RANCHI: राज्य में स्मार्ट क्लासेज योजना तो फाइलों में दफन होकर रह गई है। वहीं, क्लासेज शुरू करने के आश्वासन के साथ एक बार फिर प्रयास तेज किए गए हैं। इधर, अब सिटी के सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को पहले कंप्यूटर का ज्ञान दिया जाएगा, उसके बाद स्मार्ट क्लासेज शुरू किए जाएंगे। बताते चलें कि स्मार्ट क्लास में पढ़ाने के लिए शिक्षकों के बीच करोड़ों रुपए का टैब बांट दिया गया है जो अब आउटडेटेड होकर डब्बा बन चुका है। स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग द्वारा स्कूलों के शिक्षकों के लिए 10 दिनों का कंप्यूटर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने का निर्णय लिया गया है। राज्य के हर जिले में इस तरह के कार्यक्रम का आयोजन कर शिक्षकों को कंप्यूटर का ज्ञान दिया जाएगा।

दो साल में योजना शुरू नहीं

19 जनवरी 2017 को स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता मिशन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में सरकार की तरफ से तत्कालीन शिक्षा सचिव आराधना पटनायक ने संपर्क फाउंडेशन और अरविंदो सोसाइटी के साथ एमओयू कर स्मार्ट पाठशाला शुरू किए जाने की बात कही थी। संपर्क फाउंडेशन देश के कई राज्यों में स्मार्ट पाठशाला का संचालन कर चुका है। पाठशाला के स्मार्ट होने से बच्चों को कई तरह की अतिरिक्त सुविधाएं मिल सकती थीं। साथ ही शिक्षा की गुणवत्ता और व्यवस्था में भी व्यापक सुधार संभव है लेकिन यह पूरी की पूरी योजना फाइलों में दफन होकर रह गई।

40 लाख बच्चे हो रहे प्रभावित (बाक्स)

प्राथमिक स्कूलों में पढ़नेवाले करीब 40 लाख बच्चे इस योजना के शुरू नहीं होने से प्रभावित हो रहे हैं। बच्चों के लिए वर्चुअल क्लासरूम बनाने की योजना बनी थी। इसके लिए 40 करोड़ निवेश करने की तैयारी की गई लेकिन शिक्षा सचिव के तबादले के साथ पूरी योजना ही खटाई में पड़ गई।

कैसी होगी स्मार्ट क्लासेज

स्मार्ट क्लासेज में बच्चों को अंग्रेजी बोलने की प्रैक्टिस और आसान तरीके सिखाए जाते हैं। बच्चों के लिए गणित बनाने की किट उपलब्ध कराई जाती है। शिक्षकों के लिए ऑडियो साउंड बॉक्स एवं स्मार्ट मोबाइल ऐप का प्रावधान है। इसके लिए शिक्षकों को अलग से प्रशिक्षण भी दिया गया है। 60 हजार से अधिक शिक्षकों के प्रशिक्षण कार्य में लाखों रुपए फूंके गए हैं।

सिटी के निजी स्कूल बन रहे स्मार्ट

माइंड शार्पर टेक्नोलॉजी, नई दिल्ली के प्रतिनिधि शिक्षक अमित वशिष्ठ द्वारा सिटी के डीएवी हेहल समेत कई निजी स्कूलों में स्मार्ट पाठशाला से संबंधित प्रशिक्षण दिया जा रहा है। शिक्षकों को उनके विषय को पढ़ाने की विधियां बताई जा रही हैं। साथ ही बारी-बारी से शिक्षकों को स्मार्ट बोर्ड पर पढ़ाने की प्रैक्टिस भी करवाई जा रही है। हर कक्षा के लिए इस स्मार्ट बोर्ड में पाठयक्रम के अनुसार पठन सामग्री मौजूद है।

वर्जन

कुछ मूलभूत सुविधाओं के अभाव के कारण अभी यह शुरू नहीं हो पाया है। सरकार के स्तर से निर्देश मिलने के बाद ही जिलों में इसकी शुरुआत की जा सकती है। स्मार्ट क्लासेज से बच्चों को काफी सुविधा और नई तकनीक की जानकारी मिलेगी।

एपी सिंह, शिक्षा सचिव

Posted By: Inextlive