स्वच्छता सर्वेक्षण में निगम को झटका दे सकता है कूड़ा निस्तारण

2001 से केवल प्रस्तावों और फाइलों तक सीमित है योजना

Meerut। जनवरी 2019 में होने वाले स्वच्छता सर्वेक्षण में शहर में तीन जगह लगा कूडे़ का ढेर नगर निगम के लिए भारी परेशानी का सबब बन सकता है। तीन माह बाद होने वाली इस स्वच्छता रैकिंग में सबसे प्रमुख मानक कूड़ा निस्तारण ही है। बावजूद इसके निगम अभी तक न तो कूड़ा निस्तारण के लिए किसी कंपनी से एग्रीमेंट कर पाया है और न ही निगम की कूडे़ का उपयोग कर बिजली बनाने की योजना परवान चढ़ सकी है।

कूड़ा निस्तारण का इंतजार

साल 2001 में निगम ने पहली बार शहर को कूडे़ को एकत्र कर बिजली बनाने की योजना पर आधी-अधूरी तैयारियों के साथ काम शुरू किया था। इस योजना के तहत मेवला फाटक के पास करीब पांच एकड़ जमीन का चयन कूड़ा डालने के लिए किया गया था। योजना के तहत मंगतपुरम में कूडे़ का पहाड़ तो लगा दिया गया लेकिन इस कूडे़ से बिजली तो दूर बल्कि कूडे़ का निस्तारण तक निगम नही कर पाया। इसके बाद निगम ने 2010 में इस प्लान को दोबारा तैयार किया और इस बार गांवडी में कूडे़ से बिजली बनाने का प्लान तैयार कर आसपास के ग्रामीणों की रजामंदी से 45 एकड़ जमीन कूडे़ डालने के लिए तैयार कर ली। इस बार भी योजना केवल प्रस्तावों तक सीमित रही।

मंगतपुरम और गांवडी

साल 2017 में तीसरी बार निगम ने गंभीरता से कूड़ा निस्तारण के लिए कूडे़ से बिजली और खाद बनाने की योजना तैयार कर मंगतपुरम और गांवडी दोनों जगह कूडे़ के निस्तारण की योजना बनाई। जिसके बाद दोनों जगह कूड़े का पहाड़ तो निगम ने लगा दिया लेकिन योजना इस बार भी केवल प्रस्तावों और फाइलों तक ही सीमित है।

भारी पड़ेगी लापरवाही

इस साल 4 जनवरी से 10 मार्च तक हुए स्वच्छता सर्वेक्षण 2018 में मेरठ को 339वीं रैंक मिली थी। अब 2019 के स्वच्छता सर्वेक्षण के लिए निगम ने दोबारा दौड़ शुरू की है। जिसमें चार प्रमुख बिंदुओं- कूड़ा निस्तारण, शौचायल निर्माण, सीवर व्यवस्था और पेयजल पर रैकिंग मिलनी है। ये बात अलग है कि चारों बिंदुओं पर निगम की तैयारी न के बराबर है।

कूड़ा निस्तारण प्लांट के लिए लगातार कंपनियों से प्रजेंटेशन लिया जा रहा है। कुछ कंपनियों से बात हो भी चुकी है। जल्द इस प्रक्रिया पर मोहर लग जाएगी।

मनोज त्रिपाठी, नोडल अधिकारी स्वच्छता मिशन

कूडे़ का निस्तारण तो दूर निगम अभी शहर की गलियों से कूड़ा उठाने तक में सक्षम नही है। पहले कूड़ा पूरी तरह उठना ही शुरु हो जाए।

सुधा

बिजली बनाने की योजना बहुत बड़ी और दूरगामी योजना है। प्राथमिक समस्या तो निगम के लिए कूड़ा को हर गली से एकत्र करना और फिर डंप करना है।

राजेंद्र

शहर गंदगी से अटा हुआ है और निगम के केवल हवाई पुल बनाने में जुटा हुआ है। कूडे़ से बिजली बनाने में निगम को कई साल लग जाएंगे।

अमन

Posted By: Inextlive