डंपिंग स्टेशन पर कूड़ा ले जाया जाएगा

-सॉल्यूशन के लिए नया रास्ता निकाला जाएगा

बिल बढ़ता जा रहा है। 80 वार्डो से घर-घर कूड़ा उठाने के बाद भी नगर निगम ने पेमेंट नहीं किया। इसका बिल पिछले महीने तक नौ करोड़ के करीब पहुंच गया है। करीब एक सप्ताह से सारे वार्डो में घर-घर से कूड़ा उठाने का काम बंद कर दिया गया है।

साफ-सफाई तो पर डे होती है। लेकिन, एक मोहल्ले में साफ-सफाई का नंबर दो-तीन दिन बाद आता है। मेयर से कहिए तो जवाब मिलता है सफाई कर्मचारी कम हैं। एडब्ल्यूपी काम कर रहा है उनसे कहिए। अब किससे कहें, समझ में नहीं आता।

आनंद सिंह

पार्षद वार्ड- ब्7

-ललित विजय

मैनेजर, एडब्ल्यूपी

कूड़ा जा कहां रहा है? शहर में ही पड़ा है। मोहल्लों में पड़ा है, डंपिंग स्टेशन पर है, जो बरसात के मौसम में बहुत बड़ी समस्या और बीमारी का कारण बन सकती है।

अभिलाषा गुप्ता

मेयर, नगर निगम इलाहाबाद

मेरा वार्ड न सिर्फ बहुत इंपार्टेट है, बल्कि बड़ा भी है। मेरे वार्ड में भ्0 से म्0 सफाई कर्मचारियों की जरूरत है। आज स्थिति यह है कि ख्भ् से फ्0 कर्मचारी ही तैनात हैं।

विजय कुमार तुलस्यानी

पार्षद वार्ड नंबर ख्0

पूरा वार्ड गंदगी से पटा रहता है। किसी भी रोड पर, किसी भी मोहल्ले में निकल जाइए, गंदगी ही दिखती है। एक तो स्टॉफ कम है। दूसरे जो हैं, वो भी ठीक से काम नहीं करते।

सतीश केसरवानी

पार्षद वार्ड-भ्क्

हम घर से निकलते हैं तो लोग सवाल करते हैं। कहते हैं, इसीलिए चुन कर भेजा था। क्या जवाब दें पब्लिक को। निगम कहता है स्टॉफ की कमी है।

राजू निषाद

पार्षद वार्ड- ब्ब्

Posted By: Inextlive