- हाईस्कूल में वाणिज्य और इंटर में अर्थशास्त्र का था एग्जाम

- इंटर के परीक्षार्थियों को हुई ज्यादा परेशानी

Meerut शनिवार का दिन यूपी बोर्ड परीक्षार्थियों को मायूस करने वाला रहा। हाईस्कूल और इंटर दोनों के ही परीक्षार्थियों के चेहरों से ही पेपर के टफ आने का पता लग रहा था। वहीं इंटर के परीक्षार्थियों का तो दूसरी मीटिंग में भी हिंदी का एग्जाम था। इसलिए इंटर के परीक्षार्थियों में अगले एग्जाम की भी टेंशन दिखाई दे रही थी। परीक्षार्थियों के हिसाब से तो पेपर बहुत ही कंफ्यूजन वाला आया था।

अर्थशास्त्र का जनक कौन था

पहली पाली में इंटर का अर्थशास्त्र का एग्जाम था। परीक्षार्थियों के अनुसार कुछ इस तरह के सवाल आए जिनके बारे में उन्हें उम्मीद नहीं थी। अर्थशास्त्र का जनक कौन था। किस कर को स्थानीय सरकार लगाती है। मांग की लोच का अर्थ लिखिए। भूमि को परिभाषित करें। मजदूरी भुगतान के किन्हीं दो आधार को लिखो। लोक वित्त की विषय वस्तु के चार प्रमुख भाग का वर्णन करो कुछ इसी तरह के सवालों को देखकर परीक्षार्थियों को टेंशन हो गई थी।

एकाउंट में कंफ्यूजन

जहां इंटर का पेपर हार्ड था वहीं हाईस्कूल का पेपर परीक्षार्थियों के हिसाब से काफी ज्यादा कंफ्यूजन करने वाला था। परीक्षार्थियों का कहना था उनके स्कूल सलेबस में इस तरह के इलस्ट्रेशन नहीं करवाए गए, जो एग्जाम में आए हैं। आठ-आठ नम्बर के जो सवाल दिए हुए थे वो बहुत ही कंफ्यूजन कर रहे थे। स्कूल में तो टीचर ने इस तरह के क्वेश्चन करवाए ही नहीं थे।

दूसरी पाली में भी था पेपर

इंटर में जहां परीक्षार्थियों को पहली पाली में अर्थशास्त्र का एग्जाम देकर मायूसी हुई। वहीं अगली मीटिंग में उनका हिंदी का पेपर था इसलिए परीक्षार्थियों में अगले एग्जाम की भी टेंशन थी। कुछ छात्राएं तो अगली मीटिंग के पेपर के लिए सेंटर पर ही रुक गई थी ।

इंटर में दो हजार से अधिक ने छोड़ी परीक्षा

सेटरडे को हाईस्कूल का वाणिज्य व इंटर का हिंदी और अर्थशास्त्र का एग्जाम था। हाईस्कूल में मेरठ मंडल के छह जिलों में टोटल 8 हजार 7म्फ् परीक्षार्थियों ने रजिस्ट्रेशन करवाया था। जिनमें से 8 हजार फ्क्म् ने परीक्षा दी और ब्ब्7 ने छोड़ी। इंटर में अर्थशास्त्र का एग्जाम देने वाले फ्ब् हजार 70फ् परीक्षार्थियों ने रजिस्ट्रेशन करवाया था। इनमें से फ्ख् हजार म्9क् ने ही परीक्षा दी और ख् हजार क्ख् ने परीक्षा छोड़ी।

नए सेंटर पर रखी जा रही है पैनी नजर

जीआईसी, हस्तिनापुर प्रिंसीपल एवं सचल दस्ता प्रभारी वीके सिंह के अनुसार नए सेंटर्स को अभी एग्जाम के बारे में ज्यादा नॉलेज नहीं है। इसलिए इन सेंटर पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है। क्योंकि यहां पर ज्यादा दिक्कतें आ रही हैं।

इन्हें नहीं है जानकारी

- केंद्र व्यवस्थापकों को सेंटर के संबंध में रखे जाने वाले रिकॉर्ड की जानकारी नहीं है, जिसके बारे में उन्हें समझाया गया है।

- पुलिस व सुरक्षा व्यवस्था व अन्य नियमों की भी पूरी जानकारी नहीं है।

Posted By: Inextlive