एक नई स्टडी के मुताबिक शॉपहोलिक्स सिर्फ अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए ही शॉपिंग नहीं करते बल्कि शॉपिंग कर वे अपना मूड बेहतर करते हैं. सैन फै्रंसिस्को स्टेट यूनिवर्सिटी ने कम्पल्सिव बाइंग के स्पेसिफिक बिहेवियर्स को आइडेंटिफाई किया है.
By: Surabhi Yadav
Updated Date: Tue, 06 Aug 2013 01:57 PM (IST)
शॉपिंग करते टाइम आपके मैक्सिम सेंसेस इंवॉल्व होते हैं. आपका सारा ध्यान अच्छी डील, बेस्ट प्राइस और अपने इंट्रेस्ट की चीज ढ़ूंढ़ने मे होता है और इसके बाद आप जो भी प्रोडक्ट चूज करते हैं उसे खरीदने से जो सैटिस्फैक्शन मिलता है वो एक तरह से आपकी की गई मेहनत का रिवार्ड होता है.
इसके अलावा जब कोई भी अपने लिए कुछ खरीदता है तो उससे फील गुड होता है और वो स्पेशल फील करता है. इससे मूड भी चेंज होता है और खासतोर से अगर आपको कोई चीज परेशान कर रही है तो शापिंग से आपका माइंड भी ड्रिफ्ट होता है.
शॉपहोलिक्स के शॉपिंग का उनके जरूरतों से कोई लेना-देना नहीं होता. वे बेवजह भी शॉपिंग कर सकते हैं.कई लोग मूड बेहतर बनाने के लिए भी शॉपिंग करते हैं.रिसर्च के मुताबिक जो लोग मैटरियलिस्टिक होते हैं उनके शॉपहोलिक्स बनने के चांस ज्यादा होते हैं.अगर किसी का मनी मैनेजमेंट सही नहीं है तो वह शॉपिंग ज्यादा करता है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि उसका जेंडर, एज या फिर उसकी पर्सनैलिटी कैसी है.
-एजेंसी
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