PATNA: राजगीर को विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया जाए। राजगीर को कांफिल्क्ट रिसाल्यूशन सेंटर (विवाद निपटारे के अंतरराष्ट्रीय केंद्र) के रूप में विकसित किया जाना चाहिए। कनफ्लिक्ट से छुटकारा दिलाना जरूरी है। यह बातें सीएम नीतीश कुमार ने कही। उन्होंने कहा कि धम्म का आधार ही यही है। राजगीर स्थित अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन सेंटर में चौथे अंतरराष्ट्रीय धर्म धम्म कांफ्रेस में मुख्यमंत्री ने यह बात कही.मुख्यमंत्री ने कहा कि धर्म को ही पाली में धम्म कहते हैं। अभिव्यक्ति के तरीके अलग-अलग हो सकते है पर सभी धर्म के बुनियाद में सत्य है। राग द्वेष का भाव खत्म होना चाहिए। पर्यावरण पर भी ध्यान देना है। यह भी धम्म है। उन्होंने कहा कि इस तरह के कांफ्रेस के आयोजन का महत्व है। बिहार तो भगवान बुद्ध की ज्ञान भूमि, भगवान महावीर की जन्मभूमि और मां जानकी की भूमि रही है। यह तो विभिन्न धर्माें का केद्र रहा है.मुख्यमंत्री ने कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय के भग्नावशेष को वर्लड हेरिटेज साइट में शामिल कराए जाने को ले काफी परिश्रम करना पड़ा है। राजगीर को भी विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया जाना चाहिए। मेरा पक्का यकीन है कि नालंदा विश्वविद्यालय को जिस काल का बताया जाता है वह इससे भी प्राचीन है। एएसआई को काम करना चाहिए। अगर कुछ कठिनाई है तो हमलोगों को काम करने देना चाहिए। दरअसल एएसआई किसी की सुनती ही नहीं है। अन्य लोग मौजूद थे।

मुस्तैद रहे पुलिस अफसर और कर्मी

राष्ट्रपति रामनाथ को¨वद के आगमन को लेकर राजगीर में कंपकंपाती ठंड में भी पुलिस और प्रशासनिक अफसर समेत सुरक्षाकर्मी मुस्तैदी से जुटे रहे। हेलीपैड से लेकर अंतरराष्ट्रीय कंवेंशन सेंटर तक सुरक्षा के ²ष्टिकोण से पुलिस छाबनी में तब्दील रहा। हर तरफ अफसरों और पुलिस फोर्स में अनुशासन दिखा। चारों ओर बैरिके¨डग की गई थी ताकि सुरक्षा में कोई चूक न हो।

बिना कार्ड प्रवेश की अनुमति नहीं

राष्ट्रपति के धर्म-धम्म सम्मेलन में शिरकत करने के लिए लोगों को कई तरह के सुरक्षा घेरे को लांघना पड़ा। बिना अनुमति कार्ड के अंतरराष्ट्रीय कनवेंशन हॉल में किसी को जाने की इजाजत नहीं थी। कनेंशन सेंटर के मुख्य द्वार पर त्रिस्तीय सुरक्षा का व्यवस्था की गई थी। ताकि कोई भी आपत्तिजनक समान लेकर न जा पाए। सुरक्षा का पुख्ता बंदोबस्त किया गया था।

विदेशी पर्यटकों को हुई परेशानी

राजगीर घूमने बाहर से आए विदेशी पर्यटकों को वीरायतन जाने वाली मार्ग पर रोक देने से वे वीरायतन नहीं देख सके। हालांकि राजगीर के अन्य ऐतिहासिक स्थलों पर जाने के लिए किसी पर रोक नहीं थी। इस कारण बाहर से आए पर्यटक अन्य जगहों की सैर करते देखे गए।

Posted By: Inextlive