रविवार देर रात प्रदेश की कानून-व्यवस्था की समीक्षा के दौरान सीएम योगी आदित्यनाथ ने बदहाल ट्रैफिक व्यवस्था को लेकर सख्त नाराजगी जताई।


lucknow@inext.co.inLUCKNOW : इसके लिये एडीजी ट्रैफिक एमके बशाल पर गाज भी गिरी पर, इतने भर से प्रदेश की ट्रैफिक व्यवस्था संवर जाएगी इस पर गंभीर सवाल हैं। वजह भी साफ है। प्रदेश की भारी भरकम जनसंख्या के मुताबिक न तो ट्रैफिककर्मी मौजूद हैं और न ही विभाग के पास समुचित संसाधन या अपना कोई बजट। नतीजतन, आधी-अधूरी व्यवस्था के साथ प्रदेश का ट्रैफिक सिस्टम रेंगने को मजबूर हैं। 63 हजार लोगों को संभाल रहा एक ट्रैफिक कर्मी


प्रदेश की वर्तमान में जनसंख्या 23 करोड़ के करीब है। जबकि, प्रदेश में ट्रैफिक संभालने के नाम पर या ये कहें कि ट्रैफिक पुलिस विभाग में सिर्फ 3673 अधिकारी व कर्मचारी ही मौजूद हैं। इन पदों को अगर अलग-अलग कर देखें तो पता चलता है कि वर्तमान में प्रदेश भर का ट्रैफिक संभालने के लिये महज 10 जिलों में एडिशनल एसपी, महज 7 जिलों में डिप्टी एसपी मौजूद हैं। ट्रैफिक इंस्पेक्टर्स का भी विभाग में भारी अकाल है। इनकी संख्या महज 9 है। प्रदेश भर में ट्रैफिक विभाग के पास 90 सब इंस्पेक्टर्स उपलब्ध हैं। जबकि, हेड कॉन्सटेबल 501 और कॉन्सटेबल 3056 ही उपलब्ध हैं। अगर इन सबकी संख्या जोड़ कर प्रदेश की जनसंख्या से भाग दें तो पता चलता है कि 63 हजार लोगों का ट्रैफिक संभालने के लिये महज एक ट्रैफिककर्मी उपलब्ध है। विभाग में स्टाफ की उपलब्धता को देख प्रदेश की ट्रैफिक व्यवस्था की असल सूरत का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। फंड और संसाधन का टोटाऐसा नहीं कि ट्रैफिक पुलिस विभाग में सिर्फ स्टाफ की ही कमी है। यहां पर न तो जिलों के अधिकारियों के पास जरूरत के मुताबिक संसाधन मौजूद हैं और न ही उन्हें खरीदने या छोटी-मोटी जरूरतों को पूरा करने के लिये किसी भी तरह का फंड ही उपलब्ध होता है। नतीजतन, रेडियम जैकेट, डिवाइडर कोन, बैरियर, ट्रैफिक गवर्न में इस्तेमाल होने वाली एलईडी टॉर्च जैसी छोटी चीजों को हासिल करने के लिये ट्रैफिककर्मियों को कॉरपोरेट कंपनियों या सार्वजनिक बैंकों की ओर ताकना पड़ता है। विभाग में संसाधनों की विपन्नता का आलम यह है कि अवैध रूप से पार्क की गई गाडिय़ों को टो करने के लिये भी ट्रैफिक पुलिस को तमाम जिलों में नगर निगम की क्रेन की मदद लेनी पड़ती है। इन सब कमियों के बावजूद न तो इस पर कोई अधिकारी संज्ञान लेने को तैयार है और न ही सरकार की ही ओर से कोई पहल की जा रही। सीएम से शुभारंभ के बावजूद एप को लेकर उदासीनता

प्रदेश की ट्रैफिक व्यवस्था को सुधारने को लेकर अक्सर संजीदा रुख अपनाने वाले सीएम योगी आदित्यनाथ ने बीती 21 जून को ट्रैफिक पुलिस की वेबसाइट व एप का उद्घाटन किया था। इसके जरिये खासकर हर जिले में ट्रैफिक अलर्ट व डायवर्जन की सूचनाएं लोगों को दी जानी थी। पर, उच्च स्तर से ही एप को लेकर उदासीनता बरती गई। जिसके चलते इस बेहतरीन पहल का लाभ आम जनता को नहीं मिल सका। इतना ही नहीं प्रदेश में लखनऊ, गोरखपुर, गौतमबुद्धनगर, गाजियाबाद व मेरठ समेत 10 बड़े शहरों में ई-चालान व्यवस्था लागू करने की योजना भी कई बार के दावे के बावजूद परवान न चढ़ सकी। नतीजतन, ट्रैफिक व्यवस्था की बदहाली अपने चरम पर पहुंच चुकी है। तो इसलिए गिरी बशाल पर गाज

रविवार को समीक्षा बैठक के दौरान सीएम योगी आदित्यनाथ ने एडीजी ट्रैफिक एमके बशाल को बदहाल ट्रैफिक व्यवस्था का जिम्मेदार माना और उन्हें हटाने का आदेश दिया। विभागीय सूत्रों की मानें तो बशाल के राज में ट्रैफिक विभाग अराजकता की गर्त में समा गया था। बेहिसाब छुट्टियां लेना और तमाम बैठकों में उनकी गैरमौजूदगी को लेकर अफसरों में नाराजगी थी। विभाग के काम में रुचि न लेने को लेकर भी उन पर कई बार सवाल खड़े हुए थे। इन्हीं सब बातों के चलते उन पर गाज गिरी। खुद के जज्बे से संवारी व्यवस्थाट्रैफिक पुलिस विभाग की तमाम कमियों के चलते रेंगते ट्रैफिक से निजात दिलाने की पहल एसएसपी अमित पाठक ने अपने स्तर से की। उन्होंने लोकल पुलिस को अपने-अपने एरिया में अतिक्रमण हटाने की जिम्मेदारी दी। इतना ही नहीं, पुलिस को ट्रैफिक व्यवस्था सुचारू करने के काम में भी जुटाया। नतीजा सबके सामने था। दिनभर जाम की जकड़ में रहने वाला आगरा सुचारू ट्रैफिक व्यवस्था का गवाह बना। हाल ही में आगरा पहुंची डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा के सामने आगरा के व्यापारियों ने आगरा पुलिस की इसे लेकर जमकर तारीफ की। प्रदेश में उपलब्ध ट्रैफिक स्टाफ10       एडिशनल एसपी07       डिप्टी एसपी09       ट्रैफिक इंस्पेक्टर90       ट्रैफिक सब इंस्पेक्टर501     हेड कॉन्सटेबल3056    कॉन्सटेबल

सीएम योगी बोले पुलिस में ज्यादा महिलाएं लें एंट्री, इन विभागों में होने वाली है बड़ी भर्ती

Posted By: Shweta Mishra