मोहित शर्मा

- दोबारा नहीं लगाती सर्वे के नाम पर खुलने वाली अवैध निर्माण की सील

- कंपाउंडिंग के आवेदन देकर शुरू कर दिया जाता है सील अवैध निर्माण

MEERUT। शहर में तेजी से बढ़ते जा रहे अवैध निर्माण को सींच रहे एमडीए के इंजीनियर्स का एक नया कारनामा सामने आया है। निर्माणकर्ता से सांठगांठ कर प्रवर्तन जोन के ये अभियंता एमडीए में कंपाउंडिंग का आवेदन जमा करा उसकी आड़ में धड़ल्ले से अवैध निर्माण करा रहे हैं।

क्या है मानक

दरअसल, अर्बन डेवलपमेंट प्लानिंग एक्ट-1973 के अंतर्गत एमडीए द्वारा अवैध निर्माण को सील कर दिया जाता है। ऐसे में यदि निर्माणकर्ता अवैध निर्माण की नियमित कराना चाहता है, तो उसके लिए एमडीए में कंपाउंडिंग फीस जमा की जाती है। इसके लिए निर्माणकर्ता एमडीए में कंपाउंडिंग एप्लीकेशन देकर निर्माण से सील खोले जाने का आग्रह करता है। जिसके आधार पर एमडीए निर्माण का सर्वे करने के लिए केवल 24 घंटे के लिए सील हटाता है। जबकि सर्वे के बाद पुन: सील लगा दी जाती है।

10 प्रतिशत तक कंपाउंड

भवन निर्माण उपविधि-2011 यथा संशोधित के अनुसार किसी भी अवैध निर्माण का केवल 10 प्रतिशत भाग ही कंपाउंड किया जा सकता है। ऐसे में एफएआर, सैट बैंक व रेल वाटर हार्वेस्टिंग आदि को शामिल किया जाता है।

यहां होता है खेल

कंपाउंडिंग फीस के रूप में निर्माणकर्ता को मोटी रकम एमडीए में जमा करानी होती है। ऐसे में निर्माणकर्ता क्षेत्र के जेई से मिलकर प्राधिकरण में कंपाउंडिंग एप्लीकेशन देता है, जिसके आधार पर प्रवर्तन टीम सर्वे के लिए निर्माण से सील हटाती है। जबकि सर्वे के बाद टीम एमडीए टीम द्वारा अवैध निर्माण को पुन: सील नहीं किया जाता, जिसका फायदा उठाकर निर्माणकर्ता पुन: निर्माण शुरू कर देता है।

नहीं होती कंपाउंडिंग

ऐसे में केवल एप्लीकेशन के आधार पर निर्माणकर्ता धड़ल्ले से निर्माण शुरू कर देता है। जबकि उसके द्वारा एमडीए में कोई कंपाउंडिंग चार्ज नहीं जमा कराया जाता। उधर, सांठगांठ के आधार पर जेई एप्लीकेशन का हवाला देकर महीनों तक मामले को उलझाए रखते हैं। तब निर्माणकार्य पूर्ण हो जाता है।

केस वन

- गंगानगर स्थित जीपी पॉकेट में अवैध रूप से बन रहे कांप्लेक्स पर पिछले दिनों सील लगाई गई थी। नतीजा यह है कि निर्माणकर्ता ने फिर से निर्माण कार्य शुरू कर दिया है।

केस टू

- बेगमपुल स्थित अवैध रूप से बनाए जा रहे कांप्लेक्स पर आठ माह पूर्व सील लगा दी गई थी। कंपाउंडिंग एप्लीकेशन देकर फिर से निर्माण शुरू कर दिया गया।

केस थ्री

-हापुड अड्डा स्थित भगत सिंह मार्केट में पांच दिन पूर्व सील लगा दी गई थी। आलम यह है कि निर्माणकर्ता ने सील के बावजूद फिर से निर्माण कार्य शुरू कर दिया।

मैं इस मामले को कई बार बोर्ड बैठक में उठा चुका हूं। एमडीए की भ्रष्ट प्रणाली का ही नतीजा है कि शहर अवैध निर्माणों से पट गया है।

-डॉ। राजेश सिंह, मेंबर एमडीए बोर्ड

कंपाउंडिंग एमडीए की मुख्य आय का स्रोत है। इस तरह के मामलों में सख्त कार्रवाई की जाएगी। अवैध निर्माण से कोई समझौता नहीं है।

-योगेन्द्र यादव, वीसी एमडीए

Posted By: Inextlive