Meerut : एजुकेशन सिस्टम का चिंताजनक पहलू सामने आया है. बच्चे एक क्लास से दूसरी क्लास पास करके पहुंच तो जाते हैं लेकिन उन्हें पिछले क्लास के बेसिक्स भी नहीं आते.


 ‘असर’ ने देश के एजुकेशन सिस्टम की कलई खोल दी है। असर (एनुअल स्टेट्स ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट) की माने तो पांचवी के स्टूडेंट को दूसरी क्लास के लेवल का भी ज्ञान नहीं है। इन स्टूडेंट्स को बेसिक कैलकुलेशन भी नहीं आती हैं। उनकी जीके भी बहुत पूअर है। इससे सबक लेते हुए केंद्रीय विद्यालय संगठन ने प्राइमरी क्लासेज के स्टूडेंट्स पर विशेष ध्यान देने की योजना बनाई है। स्टूडेंट्स की कमियों को पूरा करने के बाद ही उसे अगली क्लास में प्रमोट किया जाएगा।क्या है मामला


देश के एजुकेशन सिस्टम का एनुअल एनालिसिस करने का काम असर का है। असर की लेटेस्ट रिर्पोट चौंकाने वाली है। बेसिक लेवल पर एजुकेशन सिस्टम में सुधार होने की बजाए गिरावट आई है। पांचवी क्लास के स्टूडेंट दूसरी क्लास के लेवल की बातें भी नहीं जानते हैं। असर के मुताबिक 2010 में देश के 46.3 परसेंट बच्चे (पांचवी क्लास के) अर्थमेटिक की बेसिक प्रॉब्लम सॉल्व नहीं कर पाते थे। 2011 में इन बच्चों की संख्या घटने की बजाए 51.8 परसेंट हो गई।चिंताजनक आंकड़ें

सिलसिला यहां रुका नहीं, 2012 में इन बच्चों की संख्या बढ़ कर 53.2 परसेंट हो गई। कुछ ऐसा ही मामला प्लस और माइनस करने का भी है। बच्चे सिर्फ दो डिजिट के प्लस माइनस नहीं कर पा रहे हैं। 2010 में 29.1 परसेंट बच्चे प्लस माइनस नहीं कर पाते थे। 2011 में 39 परसेंट और 2012 में संख्या बढक़र 46.5 परसेंट तक पहुंच गई। ये आंकड़ें चिंताजनक हैं। ज्यादा फोकस रहेगाकेंद्रीय विद्यालय संगठन ने इन आंकड़ों पर गौर करते हुए अपने स्कूलों में बच्चों का लेवल सुधारने का मन बनाया है। अब केवी में पढऩे वाले बच्चों में विशेष ध्यान दिया जाएगा। वैसे तो हर क्लास के बच्चों पर फोकस रहेगा। लेकिन प्राइमरी पास करने के बाद जो स्टूडेंट 6 और 7वीं क्लास में आते हैं। उन पर ज्यादा फोकस रहेगा।नॉन फॉर्मल टेस्ट

स्टूडेंट्स की कमी पता करने के लिए केवीएस ने टीचर्स को इंस्ट्रक्शंस दिए हैं। केवीएस ने कहा है कि बच्चों की कमी पता करने के लिए टीचर्स क्लास में बच्चों का टेस्ट लेंगे। लेकिन ये पेपर पेन टाइप टेस्ट नहीं होता है। ये नॉन फॉमर्ल टेस्ट होगा। जिसमें बात-बात में टीचर्स क्लास में ये पता करेंगे कि किस स्टूडेंट में क्या कमी है। ना ही इस टेस्ट का कोई रिजल्ट तैयार किया जाएगा। ये रिजल्ट सिर्फ टीचर अपने पास ही रखेगा, जिससे वो सिर्फ ये एनालाईज करेगा कि किस बच्चे को क्या पढ़ाना है। कक्षा 6 और 7वीं के दौरान इन दो सालों में टीचर इन बच्चों के उन तमाम पहलुओं पर काम करेंगे। जिनमें वो कमजोर है। इसके बाद ही स्टूडेंट को अगली क्लास में प्रमोट किया जाएगा।"ऐसा अकसर देखा जाता है कि छोटी क्लासेज में बच्चों पर ज्यादा ध्यान नहीं देने पर बच्चे कमजोर रह जाते हैं। अगर केवीएस ने ऐसा फैसला लिया है तो ये बेहतर कदम है."पूनम देवदत्त, मनोवैज्ञानिक

Posted By: Inextlive