-दिल्ली में पार्टी की यात्रा में शामिल नहीं हुए हरीश रावत

-बीजेपी बोली, पहले अपना परिवार बचाए कांग्रेस

देहरादून

शुक्रवार को दिल्ली के जंतर मंतर में आयोजित कांग्रेस की लोकतंत्र बचाओ यात्रा में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत शामिल नहीं हुए। जबकि हरीश रावत और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय इससे पहले रोजाना दावे कर रहे थे कि अधिक से अधिक संख्या में वे पार्टी कार्यकर्ताओं को दिल्ली ले जाएंगे। बीजेपी की केंद्र सरकार के खिलाफ दिल्ली में सोनिया गांधी, राहुल गांधी और पूर्व पीएम मनमोहन सिंह समेत कांग्रेस के तमाम दिग्गज इकट्ठा हुए, लेकिन सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री नदारद रहे, इससे सियासी हलकों में तमाम तरह की चर्चाएं चलती रहीं।

पार्टी नहीं चाहती थी मंच साझा करना?

सियासी हलकों में चर्चा रही कि हरीश रावत से पार्टी ने जानबूझकर लोकतंत्र बचाओ यात्रा को लेकर किनारा करके रखा ताकि बीजेपी को ये कहने का मौका न मिले कि जिस नेता से हॉर्स ट्रेडिंग को लेकर सीबीआई पूछताछ कर रही है उसे लोकतंत्र बचाओ नाम की यात्रा में क्यों शामिल किया गया है।

बीजेपी ने साधा निशाना

लोकतंत्र बचाओ यात्रा को लेकर सूबे के बीजेपी नेताओं ने कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा। बीजेपी का कहना था कि कांग्रेस आखिर किस लोकतंत्र की बात कर रही है। लाखों-करोड़ के तमाम घोटाले कर भ्रष्टाचार में डूबी कांग्रेस को पता है कि अब देश से उसका सफाया हो गया है। इसीलिए वह अपना वजूद तलाशने की कोशिश कर रही है।

वर्जन

सीबीआई की तरफ से कथित स्टिंग को लेकर समन आया है। सोमवार को पेश होना है, इसलिए यात्रा में शामिल नहीं हो सका।

हरीश रावत, पूर्व सीएम

कांग्रेस में डेमोक्रेसी नाम की चीज ही नहीं हैं। नेहरू के जमाने से लेकर अब तक कांग्रेस को एक परिवार चला रहा है, क्या यही लोकतंत्र है। इस यात्रा को तो कांग्रेस बचाओ यात्रा का नाम देना चाहिए था न कि लोकतंत्र बचाओ।

भगत सिंह कोश्यारी, पूर्व सीएम

कांग्रेस को पता है कि अब उसका वजूद खत्म हो गया है। वह अपना परिवार ही नहीं बचा पा रही है। एक मुख्यमंत्री सत्ता बचाने के लिए साफ तौर पर सीडी में खरीद फरोख्त करते दिख रहा है। कांग्रेस के लिए क्या यही हैं लोकतंत्र के मायने?

रमेश पोखरियाल निशंक, पूर्व सीएम

Posted By: Inextlive