Lucknow: बनारस संगीत घराने की एक मशहूर जोड़ी राजन साजन मिश्र की है. शास्त्रीय संगीत के रागों को अपनी आवाज देने वाली इस जोड़ी के दीवाने केवल देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी हैं. पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित बनारस घराने के जुगलबंदी गायक पं. राजन और साजन मिश्र की गायकी दिल को छू लेती है. ख्याल गायकी की उनकी अपनी अलग ही स्टाइल है. शुक्रवार को एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए ये भाईयों की जोड़ी नवाबों के शहर में थी. इस मौके पर दोनों भाईयों ने शास्त्रीय संगीत के बारे में अपने विचार सामने रखे.

शास्त्रीय गायन में युवा पीढ़ी की रुचि आश्वस्त करती है?

कुछ गायकों को देखकर हमे जरूर आशा दिखती है, जिन्हें देखकर हम आश्वस्त होते हैं. कहीं न कहीं ऐसा लगता है कि शास्त्रीय संगीत अभी सुरक्षित हाथों में है, लेकिन इसकी संख्या बहुत कम है. अब ऐसे कम ही युवा देखने को मिलते हैं जो सभी क्षेत्रों में माहिर हैं. युवाओं को लता मंगेशकर को आर्दश मानना चाहिए, जिन्हें संगीत की सभी विधाओं में महारत हासिल है. कुछ बच्चें ऐसे हैं, जो नृत्य, गायन और वादन में बहुत प्रतिभाशाली हैं, वे इस हैरिटेज को संभालेंगे.

क्या बनारस आज भी आपकी यादों में बसा है?

बनारस हमारा होम टाउन है. वहां बचपन गुजरा है. आज भी उसकी यादें जेहन में बसी हैं. यही कारण है कि साल में हम सात से आठ बार बनारस जरूर जाते हैं.

क्या बनारस अब भी शास्त्रीय कला संगीत का गढ़ है?

इसमें कोई दो राय नहीं है कि बनारस आज भी शास्त्रीय संगीत और कला का एक केंद्र है. वहां की कला और संगीत की संस्कृति बहुत पुरानी है. उसकी अपनी एक अलग खुशबू है. उसका अपना वैभवशाली इतिहास है. बनारस ने देश को कई बड़े कलाकर दिए हैं, जिन्होंने शास्त्रीय संगीत को आसमान की ऊंचाइयों तक पहुंचा है.

फिल्मी गीत-संगीत के बारे में आपकी राय

वह बोले, 90 के दशक तक फि ल्मी संगीत काफी अच्छा था. उसके बाद नहीं अब तो फि ल्मी संगीत जोड़-तोड़कर बनाया जाता है. पहले के लोग संगीत बनाने के लिए महीनों तक मेहनत करते थे. 90 के समय से पहले के लोग डेडीकेशन से काम करते थे. अब वो बात ही नहीं है. पहले की तरह अच्छे कम्पोजर भी नहीं हैं. इन दिनों कंप्यूटारइज म्यूजिक है.

ख्याल गायकी में उत्तराधिकारी के तौर पर किसे देखते हैं?

अपने उत्तराधिकारी के तौर पर हम अपने बच्चों रीतेश और रजनीश को देखते हैं. हमारे कई और शिष्य भी हैं. जो इसमें अच्छा कर सकते हैं, लेकिन यह भविष्य के गर्भ में है कौन आगे जाता है.

लखनऊ के श्रोता कैसे है?

लखनऊ से हमारा बहुत पुराना नाता है. हम कई बार आए हैं. अपनी कला को लोगों के सामने प्रस्तुत किया है. हमेशा से लखनऊ से हमे विशेष लगाव रहा है. यहां श्रोता पहले जैसे थे आज भी वैसे हैं. हम प्रो. केके कपूर के समय से लखनऊ में कई कार्यक्रम में शामिल हुए और अपनी कला का प्रदर्शन किया है.

Posted By: Kaushlendra Vikram