रियलिटी चेक

बरेली में सरकारी कम्युनिटी हॉल की संख्या काफी कम है, जो हैं भी उनका मेंटीनेंस नहीं होता। सांस्कृतिक, राजनीतिक और बौद्धिक व अन्य कार्यक्रमों के दौरान यहां काफी भीड़ उमड़ती है, लेकिन यह इस कदर जर्जर हो गए हैं कि कभी भी यहां बड़े हादसे हो सकते हैं। जिसकी वजह से सांस्कृतिक विरासत को बढ़ाने के लिए पहचाने जाने वाले हॉल खुद उपेक्षा का शिकार हो गए हैं। वर्षो पहले यहां शहनाइयां गूंजती थीं, लेकिन अब यहां सन्नाटा पसरा हुआ है। शहर में बने सरकारी कम्युनिटी हॉल की क्या स्थिति है इसकी पड़ताल दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने की। दो कम्युनिटी हॉल समेत अर्बन हाट की स्थिति का जायजा लिया, जिसमें इनमें हादसों की वजह पता चली

BAREILLY:

'रंगमंच' को फीका कर रहा हॉल

संजय कम्युनिटी हॉल पूरी तरह उपेक्षा का शिकार है। करीब 10 वर्ष पहले बीडीए के लिए कमाऊ पूत के रूप में इसकी पहचान रही है। शादियां, समारोह, सामूहिक विवाह समेत अन्य प्राइवेट बुकिंग्स होती थी, लेकिन करीब 10 वर्षो से यह सिर्फ सरकारी कार्यक्रमों को ही निशुल्क सम्पन्न करा रहा है। क्योंकि यह इस कदर खस्ताहाल हो चुका है कि यहां कभी भी लोग दुर्घटना का शिकार हो सकते हैं। मेंटीनेंस न होने से दीवार का प्लास्टर गिर रहा है, कुर्सियां फट गई हैं, फोल्डिंग कैपेसिटी खत्म हो गई हैं। मंच की पिछली दीवार जर्जर है। हाई मास्ट लाइट्स लगाने की छत गिर रही है। बिजली के नंगे तार भी हादसों को न्योता दे रहे हैं। जिसके चलते कभी मुंहमांगी कीमत पर बुक होने वाले संजय कम्युनिटी हॉल के लिए साल भर में सिर्फ इक्का-दुक्का बुकिंग्स ही हो रही है।

कूड़ाघर बन गया मनोरंजन सदन

रेलवे जंक्शन स्थित रेलवे मनोरंजन सदन भी पूरी तरह जर्जर हो चुका है। हॉल के अंदर छत टपक रही है और पूरा कैंपस 'डलावघर' में तब्दील हो चुका है। 7 वर्ष पहले कर्मचारी यूनियन के प्रयास से इसकी मरम्मत हुई लेकिन फिर यह भी उपेक्षा का शिक ार हो गया। स्थानीय निवासी और जंक्शन के दुकानदार घर और दुकान का कूड़ा हॉल के कैंपस में फेंकते हैं। वर्षो से रंगाई पुताई न होने की वजह से यहां प्राइवेट कार्यक्रमों की संख्या कम हो गई है। पहले से चल रहे सांस्कृतिक कार्यक्रम ही क्रमवार बुक हो रहे हैं। वहीं, शादी, समारोह व अन्य प्राइवेट कार्यक्रम इक्का-दुक्का ही होते हैं, जिससे लाखों रुपए खर्च कर बनाए गए हॉल आज सिर्फ कौडि़यां बटोरने को मजबूर हैं। सवाल उठता है कि आखिर प्रत्येक वर्ष मेंटीनेंस के लिए जारी होने वाला रुपया कहां खर्च होता है?

कोई नहीं है 'सृजनहार'

हथकरघा उद्योग और एनआरएलएम के स्वयं सहायता समूहों को बढ़ावा देने के लिए अर्बन हाट का निर्माण किया गया था, लेकिन आज इसका हॉल और कैंपस धूल फांक रहे हैं। टूटे दरवाजे, खस्ताहाल शौचालय, दीवार पर उगी झाडि़यां इसकी पहचान बन चुकी है। हथकरघा विभाग की ओर से यह साल में करीब 3 बार बुक होता है, लेकिन इसकी जर्जर स्थिति की वजह से हथकरघा के माहिर यहां आने से बचते हैं। कमरों का प्लास्टर और छत गिर रही है। साल भर पहले एक संस्था ने इसे संवारने का जिम्मा लिया था, लेकिन वह भी महज खानापूर्ति तक ही सीमित रही। अर्बन हाट का गेट और शुरुआती तौर पर रंगाई पुताई तो हुई है लेकिन इसके अंदर की कहानी कुछ और ही दास्तां बयां करती है। हालत यह है कि यहां सरकारी कार्यक्रमों की संख्या भी सीमित है। वजहों में मेंटीनेंस का अभाव अहम रोल है। अधिकारी निरीक्षण के दौरान इसे संवारने को कहते हैं, लेकिन होता कुछ नहीं।

कम्युनिटी हॉल का किराया अधिक नहीं है लेकिन इसकी जर्जर स्थिति को देखकर इसे बुक नहीं कराया जाता। यदि यह संवर जाएं तो यह फिर से सरकारी आय को बढ़ाने का काम करेंगे।

राजू शमीम, समाजसेवी

रंगमंच के कार्यक्रम मजबूरी में भले ही संजय कम्युनिटी हॉल में करा लिए जाएं, लेकिन प्रजेंटेशन पर काफी असर पड़ता है। लाइट्स समेत प्रॉप्स एंड प्रॉपर्टी का संयोजन नहीं बन पाता।

दानिश खान, डायरेक्टर

ज्यादातर सरकारी कार्यक्रम ही कम्युनिटी हॉल में संपन्न होते हैं। इसकी जर्जर स्थिति के बारे में जानकारी है। रेनोवेशन के लिए बजट की मांग शासन से की गई है।

सत्येंद्र कुमार, प्रभारी डीएम, सीडीओ

Posted By: Inextlive