-निबंधन कार्यालय की मिलीभगत से खजाने को करोड़ों का चूना, एआईजी ने पकड़े 80 केस

-दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने किया खुलासा, एनएचएआई ने रखा पक्ष, कहा-नहीं दे रहे कोई रियायत

आई इनवेस्टीगेशन

अखिल कुमार

Meerut। शासनादेश को तोड़-मरोड़ कर करोड़ों का खेल किया गया। मेरठ में सैकड़ों रजिस्ट्री मुफ्त में हो गई। यही नहीं 80 ऐसी रजिस्ट्री एआईजी स्टांप ने चिह्नित की हैं जिनमें रजिस्ट्रेशन शुल्क नहीं लिया गया।

शासनादेश की आड़ में

गौरतलब है कि तत्कालीन बसपा सरकार में निबंधन अनुभाग के प्रमुख सचिव नेतराम ने जुलाई 2011 में एक शासनादेश जारी किया था। इसके मुताबिक स्टेट गर्वमेंट की परियोजनाओं में जिन किसानों अथवा जनसामान्य की भूमि का अधिग्रहण किया जाएगा, उन्हें किसी अन्य स्थान पर जमीन की खरीद-फरोख्त करने पर स्टांप ड्यूटी नहीं देनी होगी।

सिर्फ एक साल थी छूट की सीमा

शासनादेश के मुताबिक उन्हीं किसानों को इस रियायत का लाभ मिलना था, जिन्हे यूपी गर्वमेंट की परियोजना के तहत मुआवजा मिला हो और छूट की समय सीमा भी सरकार ने सिर्फ एक वर्ष निर्धारित की थी।

मेरठ में चला खेल

मेरठ में सर्वाधिक ऐसी रजिस्ट्री 2014 से आरंभ हुई जो पिछले दिनों तक धड़ल्ले से चली । जानकारों का कहना है कि जुलाई 2011 का शासनादेश, 2013 में भूमि अधिग्रहण बिल आने के बाद स्वत: समाप्त हो जाता है किंतु निबंधन विभाग में ये खेल जारी रहा। मेरठ में सर्वाधिक रजिस्ट्री 2014-15 से शुरू हुई।

एआईजी स्टांप ने पकड़ा घोटाला

जून 2016 में तैनाती के बाद एआईजी स्टांप संजय श्रीवास्तव ने घोटाले को संज्ञान में लिया। एआईजी ने मेरठ के चारों सब रजिस्ट्रार कार्यालय से ऐसी रजिस्ट्री खंगाली जिन्हें शासनादेश की आड़ में मुफ्त में किया गया।

80 रजिस्ट्री की चिह्नित

विभाग ने अब तक 80 ऐसी रजिस्ट्री चिह्नित की हैं। जिन्होंने केंद्र की योजना में मुआवजा हासिल किया और शासनादेश का हवाला देकर बिना रजिस्ट्री शुल्क दिए जमीनों की खरीद-फरोख्त की। कई ऐसी रजिस्ट्री हैं जो मुफ्त में हुई हैं, एआईजी की पड़ताल जारी है।

एनएचएआई की दो टूक

निबंधन विभाग की नींद तब टूटी जब एआईजी स्टांप ने सब रजिस्ट्रार से जबाव-तलब किया। इससे पूर्व हापुड़, बुलंदशहर, गाजियाबाद आदि जनपदों में भी हो रहे इस घोटाले से परतें उखड़ रही थीं। उप निबंधन, हापुड़ सदर प्रथम रवि कुमार ने यथा स्थिति की जानकारी के लिए नेशनल हाइवे ऑथारिटी ऑफ इंडिया से आरटीआई के तहत सूचना मांगी, जिस पर एनएचएआई ने रियायत की किसी भी स्कीम से इंकार कर दिया।

करोड़ों का लगाया चूना

सर्वाधिक गोरखधंधा उप निबंधन द्वितीय कार्यालय (मेरठ-हापुड़ रोड क्षेत्र) में हुआ है। मेरठ-बुलंदशहर फोरलेनिंग, हापुड़ बाईपास, मेरठ-दिल्ली एक्सप्रेस-वे, डेडीकेटेड फ्रेट कॉरीडोर आदि केंद्रीय योजनाओं से मुआवजा हासिल करने वालों ने स्टांप ड्यूटी दिए बिना जमीनों की खरीद-फरोख्त की है। ऐसे 80 प्रकरण सामने आए हैं।

वर्जन

मेरठ के चारों उप निबंधन कार्यालयों में बड़े पैमाने पर शासनादेश को तोड-मरोड़कर रजिस्ट्रेशन शुल्क में रियायत हासिल की गई है। 80 रजिस्ट्रियों को चिह्नित कर लिया गया है। जांच पड़ताल जारी है। शासन को इस प्रकरण की जानकारी देते हुए अधीनस्थों से स्पष्टीकरण तलब किया गया है। अग्रिम निर्देशों पर कार्रवाई की जाएगी।

संजय श्रीवास्तव, एआईजी स्टांप, मेरठ।

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ये है कुछ प्रकरण

-फरवरी, 2016. शमिष्ठा पत्‍‌नी अरविंद कुमार और चंद्रकला पत्‍‌नी धनपाल ने फफूंडा निवासी ब्रह्मावती पत्‍‌नी फूल सिंह को करीब 45 लाख की कृषि भूमि की बिक्री में स्टांप नहीं लगाए।

-मार्च, 2016. अजीत सिंह पुत्र धर्मपाल ने खानपुर निवासी सन्तरपाल पुत्र चंदन सिंह को 9.29 लाख की भूमि बिना स्टांप लगाए बेंची।

-मई, 2016. रणसिंह पुत्र अतर सिंह ने डॉ। सोमवीर सिंह पुत्र छोटेलाल को 19 लाख की भूमि बेंची। स्टांप ड्यूटी नहीं दी।

-अप्रैल, 2016. राज सिंह काले और इंद्रपाल ने छतरसिंह पुत्र धर्म सिंह को 46 लाख प्रॉपर्टी बेंची।

-अगस्त, 2016. नीरज पुत्र राजबल ने धर्मवीर को 50 लाख की भूमि बेंची।

-सितंबर, 2016. महीपाल, श्रीपाल, दीपचंद्र, इंदरपाल पुत्रगण विजयपाल ने फफूंडा की ब्रह्मावती को करीब 1 करोड़ की कृषि भूमि स्टांप ड्यूटी दिए बिना बेंच दी।

-दिसंबर, 2016. वेदप्रकाश पुत्र छतरपाल ने लियाकत अली पुत्र सलीमुद्दीन को 34.3 लाख की भूमि बेंची, स्टांप नहीं दिया।

-दिसंबर, 2016. जगदीश पुत्र हेम सिंह ने प्रवीन व श्रीचंद्र को करीब 56 लाख की भूमि बेंची।

-दिसंबर, 2016. दीपक पुत्र भीम सिंह ने प्रवीन व श्रीचंद्र को स्टांप ड्यूटी न देकर करीब 13 लाख की जमीन बेंची।

-जनवरी, 2017. सुनील पुत्र भूले सिंह ने महावीर पुत्र चंद्रकिरन को 7.3 लाख की भूमि स्टांप न देते हुए बेंची।

नोट: ये रिकार्ड उप निबंधन मवाना (मेरठ) से प्राप्त हुए हैं।

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Posted By: Inextlive