स्वच्छ सर्वेक्षण 2019 में प्रयागराज को 5000 में मिले 2636 नंबर

अभियान के दौरान सिटीजन इंगेजमेंट में भी प्रयागराज ने खाई मात

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PRAYAGRAJ: कुंभ मेला के दौरान बेहतर साफ-सफाई होने और कर्मचारियों की फौज तैनात होने के बाद भी प्रयागराज स्वच्छ सर्वेक्षण 2019 में यूपी के कानपुर, बनारस, झांसी, सहारनपुर आदि शहरों से कैसे पीछे रह गया? यह सवाल करीब-करीब प्रत्येक व्यक्ति के दिमाग में रहा। इसके तह तक जाने और कारण का पता लगाने का दैनिक जागरण आईनेक्स्ट रिपोर्टर ने प्रयास किया तो सामने आई हकीकत चौंकाने वाली रही। क्योंकि प्रयागराज के वाशिंदों के साथ ही कुछ जिम्मेदार विभाग व लोगों की लापरवाही ने प्रयागराज की वाट लगा दी।

1250 नंबर खुद ही किया कम

स्वच्छ सर्वेक्षण 2019 में प्रयागराज बेहतर होने के बाद भी खुद को साबित नहीं कर सका तो इसके लिए केवल सिस्टम नहीं बल्कि प्रयागराज के वाशिंदे भी जिम्मेदार हैं। इन्होंने स्वच्छता सर्वेक्षण में अपनी जिम्मेदारी ही नहीं समझी। स्वच्छ सर्वेक्षण के लिए निर्धारित 5000 नंबर का 25 प्रतिशत यानी 1250 नंबर केवल नागरिक प्रतिक्रिया यानी सिटीजन इंगेजमेंट पर निर्धारित था। इसमें प्रयागराज पूरी तरह से फेल साबित हुआ। इसकी वजह से 1250 नंबर तो एक झटके में कट गया।

8000 ने ही डाउनलोड किया ऐप

सिटीजन इंगेजमेंट के लिए प्रयागराज के वाशिंदों को स्वच्छता ऐप डाउनलोड कर उसके जरिये फीडबैक देना था। इससे पता चलता कि प्रयागराज के लोग कितने अवेयर हैं। अपने क्षेत्र व मोहल्ले की समस्या कितने बेहतर तरीके से रखते हैं। कमी और अच्छे कार्यो पर फीड बैक देते हैं। लेकिन इस तरह का फीडबैक बहुत कम ही पहुंचा। नगर निगम द्वारा अभियान चलाने के बाद भी केवल आठ से दस हजार लोग ही स्वच्छता एप डाउनलोड कर फीडबैक दे सके थे। जबकि आगरा ने करीब एक लाख का आंकड़ा पार कर लिया था।

हरी-भरी की लापरवाही पड़ी भारी

जिस हरी-भरी को लेकर पिछले तीन वर्षो से विवाद चल रहा है, उसने एक बार फिर स्वच्छता सर्वेक्षण में प्रयागराज को पीछे कर दिया। सिटीजन इंगेजमेंट में 25 प्रतिशत नंबर के लॉस के बाद 75 प्रतिशत नंबर में बड़ा हिस्सा डीटीडीसी और कूड़ा निबटान पर निर्धारित था। इसमें लापरवाही सामने आई।

5000 नंबर्स का सर्वेक्षण

- 1250-1250 नंबर्स में चार हिस्सों में बांटा गया था 5000 नंबर्स

- 1250 नंबर का था प्रमाणीकरण, इसमें डॉक्यूमेंटेशन और ओडीएफ शामिल था

- 1250 नंबर का था प्रत्यक्ष सर्वे, यानी दिल्ली से आई टीम द्वारा शहर में रह कर किया गया सर्वे

- 1250 नंबर का था सेवा स्तर प्रगति, यानी शहर की सफाई व्यवस्था व अन्य कार्य

- 1250 नंबर का था नागरिक प्रतिक्रिया यानी सिटीजन इंगेजमेंट

- सफाई व्यवस्था के 1250 नंबर को भी कई हिस्सों में बांटा गया था

- 200 नंबर रेजीडेंशियल और कॉमर्शियल एरिया में साफ-सफाई के लिए निर्धारित था

- 250 नंबर सार्वजनिक और सामुदायिक शौचालय में बेहतर साफ-सफाई पर मिलना था

- 80-80 नंबर सार्वजनिक और सामुदायिक शौचालयों द्वारा स्वच्छ भारत मिशन का संदेश देने और सुरक्षित निबटान प्रणाली से जोड़ने पर तय था

- 170 नंबर बड़े रेलवे स्टेशन, बस स्टेशन, डिपो और हवाई अड्डा जाने वाली सड़कों पर सफाई व्यवस्था के लिए मिलना था

- 170 नंबर स्वच्छ सर्वेक्षण 2019 होर्डिग, बिल बोर्ड, दीवार लेखन के जरिये जागरुकता अभियान के लिए मिलना था

- 200 नंबर झोपडि़यों, पुराने शहर के क्षेत्रों, फ्लाईओवर, सार्वजनिक स्थानों की सुंदरता कायम रखने पर, दीवारों को सजाने और पौधरोपण के जरिये सफाई के लिए निर्धारित था

Posted By: Inextlive