क्लोन के 'कारीगरों' से बचकर

- सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की गोविंदनगर शाखा में कारोबारी के खाते से शातिरों ने उड़ाई बड़ी रकम

-एक सप्ताह में दूसरी वारदात से खातेदारों और बैंक स्टाफ में मचा हड़कंपके खाते से पार हुए थे रुपए

KANPUR : सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की गोविंदनगर शाखा से क्लोन चेक के जरिए रुपये पार करने का सिलसिला थम नहीं रहा है। कुछ दिन पहले ही इस बैंक से पूर्व डीजीसी की पत्‍‌नी के खाते से रुपए निकाले गए थे। जिसका खुलासा अभी पुलिस कर भी नहीं पाई थी कि अब एक कारोबारी के खाते से 10 लाख 18 हजार रुपये क्लोन चेक लगाकर निकाल लिए गए। कारोबारी ने जब पासबुक अपडेट कराई तो उनको रुपये पार होने का पता चला। उनकी तहरीर पर पुलिस ने जांच शुरू कर दी।

कई ट्रांजेक्शन में ट्रांसफर हुए पैसे

गोविंदनगर एफ ब्लाक निवासी मदन मोहन लोकतंत्र सेनानी के साथ ही कपड़ा कारोबारी हैं। इस समय उनका दामाद कारोबार संभालता है। मदन का खाता सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की शाखा में है। जिसमें उनकी पेंशन आने के साथ जमा पूंजी रहती है। वह कुछ दिन पहले बैंक में पासबुक अपडेट कराने गए तो उनको पता चला कि 26 सितंबर से 1 अक्टूबर के बीच उनके खाते से 10 लाख 18 हजार रुपये कई बार में चेक के जरिए दिल्ली के इंद्रजीत कौर के खाते में ट्रांसफर किए गए हैं। उन्होंने बैंक मैनेजर से बताया कि जब उन्होंने किसी को चेक नहीं दी तो पैसे कब और कैसे ट्रांसफर हो गए। मैनेजर ने क्लोन चेक से पैसे पार होने का शक जताया है। उन्होंने पुलिस को जानकारी दी तो इंस्पेक्टर ने बैंक जाकर पड़ताल की। इंस्पेक्टर का कहना है कि जल्द ही सच्चाई का पता चल जाएगा।

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पूर्व डीजीसी की पत्‍‌नी के पैसे भी इसी खाते में हुए थे ट्रांसफर

सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की इसी शाखा में पूर्व डीजीसी संतोष यादव की पत्नी का भी खाता है। करीब एक सप्ताह पहले उनके खाते से भी क्लोन चेक से 8 लाख 87 हजार रुपये पार हुए थे। यह रकम भी चेक के जरिए दिल्ली में इंद्रजीत कौर के खाते में ट्रांसफर हुई थी। इससे साफ है कि दोनों ही मामलों में एक ही गिरोह का हाथ है।

इस तरह क्लोन बनाकर पैसे निकालते हैं गैंग के शातिर

- शातिर किसी तरह बैंक खाते की चेक बुक हासिल कर फोटो खींच लेते हैं।

- फिर बैंक से उसके मिलते जुलते खाते की चेक बुक निकलवा लेते हैं।

- इस काम को अंजाम देने में कुछ बैंक कर्मचारी भी शामिल रहते हैं।

- इसके लिए शातिर बैंक कर्मी को पैसों का लालच देते हैं।

- चेक से खाता नंबर को एक खास प्रकार के कैमिकल से साफ कर देते हैं।

- बाद में वे प्रिंटर से उस पर चेक का नंबर और खाता प्रिंट करते हैं।

- चेक पर साइन के लिए वे पहले प्रयोग में लाई चेक हासिल कर लेते है।

- साइन मैचिंग के लिए पुराने चेक को क्लोन चेक के ऊपर रख साइन बनाते हैं।

- ये प्रक्रिया पूरी होने के बाद चेक को बैंक में लगा दिया जाता है।

इन कमियों का फायदा मिलता है

- बैंक से एक तरह की चेक जारी होती है। इससे चेक का आसानी से क्लोन बन जाता है।

- बैंक में चेक की ब्लैक एंड व्हाइट इमेज देकर क्लीयर किया जाता है। इससे पता नहीं चलता है कि चेक असली है या क्लोन।

-चेक क्लीयर करने से पहले बैंक से ग्राहक को फोन नहीं किया जाता है। अगर फोन किया जाए तो क्लोन चेक को पकड़ा जा सकता है

- चेक क्लीयर करने से पहले बैंक कर्मी सिर्फ साइन को चेक करते हैं। वे नंबर नहीं चेक करते हैं। अगर इसे चेक किया जाए तो फर्जीवाड़ा रुक सकता है।

यह बदलाव होने चाहिए

- बैंकों को पुरानी टेक्नोलॉजी हटाकर नई टेक्नोलॉजी का यूज करना चाहिए।

- विदेशों की तरह चेक को परखने के लिए सेंसर मशीन लगानी चाहिए।

- अगर चेक में छेड़खानी हुई है या क्लोन चेक है तो सेंसर पकड़ लेते हैं।

- चेक क्लीयर करने से पहले बैंक से ग्राहक को फोन किया जाना चाहिए।

- चेक में खाता नंबर वाटर मार्क के अंदर लिखा होना चाहिए।

- ग्राहकों को बैंक से चेक बुक देनी चाहिए न कि डाक से।

:- साइबर एक्सपर्ट रक्षित टंडन के मुताबिक

Posted By: Inextlive