RANCHI : यूपीएससी के सिविल सर्विसेज पीटी के परिणाम से हिंदी मीडियम के कैंडिडेट्स की उम्मीदों को तगड़ा झटका लगा है. पिछले 34 सालों में संभवत ऐसा पहली बार हुआ है कि आईएएस बनने का ख्वाब देख रहे हिंदी स्पीकिंग एरिया के कैंडिडेट्स पीटी की बैरिकेडिंग तोडऩे में असफल रहे हैैं. पीटी रिजल्ट इस लिहाज से डिसअप्वाइंट करनेवाला है कि इस बार झारखंड बिहार और यूपी के गिने-चुने कैंडिडेट्स को ही मेन्स एग्जाम में अपनी 'किस्मतÓ आजमाने का मौका मिलेगा. सिविल सर्विसेज की पहली ही रेस में हिंदी बेल्ट से बिलांग करनेवाले कैंडिडेट्स के सफाए से पीटी के बदले पैटर्न पर भी सवाल उठने लगे हैैं.


16 हजार हुए हैैं सफल

आईएएस पीटी-2013 के लिए लगभग 16000 कैंडिडेट्स क्वालिफाई करने में सफल रहे हैैं.  मालूम हो कि यूपीएससी ने सिविल सर्विसेज और इंडियन फॉरेस्ट सर्विस के लिए पहली बार कंबाइंड पीटी कंडक्ट किया था। 26 मई को हुए पीटी  के लिए रांची समेत देशभर में कई सेंटर्स बनाए गए थे, जिन सेंटर्स पर लगभग तीन लाख कैंडिडेट्स एग्जाम में अपीयर हुए थे। पीटी के रिजल्ट पब्लिश्ड होने के बाद जो इंफॉर्मेशन छनकर सामने आई है उसके मुताबिक,  हिंदी लैैंग्वेज के 10 परसेंट से भी कम कैंडिडेट्स ही पीटी में सफल हो पाए हैैं।

नहीं चली  दबंगई
वल्र्ड की सबसे टफेस्ट मानी जानेवाली इंडियन सिविल सर्विसेज के एग्जाम में अबतक हिंदी बेल्ट से बिलांग करनेवाले कैंडिडेट्स की दबंगई देखने को मिली थी.  सिविल सर्विसेज के लिए फाइनली सेलेक्ट होनेवाले मैक्सिमम कैंडिडेट्स इसी बेल्ट से बिलांग करते रहे हैैं। यूपीएससी के पिछले कुछ डिकेड के सिविल सर्विसेज के टॉपर्स की लिस्ट पर पर नजर डालें, तो ऐसे कई नाम सामने आ जाएंगे। पर, इस साल झारखंड, बिहार या यूपी के गिने-चुने  कैंडिडेट्स ही आईएएस बनने की दौड़ में शामिल रहेंगे, क्योंकि 90 परसेंट कैंडिडेट्स पीटी में डिसक्वालिफाई हो चुके हैैं।

सीसैट तो वजह नहीं
चाणक्या आईएएस एकेडमी के डायरेक्टर विनय कुमार मिश्रा बताते हैैं कि हिंदी स्पीकिंग एरिया के कैंडिडेट्स का पीटी में पुअर परफॉर्मेंस के पीछे सीसैट भी एक वजह हो सकती है। यूपीएससी ने दो साल पहले सीसैट इंप्लीमेंट किया है। इससे पहले पीटी में जेनरल स्टडीज और ऑप्शनल सब्जेक्ट के एक-एक पेपर होते थे। पर, अब जीएस के साथ एक पेपर सीसैट का जोड़ दिया गया है। जब से पीटी में सीसैट जुड़ा है, हिंदी बेल्ट के कैंडिडेट्स के सक्सेस का ग्र्राफ नीचे गिरा है। ऐसा लगता है कि इस एरिया से बिलांग करनेवाले कैंडिडेट्स सीसैट के बेसिक फंडा को बहुत अच्छी तरह नहीं समझ पाए है, जिसकी वजह से उन्हें यह खामियाजा भुगतना पड़ा है। हालांकि, सीसैट में इंग्लिश, मेंटल एबिलिटी, कॉम्प्रीहेंशन और लॉजिकल रिजनिंग के बेसिक्स ही क्वेश्चंस रहते हैैं।

साइकोलॉजिकल प्रॉब्लम तो नहीं
हिंदी लैैंग्वेज से जो कैंडिडेट्स पीटी में अपीयर हो रहे हैैं, उन्हें सबसे ज्यादा खौफ सीसैट से है.चाणक्या एकेडमी के विनय मिश्रा कहते हैैं कि यह कहीं न कहीं कैंडिडेट्स के साइकोलॉजिकल प्रॉब्लम की ओर इशारा कर रही है। ऐसा लगता है कि हिंदी से सिविल सर्विसेज की प्रिपरेशन कर रहे कैंडिडेट्स के दिलो- दिमाग में यह बैठ गया है कि अब आईएएस में इंग्लिश मीडियम का दबदबा रहेगा। अगर वे प्रिपरेशन कर भी रहे हैैं तो प्रेशर के साथ। अपनी कैपासिटी का पूरा इस्तेमाल नहीं करने के कारण ही कैंडिडेट्स को पीटी में निराशा हाथ लगी है। पर, कैंडिडेट्स को यह भी समझना चाहिए कि अगर आप आईएएस के लिए प्रिपरेशन कर रहे हैैं तो हर फील्ड की जानकारी होनी चाहिए।

इंग्लिश ने हिंदी को दिक्कत
एडमिनिस्ट्रेटिव कोचिंग इंस्टीट्यूट, करमटोली के डायरेक्टर अनिल मिश्रा बताते हैैं कि ऑप्शनल सब्जेक्ट के प्लेस पर सीसैट जोडऩे से हिंदी मीडियम के कैंडिडेट्स को दिक्कतें हो रही है। पीटी में इस बार हिंदी मीडियम के कैंडिडेट्स का रिजल्ट गड़बड़ाया है, तो इसके पीछे सीसैट कहीं न कहीं एक वजह जरूर है।
बदलनी होगी स्ट्रेटजी
एक्सपट्र्स का मानना है कि आईएएस जैसी प्रेस्टीजियस सर्विस के लिए कैंडिडेट्स को हर फील्ड में एक्सपर्ट बनने की जरूरत है। पैटर्न में बदलाव से घबराने की बजाय उसके लिए मेंटली प्रिपेयर्ड रहना चाहिए। हिंदी मीडियम के कैंडिडेट्स को चाहिए कि वे प्रिपरेशन की स्ट्रेटजी को बदलें। जहां तक सीसैट की बात है, यह एक तरह से दिमाग का एप्टीट्युड टेस्ट है। इसमें पूछे जानेवाले क्वेश्चंस बेसिक लेवल के होते हैैं। जितनी मेहनत ऑप्शनल पेपर की तैयारी में करनी पड़ती थी, अगर उतना ही एफर्ट लगाने से सीसैट पर आसानी से कमांड किया जा सकता है। रही बात इंग्लिश की तो, यह कॉमन है कि अगर आप सिविल सर्विसेज की प्रिपरेशन कर रहे हैैं, तो बेसिक इंग्लिश की नॉलेज तो कम से कम होनी चाहिए।

दो साल पहले बदला है पीटी का पैटर्न
1979 के बाद यूपीएससी के सिविल सर्विसेज एग्जाम के पैटर्न में पहला महत्वपूर्ण बदलाव 2011 में किया गया। इसके तहत पीटी में ऑप्शनल सब्जेक्ट को आउट कर सीसैट को जीएस के सेंकेड पेपर के तौर पर शामिल किया गया। इसका मकसद जहां रिजल्ट तैयार करने के दौरान डिफरेंट ऑप्शनल पेपर्स के बीच स्केलिंग प्रोसेस को लेकर होनेवाली गड़बडिय़ों से छुटकारा पाना था, वहीं एप्टीट्यूड टेस्ट के मार्फत कैंडिडेट्स के कम्यूनिकेशन, लॉजिकल रिजनिंग, एनालिटिकल एबिलिटी और प्रॉब्लम सॉल्व करने व डिसीजन मेकिंग कैपाबिलिटी को आंकना है। एक्सपट्र्स का मानना है कि सीसैट से कैंडिडेट्स के बीच ऑप्शनल सब्जेक्ट्स को लेकर डिफरेंसेज नहीं पैदा होगी।

6 हजार में मात्र 40-50 सफल !
अबतक मिले इंफॉर्मेशन के मुताबिक, झारखंड से मात्र ४0 से ५0 कैंडिडेट्स ही सिविल सर्विसेज पीटी की दीवार लांघने में सफल रहे हैैं। सिटी से सक्सेसफुल कैंडिडेट्स की संख्या दहाई से भी कम है। हालांकि, ये ऑफिशियल डाटा नहीं हैैं.,बल्कि कोचिंग इंस्टीट्यूट्स के हवाले से ये बातें सामने आई है। गौरतलब है कि सिविल सर्विसेज के लिए रांची में बनाए गए 24 सेंटर्स पर टोटल 6162 कैंडिडेट्स पीटी में अपीयर हुए थे, जबकि 4592 कैंडिडेट्स अबसेंट थे। झारखंड से सिविल सर्विसेज पीटी के लिए टोटल 11,748 कैंडिडेट्स ने अप्लाई किया था। अगर टोटल एग्जामिनीज और क्वालिफाइड कैंडिडेट्स की संख्या का मैथोमेटिकल कैलकुलेशन करें, तो यहां के एक  परसेंट से भी कम कैंडिडेट्स को मेन्स लिखने का मौका मिलेगा।

कुछ ऐसा है पीटी का सिलेबस
सिविल सर्विसेज पीटी के सिलेबस को दो पेपर में डिवाइड किया गया है। दोनों ही पेपर्स दो-दो सौ माक्र्स के होते हैैं, साथ ही निगेटिव मार्किंग का भी प्रॉविजन है। हर रांग आंसर के लिए .33 माक्र्स काटे जाते हैैं। फस्र्ट पेपर जेनरल स्टडीज के नाम से जाना जाता है। इस पेपर म इंडियन हिस्ट्री, जेनरल साइंस, इकोनॉमिक्स, इंडियन पॉलिटी, करेंट अफेयर्स और एनवॉयरमेंट एंड ज्योग्र्रॉफी से जुड़े टोटल सौ क्वेश्चंस पूछे जाते हैैं। जबकि, सेकेंड पेपर सीसैट का होता है। इसमें टोटल 80 क्वेश्चंस कैंडिडेट्स को सॉल्व करने होते हैैं। इस पेपर में कॉम्प्रीहेंशन, इंग्लिश लैैंग्वेज, लॉजिकल रिजनिंग एंड एबिलिटी, जेनरल मेंटल एबिलिटी एंड न्यूमेरिकल एप्टीट्यूड, डिसीजन मेकिंग और इंटर पर्सनल स्किल्स से जुड़े क्वेश्चंस पूछे जाते हैैं।

Posted By: Inextlive