महाशिवरात्रि पर भोलेनाथ को करें प्रसन्न
-विशेष काल में पूजन करने से होगी विशेष फल की प्राप्ति
-प्राप्ति के लिए करें प्रभु शिव का करें विशेष अभिषेक DEHRADUN : शिव का शाब्दिक अर्थ कल्याण होता है। भगवान शंकर सबका कल्याण करने वाले हैं। भगवान शिव ही एक ऐसे देवता हैं जो साकार भी हैं और निराकार भी। ऐसी मान्यता है कि महाशिवरात्रि पर शिव की आराधना करने से वे शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं। इसलिए भक्तजन महाशिवरात्रि पर भोले बाबा की पूजा-अर्चना कर आसानी से उनका आशीर्वाद पा सकते हैं। पुराण प्रसंगों के अनुसार शिवरात्रि पर शिव जगत में विचरण करते हैं। मंदिरों में होगा विशेष पूजन ख्7 फरवरी को महाशिवरात्रि का पर्व है। इसके लिए सिटी के मंदिरों में जोर-शोर से तैयारियां की जा रही हैं। मंदिरों को भव्य रूप दिया जा रहा है। साथ ही महाशिवरात्रि पर मंदिरों में भोलेनाथ की विशेष पूजा-अर्चना की जाएगी। महाशिवरात्रि का विशेष अर्थसंसार के प्रारंभ में फाल्गुन कृष्ण चतुदर्शी मध्यरात्रि के समय भगवान शंकर का ब्रह्मा से रुद्र के रूप में अवतरण हुआ था। प्रलय की बेला में इसी दिन प्रदोष के समय शिव तांडव करते हुए ब्रह्मांड को तीसरे नेत्र की ज्वाला से समाप्त कर देते हैं। इसीलिए इसे महाशिवरात्रि या कालरात्रि कहा जाता है।
भोले शीघ्र होते हैं प्रसन्नमहाशिवरात्रि पर उपवास का विशेष महत्व है। उपवास का अर्थ होता है भगवान का वास। अराध्य देव को मन में बसा कर किसी उद्देश्य को लेकर इनकी पूजा करना भी उपवास करना ही है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं। इसलिए महाशिवरात्रि पर भोलेबाबा का उपवास कर भक्तजन उनका आशीर्वाद पा सकते हैं।
तिल के जल से करें स्नान इस दिन तिल शुभ माने जाते हैं। इसलिए पूजन से पहले जल में तिल डालकर स्नान करें। काले तिल के जल से स्नान करना अधिक उत्तम रहेगा। शिव कथा, शिव सहस्र का पाठ, शिव महिम्न स्तोत्र का पाठ भगवान शंकर को बेले का फल प्रिय है। इसलिए उन्हें बेले का फल, धतूरा और ऋतु फल के रूप में बेर चढ़ाएं। बेलपत्र भी शिव के प्रिय हैं और इसमें मां लक्ष्मी का भी निवास होता है। विशेष प्राप्ति के लिए अभिषेक भवन की प्राप्ति के लिए- दही लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए- शुद्ध गन्ने का रस शत्रु दमन के लिए- सरसों का तेल पुत्र प्राप्ति के लिए- दूध ख्ब् घंटे बाद खोले उपवासमान्यतानुसार महाशिवरात्रि का व्रत ख्ब् घंटे का माना जाता है। पंडितों के अनुसार शिवरात्रि के अगले दिन ब्रह्माण को घर में भोजन करवाने या दान देने के बाद ही उपवास खोलना चाहिए।
प्रदोष, निशीथ, महा निशीथ काल में पूजन शुभ नर्मदेश्वर मंदिर के पुजारी पंडित ज्ञानेंद्र शास्त्री बताते हैं कि महाशिवरात्रि पर सुबह की पूजा का सामान्य फल होता है। सूर्यास्त के बाद करीबन सवा दो घंटे प्रदोष काल में महाशिवरात्रि पर पूजन करना शुभ है। इसके बाद लगने वाले निशीथ काल और अर्द्धरात्रि में महा निशीथ काल में पूजन से भक्तों को विशेष फल की प्राप्ति होगी।