- स्टूडेंट्स के गलत तरीके से लिए गए एडमिशन ने बिगाड़ा खेल

- कॉलेजों की मनमानी के साथ यूनिवर्सिटी की भी थी मिलीभगत

- कॉलेज अपनी मनमर्जी से करते थे एडमिशन व एग्जाम में खेल

Meerut: सीसीएस यूनिवर्सिटी से संबद्ध कॉलेजों में अव्यवस्था के बीच एग्जाम शुरू हो गए। जहां पहली बार यूनिवर्सिटी ने बिना रोल नंबर के ये एग्जाम शुरू कराए। हजारों की संख्या में स्टूडेंट्स के पास एडमिट कार्ड ही नहीं थे। जो प्रोविजनल एडमिट कार्ड बनवाकर पेपर दे रहे हैं। जिसने एग्जाम फार्म भर दिए और यूनिवर्सिटी ने उस स्टूडेंट्स को परीक्षा से रोक दिया उसने भी एग्जाम दिया। जिसका नुकसान यूनिवर्सिटी को भुगतना पड़ेगा। यूनिवर्सिटी के अनुसार इस बार कॉलेजों की पोल खुलकर सामने आई। जो पहले अपनी मनमर्जी से खेल करते थे वे इस बार बेनकाब हो गए। लेकिन इस अव्यवस्था का खामियाजा यूनिवर्सिटी को भुगतना पड़ेगा।

यह है सीन

यूनिवर्सिटी से संबद्ध म्78 कॉलेजों में करीब साठ कॉलेज एडेड व सरकारी हैं। बाकी सभी सेल्फ फाइनेंस कॉलेज हैं। पहले एडमिशन और एग्जाम के लिए कंपनी अलग हुआ करती थीं। इस बार एक ही कंपनी ने दोनों काम संभाले हैं। इसके साथ ही कॉलेजों द्वारा की जाने वाली गड़बड़ी यूनिवर्सिटी में पकड़ में आ गई। यूनिवर्सिटी द्वारा एडमिशन के लिए मेरिट निकालने के बाद आखिर में कॉलेजों को डायरेक्ट एडमिशन की परमिशन दे दी। इसके बाद भी एडमिशन के लिए हजारों स्टूडेंट्स यूनिवर्सिटी के चक्कर काटते रहे। अब एग्जाम की बारी आई तो फिर खेल हुआ।

स्टूडेंट्स परेशान

जहां कई तरह की दिक्कतें स्टूडेंट्स को झेलनी पड़ रही हैं। रेगुलर से लेकर प्राइवेट तक के फार्म भरने में सैकड़ों दिक्कतें आई। यूनिवर्सिटी द्वारा जारी की गई एग्जाम फार्म भरने की डेट बार-बार बदलनी पड़ीं। जहां सबसे पहले तो रेगुलर स्टूडेंट्स के साथ कई दिक्कतें हुई। किसी के फार्म नहीं खुले और किसी के एग्जाम कोड मैच नहीं कर रहे थे। स्टूडेंट्स किसी कॉलेज में है और दिख किसी दूसरे कॉलेज में रहा था। एक स्टूडेंट्स को दो-दो बार फार्म भरा और फीस भी जमा की।

कॉलेजों का खेल

प्राइवेट फार्म भरने वाले स्टूडेंट्स के लिए कॉलेजों में सीटें फुल बताई गई। यूनिवर्सिटी ने ऐसे स्टूडेंट्स जिन्होंने फ‌र्स्ट ईयर जिस कॉलेज से किया उसमें सेकंड व थर्ड ईयर में सीटें फुल दिखा दी गई। ऐसे में स्टूडेंट्स ने दूसरे कॉलेज से फार्म भर दिया। लेकिन वहां भी फार्म जमा नहीं हुआ। इसके लिए यूनिवर्सिटी ने सेकंड और थर्ड ईयर में सीटों की सीमा खत्म करते हुए स्टूडेंट्स कॉलेज को खुद बदलते हुए जमा करने की व्यवस्था की। कुछ स्टूडेंट्स ने गलत जानकारी भरी तो उनको भी सुधार का मौका दिया गया। जिसका फायदा कॉलेजों ने उठाया।

एग्जाम में बढ़ी परेशानी

यूनिवर्सिटी ने एग्जाम बीस मार्च से ही कराने की ठान ली थी। जिसकी तैयारी अभी पूरी नहीं थी, लेकिन एग्जाम कराने का भूत चढ़ा हुआ था। ऐसे में एग्जाम शुरू हुए और स्टूडेंट्स को उनके रोल नंबर तक नहीं मिल पाए। ऐसे में जो कॉलेज चाहते थे वही यूनिवर्सिटी को आखिर में करना पड़ा। सभी कॉलेजों को प्रोविजनल एडमिट कार्ड बनाकर देने के लिए परमिशन दे दी। कॉलेजों ने एडमिट कार्ड का एक चार्ज स्टूडेंट्स लिया और लाखों की कमाई की। इसके चलते काफी संख्या में ऐसे स्टूडेंट्स भी परीक्षा दे गए जिन्होंने केवल फार्म भरा था।

रोल लिस्ट में सबका नाम

यूनिवर्सिटी की कंपनी द्वारा आनन-फानन में जारी की रोल लिस्ट में ऐसे स्टूडेंट्स भी शामिल हो गए जिनके फार्म में समस्याएं थीं। कॉलेज वाले भी जो चाहते थे वही हुआ और उन्होंने अपने स्टूडेंट्स को एग्जाम दिलवा दिया। उधर यूनिवर्सिटी का कहना है कि इस सब गड़बड़ी का मुख्य कारण कॉलेजों का खेल है। जो इस बार यूनिवर्सिटी ने पकड़ लिया। एक कंपनी द्वारा ऑनलाइन प्रक्रिया से सबकुछ सामने आ गया। कॉलेजों ने स्टूडेंट्स के गलत एडमिशन लिए और एग्जाम फॉर्म भी भरवा दिए। साथ ही कुछ कॉलेजों के स्टूडेंट्स के सब्जेक्ट ही मैच नहीं करे। जिससे बड़ी समस्या आई। ऐसे में आने वाले समय में दिक्कतें घटने के बजाय बढ़नी तय हैं।

वर्जन

एग्जाम में कॉलेजों की पोल पट्टी खुलकर सामने आई है। जो पहले एडमिशन और एग्जाम में खेल करते थे वह इस बार पकड़ में आ गई। जहां पहले एडमिशन और एग्जाम दोनों अलग-अलग कंपनी देखती थीं तो कॉलेज वाले यूनिवर्सिटी को उल्लू बना देते थे। इस बार सबकुछ एक कंपनी द्वारा ऑनलाइन किया गया तो बहुत कुछ गड़बड़ मिला। जिसके कारण एग्जाम में समस्याएं आई। - वीसी गोयल, वाइस चांसलर सीसीएसयू मेरठ

Posted By: Inextlive