- 42 पार तापमान से दिमाग पर हावी हो रहा तनाव

- न्यूरोट्रांसमिट गड़बड़ाने से बिना सिर पैर की कर रहे बातें

- अस्पतालों में ऐसे मरीजों की बढ़ गयी है संख्या

vinod.sharma@inext.co.in

VARANASI

केस वन

45 वर्षीय मरीज को परिजन मनोचिकित्सक के पास लेकर पहुंचे. वह कहने लगा कि कल ही विराट से बात हुई थी, वो मिलने की कह रहे थे मैंने ही मना कर दिया. बात काटने पर वह मारपीट करने लगता है.

केस टू

30 वर्षीय मरीज की बातें सुनकर परिजन भी दंग हैं, वह राहगीरों को बैठा लेता है. उनसे कह रहा है अखिलेश यादव पीछे पड़े थे कि पार्टी में आ जाओ. काम ज्यादा था इसलिए मना कर दिया.

हम आपको सिर्फ इन दो केस के ही बारे में बता रहे हैं. जबकि ऐसे तमाम मामले इन दिनों अस्पतालों में आ रहे हैं. दरअसल इन दोनों का न्यूरोट्रांसमिट गड़बड़ा गया है. जिससे ये बहकी-बहकी बातें करने लगे हैं. ये दिक्कत इस भीषण गर्मी की वजह से आयी है. मई के बाद जून की तपिश भरी गर्मी में बिना सिर पैर की बातें करने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है. शहर में लगातार 42 पार तापमान से मस्तिष्क की नसें जकड़ने लगी हैं और दिमाग पर तनाव हावी हो रहा है. मीनिया (उन्माद) के मरीज बात काटने पर परिजनों से कहासुनी और घर में तोड़फोड़ कर रहे हैं.

मई के बाद जून में भी तापमान 40 से 45 डिग्री के बीच है. शरीर के सामान्य तापमान (37 डिग्री) से अधिक पारा पहुंचने पर न्यूरोट्रांसमीटर का स्तर गड़बड़ाने लगता है. जिसकी वजह से मानसिक चिकित्सालय पाण्डेयपुर की ओपीडी में इन दिनों ऐसे मरीजों की संख्या तीन सौ के पार है. वहीं मंडलीय हॉस्पिटल में भी तनाव और मीनिया से पीडि़त रोजाना करीब ढाई सौ पहुंच रहे हैं. यही हाल बीएचयू हॉस्पिटल का भी है. गर्मी की वजह से लोग गुस्सा ज्यादा आने के साथ चिड़चिड़े भी हो गए हैं. मगर, मीनिया के मरीज बड़ी-बड़ी बातें करने लगे हैं. उनकी बातें सुनकर लोग कन्फ्यूज हो रहे हैं. पलटकर सवाल करने पर मारपीट आमादा हो जा रहे हैं. विशेषज्ञों के अनुसार, तापमान बढ़ने से डोपामिन और नॉर एड्रिनालिन न्यूरोट्रांसमिट का स्तर गड़बड़ाने लगता है. इससे मीनिया के मरीज ओवर एक्टिव हो रहे हैं.

गर्मी से बचाएं

मीनिया के मरीज काउंसिलिंग और दवाओं से ठीक हो जाते हैं. मगर, इस मौसम में काउंसिलिंग से कोई फायदा नहीं हो रहा है. दवाओं की डोज भी बढ़ानी पड़ रही है. परिजनों से कहा जा रहा है कि मरीज को गर्मी से बचाएं, ठंडे माहौल में रखे.

वर्जन...

अधिक तापमान में न्यूरोट्रांसमिटर का स्तर गड़बड़ा जाता है. इससे उन्माद के मरीज बढ़ गए हैं. ये बिना सिर पैर की बातें कर रहे हैं. बात काटने पर मारपीट करने लगते हैं.

-डॉ. तुलसी, मनोचिकित्सक

तनाव और गर्मी के कारण मीनिया और मनोरोगियों की बीमारी बढ़ने लगती है. इस मौसम में मनोरोगी यात्रा करने से बचें. इससे परेशानी बढ़ सकती है. वहीं, आम व्यक्तियों में भी गर्मी से चिड़चिड़ापन बढ़ रहा है.

-डॉ. रविंद्र यादव, मनोचिकित्सक मंडलीय अस्पताल, कबीरचौरा

ऐसे करें बचाव

-गर्मी को किसी भी तरह अपने ऊपर हावी न होने दें.

- बाहर निकलते समय सिर को कपड़े से पूरी तरह बांध लें.

- थोड़ा सा भी सिर चकराने की स्थिति में तत्काल सो जाएं.

- शरीर में पानी की कमी कभी न होने दें.

- नमक और चीनी का घोल हर दिन पीने की आदत डाल लें.

- परिवार में इन दिनों तनाव की स्थिति पैदा होने से बचें.

- घर से निकलने के दौरान परिवार के सदस्यों को खुशी का एहसास कराएं.

Posted By: Vivek Srivastava