- चारबाग बस स्टेशन की तर्ज पर होगा कायाकल्प

- विभाग का खटारा बसों की ओर नहीं कोई ध्यान

आगरा। परिवहन निगम की बसों की बात करते ही रूह कांप जाती है। खासकर देहात की तरफ चलने वाली बसों की हाल तो बेहद डरावना है। इन बसों में हॉर्न के अलावा सब कुछ बजता है। उ.प्र। राज्य परिवहन निगम खटारा बसों की ओर कोई ध्यान नहीं पैसेंजर्स खटारा बसों में यात्रा करने को मजबूर हैं। वहीं दूसरी ओर विभाग के अफसर आईएसबीटी को चारबाग बस स्टेशन की तर्ज पर विकसित करने के लिए प्रपोजल तैयार कर रहे हैं। बड़ा सवाल ये है कि बसों की ओर भी थोड़ा रुख कर लिया जाए। तो पैसेंजर्स की दहशत दूर हो जाए।

चारबाग की तर्ज पर होगा कायाकल्प

शुक्रवार को उ.प्र। राज्य परिवहन निगम के एडीशन एमडी डॉ। बीडीआर तिवारी ने निरीक्षण किया था। उस दौरान उन्होंने व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के निर्देश दिए थे। इस बारे में रोडवेज के सेवा प्रबंधक एसपी सिंह ने बताया कि आईएसबीटी और ईदगाह को चारबाग बस स्टेशन की तर्ज पर विकसित किया जाएगा। इसके लिए 1.39 करोड़ कर प्रस्ताव तैयार किया गया है। इसे पीपीपी मॉडल पर विकसित किया जाएगा।

आगरा में 590 बसों में से 118 बसो में नहीं है फायर सेफ्टी

आगरा की 590 बसों में से 118 बसों में फायर सेफ्टी तक के इंतजाम नहीं हैं। पैसेंजर्स खटारा बसों में यात्रा करने को मजबूर हैं। आपको बता दें कि गत वर्ष बरेली में ट्रक और बस में एक्सीडेंट होने पर 24 लोगों की जान चली गई थी। आपको बता दें कि पिछले महीनों में आगरा समेत निगम की 28 बसों में एक्सीडेंट हुए, जिसमें 11 पैसेंजर्स की जान चली गई।

वर्ष 2016 में आई थी 50 बसों की खेप

रोडवेज के अधिकारियों बताया कि वर्ष 2016 में आगरा मंडल में 50 बसों की खेप आयी थी। इसके बाद कोई खेप आगरा में नहीं आई। आपको बता दें कि मानक के अनुसार आठ-नौ वर्ष तक ही बस का संचालन सुरक्षित माना जाता है। उसके बाद बस को नीलाम करना पड़ता है। जबकि हकीकत ये है कि यहां मानक पूरे कर चुकी बसों को भी रोड पर बेखौफ दौड़ाया जा रहा है।

नहीं होता मेंटीनेंस

खटारा बसों का मेंटीनेंस भी नहीं किया जाता है, जबकि मेंटीनेंस के नाम पर हर वर्ष शासन द्वारा करोड़ों रुपये का बजट मुहैया कराया जाता है। यहां तक कि बसों में ठीक से वायरिंग तक नहीं की जाती है। फायर एक्सटिंग्युशर तो पहले से ही नहीं है। ऐसे में यदि कहीं बस में बैटरी या वायरिंग से शॉर्ट सर्किट हो जाए तो उस पर काबू पाना मुश्किल हो जाएगा। किसी चालक, परिचालक या पैसेंजर्स को कोई चोट लगती है, तो उसके प्राथमिक उपचार के लिए फ‌र्स्ट एड बॉक्स की भी व्यवस्था नहीं है।

Posted By: Inextlive