- शहर के सरकारी डॉक्टर्स खुले आम चला रहे हैं प्राइवेट अस्पताल

- मुख्यमंत्री के निर्देशों के बावजूद स्वास्थ्य विभाग नहीं कर रहा सख्ती, फाइलों में दब रहे मामले

मेरठ। गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में हुए ऑक्सीजन कांड के बाद चर्चा में आएं डॉ कफील खान के निजी प्रैक्टिस से जुड़े विवाद से अब सभी सरकारी अस्पतालों की बदहाली की तस्वीर सामने आ गई है। सरकार के सख्त निर्देशों के बावजूद शहर के सरकारी अस्पतालों में तैनात डॉक्टर्स की प्राइवेट प्रैक्टिस धड़ल्ले से चल रही है। शिकायत मिलने के बावजूद विभाग केवल जांच कमेटी बनाकर अपना पल्ला झाड़ ले रही है।

यह है तस्वीर

सरकारी अस्पतालों में अपनी सेवाएं दे रहे अधिकतर डॉक्टर्स निजी क्लीनिक या निजी अस्पताल चला रहे हैं। बड़ा खेल यह है कि डॉक्टर्स सरकारी अस्पतालों में आने वाले मरीजों को प्राइवेट में दिखाने के लिए कह देते हैं। बेहतर इलाज की आस में मरीज निजी इलाज के लिए डॉक्टर्स की बात मान लेते हैं। इसका सबसे बड़ा नुकसान गरीब मरीजों को उठाना पड़ता है। वहीं सरकारी डॉक्टर्स को 25 फीसदी अतिरिक्त सैलरी और रिटायर होने के बाद लगभग इतनी ही अतिरिक्त पेन्शन भी मिलती है।

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बेमानी हो गए निर्देश

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नौ अप्रैल को ऐसे सरकारी चिकित्सकों की सूची तलब की थी जो निजी प्रैक्टिस से जुड़े हैं। मगर अब तक ये सूची शासन को महानिदेशालय की ओर से उपलब्ध तक नहीं करवाई गई है। हाल ही में हाईकोर्ट ने भी इसका संज्ञान लेते हुए ऐसे डॉक्टर्स पर कार्रवाई करने के लिए कहा है।

डॉक्टर नहीं करते पूरी ओपीडी

सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर्स के रवैया के आलम यह है कि ओपीडी तक पूरी नहीं करते। अधिकतर डॉक्टर्स दो घंटे पहले ही अस्पताल छोड़ गायब हो जाते हैं। ऐसे में सबसे ज्यादा दिक्कत मरीजों को झेलनी पड़ती है। शिकायतें मिलने के बावजूद विभाग इस ओर आंखें मूंदे रहता है।

-प्राइवेट अस्पतालों की चांदी

शहर में अधिकतर प्राइवेट अस्पताल सरकारी अस्पतालों के आस-पास ही बने हैं। जहां डॉक्टर्स के आने-जाने में सुविधाएं रहती है साथ ही मरीजों ट्रांसफर करने में भी आसानी रहती है।

फाइलों में दब गई जांच

प्राइवेट प्रैक्टिस कर रहे डॉक्टर्स की जांच के लिए स्वास्थ्य विभाग ने जांच कमेटी का गठन भी किया है। लेकिन शिकायतें मिलने के बाद भी उन्हें फाइलों में ही दबा दिया जाता है। अधिकतर मामलों में जांच कमेटी गठित होती है लेकिन कार्रवाई नहीं होती

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प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टर्स की शिकायत मिलें तो हम जरूर कार्रवाई करेंगे। इसके लिए जांच कमेटी का गठन भी किया गया है।

डॉ। राजकुमार, सीएमओ, मेरठ

Posted By: Inextlive